निजी भावना का उपहास किये बिना जताई जा सकती है असहमति : राष्ट्रपति
न्यूज़ गेटवे / असहमति के नाम पर हिंसा / नई दिल्ली/
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि दूसरे व्यक्ति की गरिमा और निजी भावना का उपहास किये बिना भी असहमति जाहिर की जा सकती है। फिल्म पद्मावत के विरोध में जारी हिंसा का जिक्र किये बिना राष्ट्रपति ने कहा है कि किसी के नजरिये या इतिहास की किसी घटना के बारे में असहमति हो सकती है मगर एक दूसरे के निजी मामलों और अधिकारों के सम्मान से ही एक सजग राष्ट्र का निर्माण होता है।
देश के 69वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने लोगों से उदारतापूर्ण व्यवहार और भाईचारे की बात कही। उन्होंने कहा कि त्योहार मनाते हुए विरोध प्रदर्शन करते हुए या किसी दूसरे अवसर पर हम अपने पड़ोसी की सुविधा का ध्यान रखते हैं और यही भाईचारा है। राष्ट्रपति ने इस परोक्ष सांकेतिक टिप्पणी के सहारे असहमति के नाम पर हिंसा को खारिज किया। उन्होंने संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता का जिक्र करते हुए कहा कि वे देश के संविधान में कानून का शासन और कानून द्वारा शासन के महत्व को वे बखूबी समझते थे। इस लिहाज से हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें संविधान और गणतंत्र की यह अनमोल विरासत मिली है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में देश के किसानों की चुनौती और चिंता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसान मां की तरह देश के 130 करोड़ लोगों का पेट भरने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। ऐसे में किसानों के जीवन को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। कोविंद ने राष्ट्र निर्माण को भव्य और विशाल अभियान बताते हुए इसमें सभी छोटे-बड़े लोगों की भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने सशस्त्र बलों के जवानों और सेना की रक्षा जरूरतों से लेकर उनकी सुविधाओं को और मजबूत करने की जरूरत भी बताई।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करते हुए गरीबी को खत्म करने की बात भी कही। साथ ही खासतौर पर बेटियों को बेटों के बराबर हक देने की आवाज बुलंद की। इसके लिए राष्ट्रपति ने परिवार में बेटियों को तवज्जो देने की पूरजोर वकालत करते हुए कहा कि सरकार महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून तो बना सकती है मगर यह कारगर तभी होगा जब परिवार और समाज बेटियों की आवाज सुनेगा। इस मौके पर राष्ट्रपति ने देश की युवा आबादी को मुहैया करायी जा रही शिक्षा और कौशल संसाधन का भरपूर उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही कहा कि बच्चों में रटकर याद करने की प्रवृत्ति की बजाय नये प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।