ढाका राजी नहीं, कहां जाएंगे 40लाख संदिग्ध बांग्लादेशी

सत्यनारायण मिश्र / न्यूज़ गेटवे /  संदिग्ध बांग्लादेशी / गुवाहाटी / 

~ सत्यनारायण मिश्र 

साल के अंत तक एनआरसी अद्यतन का प्रारूप प्रकाशित करने की सुप्रीम कोर्ट की आखिरी समय सीमा के बाद राज्य में 40 लाख से अधिक संदिग्ध मुस्लिम बांग्लादेशियों को राज्य से बाहर किया जाना लगभग तय हो चुका है। सवाल यह है कि इन्हें भेजा कहां जाएगा। बांग्लादेश इन्हें अपना नागरिक मानेगा, इसकी संभावना ना के बराबर है।

संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान को लेकर सत्ताधारी भाजपा एक तरफ है और आसू व जातीय संगठनों सहित सभी विपक्षी पार्टियां दूसरी तरफ। केंद्र सरकार धार्मिक आधार पर बांग्लादेश या पाकिस्तान आदि से आए लोगों को मानवता के
आधार पर भारतीय नागरिकता देने की हरसंभव जुगत में है। आसू, कांग्रेस और एआईयूडीएफ वगैरह का कहना है कि असम समझौते के मुताबिक 25 मार्च 1971 के बाद राज्य में आए किसी भी बांग्लादेशी को चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान
अथवा कोई और, असम से बाहर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट में एनआरसी राज्य संयोजक प्रतीक हाजेला
बता चुके हैं कि 40 लाख से अधिक लोगों के कागजात अग्राह्य हैं। हाईकोर्ट एक आदेश में पहले साफ कर चुका है कि पंचायत सचिव स्तर से हासिल निवास प्रमाण पत्रों को एनआरसी में स्वीकार नहीं हो सकते। हाजेला के मुताबिक
इतने सारे लोगों के पास न्यायालय से अनुमन्य प्रमाण पत्र नहीं हैं। इसलिए उनकी नागरिकता संदिग्ध है।

आसू ने चेतावनी दी है कि किसी भी विदेशी को यहां से बाहर किए जाने में और कोई विलंब सहन नहीं होगा। जो कोई भी अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाता, उसे राज्य से बाहर जाना ही होगा। जाति या धर्म से कोई लेना-देना
नहीं। पूरे देश में केवल असम में ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में इसकी अद्यतन प्रक्रिया जारी है। राज्य संयोजक हाजेला सीधे सुप्रीम कोर्ट के लिए जवाबदेह हैं।

केंद्र में वर्तमान सरकार के आने के बाद से राज्य में एनआरसी अद्यतनप्रक्रिया में अस्पष्ट कारणों से शिथिलता आई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी समयसीमा बांध दी है। 31 अक्टूबर 2017 तक प्रारूप एनआरसी सूची प्रकाशित हो जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सवाल उठाया है कि लाखों की संख्या में अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाने वालों को कहां ले जाएंगे। कौन यह दावे से कह सकता है कि जो 30 या 40 लाख लोग गरीबी, अशिक्षा, अज्ञानता या अन्यान्य कारणों से अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाए, सचमु में बांग्लादेशी ही हैं।

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