‘ वर्षा मंगल 2022 ‘ 31वां सेवा महोत्सव एवं मित्र मिलन
प्रति वर्षों की भांति इस वर्ष भी अंकितग्राम सेवाधाम सांस्कृतिक आयोजनों के साथ मित्र मिलन महोत्सव का आयोजन कर रहा है। इस बार का हम इस महोत्सव को ‘ पर्यावरण संस्कार पर्व ‘ के रूप में आप सब के सान्निध्य में मना रहे हैं।
22 जुलाई से 5 अगस्त 2022 तक
वर्षा मंगल
31वां सेवा महोत्सव ‘ पर्यावरण संस्कार पर्व
‘ स्वागत…वंदन…अभिनन्दन…हार्दिक मित्र मिलन!
प्रति वर्षों की भांति इस वर्ष भी अंकितग्राम सेवाधाम सांस्कृतिक मिलन महोत्सव का आयोजन कर रहा है। इस बार का हम इस महोत्सव को ‘ पर्यावरण संस्कार पर्व ‘ के रूप में आप सब के सान्निध्य में मना रहे हैं।
कार्यक्रम इस प्रकार हैं –
दैनिक आयोजन : प्रतिदिन प्रात:काल
दिव्यांग योग !
पर्यावरणशुद्धिकरण यज्ञ !!
पौधारोपण कार्यक्रम!!!
दैनिक आयोजन : प्रतिदिन संध्याकाल
पर्यावरण भागवत !
बिल्केश्वरमहादेव से ‘गंभीरनदी ’ की आरती का शुभारम्भ !
सेवाधाम में पधारे विशिष्ट अतिथियों के आशीर्वचन !
विशेष आयोजन
अंकितोत्सव
सेवाधाम आश्रम केपरोक्ष समाजसेवी मास्टर अंकितगोयल की (22 जुलाई)38 वीं जयंती !
आचार्य बालकृष्ण : अवतरण दिवस
पतंजलियोगपीठ के वनस्पतिविज्ञानी आचार्यश्री के अवतरणदिवस (4अगस्त) केअवसर पर !
वृक्षारोपण अभियान
‘ मेरावृक्ष:मेरा जीवन’
जीवन रक्षा अभियान
-22 जुलाई2022 को प्रात:11 बजेआप सब सादर आमंत्रित हैं।
महोत्सव की आयोजक संस्था मध्य प्रदेश के उज्जैन में अंकितग्राम सेवाधाम एक ऐसा आश्रम है, जहां पीड़ितों की पीड़ा को दूर करने और उनकी सेवा-सुश्रुषा करने का काम बड़े मनोयोग से होता है। यहां कुछ घंटे पहले जन्मे नवजात शिशु से लेकर वृद्धावस्था के अंतिम दौर में पहुंच चुके बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों की सेवा, देखभाल और प्यार बांटने का काम बिल्कुल निशुल्क और पूरे तन-मन से किया जाता है। इस कार्य को करने में मुझे पीड़ितों में भगवत दर्शन होते हैं।ऐसा करते हुए मुझे कभी भी हिचकिचाहट या घृणा जैसी कोई भी अनुभूति हुई।
मुझे सौभाग्य मिला 1976 में पवनार में आचार्य विनोबा भावे से मुलाक़ात करने का। उनसे प्राप्त मार्गदर्शन और बाद में बाबा आम्टे और मदर टेरेसा से मिली शक्ति के बाद मैंने चिकित्सक बनने का सपना छोड़, अनेक सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से दूरस्थ आदिवासी-ग्रामीण-श्रमिक झुग्गी झोपड़ी और गंदी बस्तियों में निराश्रित- मरणासन्न, निःशक्त वृद्धों, मनोरोगियों निःसहाय, असहाय, पीड़ित, शोषित वर्ग की सेवा का काम शुरू कर दिया। इसके पूर्व 13 वर्ष की किशोर उम्र से मैं सेवा कार्यों के प्रति समर्पित हूं।
सेवा ,शिक्षा ,स्वास्थ्य ,स्वावलम्बन ,सद्भाव …को मूलाधार बनाते हुए पंच सूत्रीय प्रकल्पों के माध्यम से अपने सामाजिक कार्य को गति देते हुए मैंने 1986 में प्रदेश के प्रथम उज्जयिनी वरिष्ठ नागरिक संगठन की स्थापना की और कुष्ठधाम हामूखेड़ी में नारकीय जीवन जी रहे महारोगियों की पीड़ा को समझा। मरणासन्न लकवा पीड़ित कुष्ठरोगी नारायण को अपने ऑफिस गैरेज में लाकर अंतिम सांस तक उसके घावों की मरहम पट्टी के साथ सेवा की। कुष्ठधाम की स्थापना कर उन्हें शिक्षा और स्वावलम्बन के साथ जीवनोपयोगी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु लम्बा संघर्ष किया, परिणाम स्वरूप आज अनेक महारोगी आत्म स्वाभीमान के साथ स्वावलम्बी जीवन व्यतीत कर रहे है। कुष्ठधाम में बच्चों और महिलाओं की शिक्षा केन्द्रों के विविध प्रशिक्षणों की व्यवस्था की। सेवाधाम की विधिवत स्थापना 1989 में हुई है ।