फेसबुक पर रविश कुमार …क्या कहना चाहते हैं !

हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर गोविन्दा से बड़ा कोई डांसर नहीं आया। मुझे डांस नहीं आता है मगर सपने में डांस आता है। बिना डांस के आपके भीतर कोई कला पूरी नहीं होती है। बेकार है। काश गोविन्दा को मैच कर पाता। कमबख़्त एक ही गाने में लय बदलते हुए शालीना,अभद्रता, शास्त्रीयता और भव्यता का प्रदर्शन कर जाता है। अक्सर गोविन्दा का डांस देखता रहता हूं। ख़ुदगर्ज़ का यह गाना बहुत पसंद है। स्पीड देखिए। आम तौर पर अभिनेत्रियां कमाल की डांसर होती हैं मगर नीलम गोविन्दा को मैच ही नहीं कर पा रही हैं। एक बार गोविन्दा के घर गया था। सेल्फ पर अख़्तरूल ईमान की क़िताब रखी थी। हमारे मित्र देवेश एक अच्छा सा लड़का, क्या ख़ूब सुनाते थे। उफ़्फ़। क़ातिलाना। अब हमने अंग्रेज़ी के हीरो तो देखे नहीं, जो देखे हैं उनमें भी अपना गोविन्दा सुपर है। इस कलाकार की टाइमिंग, रिएक्शन अदभुत है। चाहे डांस करते हुए या फिर अभिनय में भी।

इस गाने का स्टार्ट देखिए। पहले कुछ सेकेंड में क्या लय है बंदे की। दिल जीत लेता है। काश गोविन्दा जैसा डांस आता, तो ओपन चैलेंज दे देता कि कोई है मुझे मैच करने वाला…तो आ जाए डांस फ्लोर पर…आप देखिए। अपनी हालत तो ये है कि न दांत हिलते हैं न पांव। डांस ख़ाक करेंगे। सो रिलैक्स रहिए। वो चैलेंज कभी नहीं आएगा। मैं डायरेक्टर होता तो नीलम से और प्रैक्टिस कराता। बेचारी

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