वास्तु दोष की वजह से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में आ रही हैं अड़चनेः वास्तुशास्त्री राजकुमार झांझरी

  • सत्यनारायण मिश्र


गुवाहाटी : अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तु विशेषज्ञ राजकुमार
झाँझरी की ओर से की गई भविष्यवाणी आखिरकार सही साबित होती दिखाई पड़ रही
है। उन्होंने कहा था कि राम मंदिर के माडल में वास्तु दोष है। इस वजह से
इसके निर्माण में लगातार बाधाएं आती रहेंगी।
तकरीबन तीन सौ करोड़ की लागत से बनने जा रहे श्री राम मंदिर की नीव के
लिए 1200 खंभों के निर्माण का कार्य तब खटाई में पड़ गया, जब प्रारंभ में
ही निर्मित 3 खंभे रेतीली जमीन और भूगर्भ में पानी की वजह से धंस गए।
खंभों का निर्माण कार्य 15 अक्टूबर के आसपास शुरू होने तथा जून-2021 में
पूरा होने की बात थी, जो प्रथम खंभों की ढलाई के बाद जमीन में धंस जाने
की वजह न सिर्फ टल गया, बल्कि निर्माण की पूरी प्रक्रिया को ही नये सिरे
से प्रारंभ करने की नौबत आ गई।
जानकारों के मुताबिक प्रस्तावित राम मंदिर स्थल के भू-गर्भ में मौजूद
बलुआ मिट्टी और पानी पत्थरों से बनने वाले विशाल मंदिर के स्थायित्व के
लिए खतरा हैं। मंदिर निर्माण में आई इस समस्या के बाद राम मंदिर निर्माण
से जुड़े हलकों में घोर निराशा व्याप्त है तथा समिति द्वारा समस्या के
निवारण के उपाय सुझाने हेतु देश के नामी इंजीनियरों की आठ सदस्यीय कमेटी
का गठन किया गया है।
असम के वास्तु विशेषज्ञ राजकुमार झाँझरी ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ
क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल के अलावा प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र
लिखकर प्रस्तावित राम मंदिर के मॉडल में भयंकर वास्तु दोष की जानकारी
देते हुए इस वजह से इस मॉडल के अनुसार मंदिर निर्माण में अप्रत्याशित
बाधाओं व मंदिर निर्माण के बाद भी विकट समस्याओं का सामना करने की
चेतावनी दी थी, जो पूरी तरह सत्य साबित हुई है।
उल्लेखनीय है कि 2 अप्रैल 2020 को राम मंदिर की आधारशिला स्थापना व भगवान
राम के दर्शन का कार्यक्रम तय किया गया था, जो लॉकडाउन के कारण रद्द करना
पड़ा। मंदिर की मूर्तियों को जब अस्थाई वेदी में विराजमान करने का मौका
आया, तब हजारों भक्तों व देश के मूर्धन्य संतों की उपस्थिति में
हर्षोल्लास के माहौल के बजाय गिनती के लोगों की उपस्थिति में पूजन करके
भगवान राम को नये अस्थायी लकड़ी के मंदिर में स्थानांतरित करना पड़ा।
कोरोना वायरस के खतरे व लॉकडाउन को देखते हुए साधु-संतों व राम मंदिर
आंदोलन से जुड़े लोगों को भी पूजा में आमंत्रित नहीं किया जा सका। कई तरह
के विवाद खड़े हुए सो अलग।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु जमीन के समतलीकरण के दौरान मिली
मूर्तियों व पुरातात्विक अवशेषों को लेकर भी विवाद पैदा हो गया। राम
मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष रामचंद्र परमहंस के दिगंबर अखाड़े में
साधु-संतों ने बैठक कर साफ तौर पर कहा कि उन्हें विहिप के मॉडल पर राम
मंदिर का निर्माण स्वीकार नहीं है। 210 करोड़ रुपये की लागत से तैयार भजन
सेंटर का उद्घाटन भी टल गया। इस प्रकार एक के बाद एक आ रही बाधाओं के
चलते राम मंदिर का निर्माण कार्य वांछित गति को प्राप्त नहीं कर पा रहा।
इसके पहले झांझरी ने वर्ष 2010 में रुपये के नए सिंबल को भयंकर वास्तु
दोष से युक्त बताते हुए देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया था। उनकी
वह भविष्यवाणी पूरी तरह सही साबित हुई है। उनकी ओर से दिए गए रुपये के
सिंबल में बदलाव के सुझाव को नजरअंदाज कर दिया गया।
नया सिंबल जारी करने के पूर्व रुपये की विनिमय दर प्रति डॉलर 44 रुपये
थी, जो अब 74 रुपये तक गिर चुकी है। देश की जीडीपी 8.5 ‘ थी और सरकार
अगले वित्त वर्ष में इसके 9′ होने का दंभ भर रही थी, लेकिन यह औंधे मुहं
गिरी। आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में समूचे एशिया में भारत की
अर्थनीति सबसे ज्यादा दुर्दशाग्रस्त हुई है।

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