संयुक्तराष्ट्र में सुषमा और मलीहा

 

बाइलाइन / डॉ. वेदप्रताप वैदिक /

हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कमाल कर दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के मर्म को झिंझोड़ दिया। यह तो सभी भारतीय नेता और कूटनीतिज्ञ कहते रहते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है। लेकिन सुषमा ने यह कहने के साथ-साथ यह भी पूछ लिया कि आखिर पाकिस्तान ने पैदा होकर किया क्या ?

भारत और पाकिस्तान का जन्म एक ही समय हुआ था (पाकिस्तान का एक दिन पहले), फिर भी आज भारत कहां है और पाकिस्तान कहां है ? भारत ने डाॅक्टर और इंजीनियर बनाएं, जिन्होंने विश्व-स्तरीय शोध-संस्थान खड़े किए और पाकिस्तान ने आतंकी संगठन बनाए, जिन्होंने पड़ौसी देशों में खून की नदियां बहा दीं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जबकि पाकिस्तान फौजियों, आतंकवादियों और मजहबी उग्रवादियों द्वारा संचालित होता है। सुषमा स्वराज पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी के आरोपों का संयुक्तराष्ट्र संघ महासभा में जवाब दे रही थीं। उनके इस भाषण पर पाकिस्तान के अखबारों और चैनलों ने आज अंगारे बरसा दिए हैं।

संयुक्तराष्ट्र में पाकिस्तान की प्रतिनिधि मलीहा लोदी ने भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ‘डेमोक्रेसी’ नहीं, ‘हिपोक्रेसी’ बता दिया है और भारत को ‘आतंकवाद की अम्मा’ घोषित कर दिया है। कश्मीर एक समस्या है, इसमें ज़रा भी शक नहीं लेकिन यदि पाकिस्तान फौज और आतंक के सहारे उसे कब्जाना चाहे तो वह हजार साल में भी सफल नहीं हो सकता।

मलीहा लोदी को मैं व्यक्तिगत तौर से जानता हूं। वे सुशिक्षित और समझदार नेता हैं। मैं उनसे ऐसी चालू किस्म के मुहावरे बोलने की उम्मीद नहीं करता हूं। उन्होंने भारत की मोदी सरकार को फाशीवादी कहा है। वे स्वयं भारत आएं और देखें कि भारत में कितनी आजादी है। खुद नरेंद्र मोदी की रगड़ाई करनेवाले नेताओं और पत्रकारों से मिलकर वे दंग रह जाएंगी।

मुझे इस बात से दुख होता है कि विश्व-मंच पर हमारे दोनों देश एक-दूसरे पर कीचड़ उछालते हैं। जब भी मैं पाकिस्तान जाता हूं, वहां के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, विरोधी नेताओं से अपनी बातचीत में मैं हमेशा पूछता हूं कि पाकिस्तान का जैसा नाम है, वैसा उसका काम क्यों नहीं है ? हम तो सिर्फ हिंद हैं, भारत हैं, इंडिया हैं लेकिन आप तो ‘पाक’ याने पवित्र और ‘स्तान’ याने स्थान हैं। फिर भी आपके यहां इतनी गरीबी, इतनी अशिक्षा, इतना तनाव, इतने तख्ता-पलट, इतनी अस्थिरता क्यों बनी रहती है ? क्या जिन्ना के सपनों का पाकिस्तान यही है ? ये सवाल मैंने कई बार कराची, लाहौर और पेशावर के विश्वविद्यालयों में भी उठाए।

मैंने उनसे यह भी पूछा कि क्या जिन्ना ने यह पाकिस्तान पहले नाटो देशों और अब चीनियों की गुलामी करने के लिए खड़ा किया था ? हिंदुओं की तथाकथित ‘गुलामी’ से आपको जिन्ना ने मुक्त कराया लेकिन अब पाकिस्तान दस खसमों की खेती बन गया है ? पाकिस्तान यदि संपन्न, स्वस्थ और शक्तिशाली लोकतंत्र बने तो वह खुद का भला तो करेगा ही, पूरे दक्षिण एशिया का भी भला करेगा। 

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