कोरियाई कवयित्री किम यांग-शिक को साहित्य अकादेमी की मानद महत्तर सदस्यता अर्पित
न्यूज़ गेटवे / मानद महत्तर सदस्यता अर्पित / नई दिल्ली /
साहित्य अकादेमी का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ‘मानद महत्तर सदस्यता’ आज कोरिया की प्रसिद्ध कवयित्री, निबंधकार और भाारतविद् डॉ. किम यांग-शिक को प्रदान की गई। सम्मान के रूप में उन्हें शॉल एवं ताम्रफलक प्रदान किया गया। यह सम्मान साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा दिया गया।
साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने बताया कि इस सम्मान की घोषणा 2015 में की गई थी लेकिन किसी कारणवश उस समय भारत न आ पाने के कारण यह सम्मान आज उन्हें प्रदान किया जा रहा है। विदेशी साहित्यकारों में यह सम्मान पाने वाली वे पहली महिला हैं। उन्होंने उनका विस्तृत परिचय भी प्रस्तुत किया। साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें सम्मान देते हुए अकादेमी भी गर्व और गौरव का अनुभव कर रही है। वे सोच और संवेदना में पूर्ण रूप से भारतीय हैं अतः उन्हें सांस्कृतिक राजदूत कहना गलत न होगा।
सम्मान ग्रहण करने के बाद किम यांग-शिक ने अपने बचपन और अपने भाई का उल्लेख करते हुए अपने संघर्षपूर्ण जीवन को याद किया। उन्होंने बताया कि उस समय उनका देश जापान के आधिपत्य में था और पढ़ाई से लेकर जीवन की अन्य आवश्यकताएँ पाना बहुत मुश्किल था। उन्होंने बताया कि उनकी पहली कविता बारह वर्ष की उम्र में लिखी गई थी। पंद्रह वर्ष की उम्र में जब उनका देश आजाद हुआ तब यह लेखन प्रक्रिया सुचारु रूप से आगे बढ़ पाई।
प्रख्यात हिंदी कवि दिविक रमेश जिन्होंने उनकी कोरियाई कविताओं का हिंदी अनुवाद किया है ने भी उनके बारे में बोलते हुए कहा कि उनकी कविताओं में बहुत संतुलित भावुकता है। उनकी पूरी काव्य दृष्टि रवींद्रनाथ टैगोर से बहुत ज्यादा प्रभावित है। उनकी कविता में प्रकृति एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी द्वारा दिविक रमेश के संपादन में प्रकाशित कोरियाई कविताओं का हिंदी-संग्रह को भी लोकार्पित किया गया।
4 जनवरी 1931 को सियोल, दक्षिण कोरिया में जन्मी किम यांग-शिक ने 1977 में डोंगकुक विश्वविद्यालय से भारतीय दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर तथा 1997 में वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर से डी. लिट की उपाधि प्राप्त की। रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं से प्रभावित डॉ. किम यांग-शिक ने 1981 में “टैगोर सोसाइटी ऑफ कोरिया की स्थापना की। टैगोर की अधिकांश कविताओं और नाटकों के अनुवाद के अलावा आपने भारत के कई महत्त्वपूर्ण कवियों एवं नाट्यकारों की रचनाओं का अनुवाद भी कोरियाई भाषा में किया है। कोरिया भारत सांस्कृतिक सोसाइटी के माध्यम से सांस्कृतिक विनियम में आपके योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2002 में आपको भारतीय नागरिक सम्मान पद्मश्री से अलंकृत किया था।
आपका पहला कविता-संग्रह 1971 में चोङप-फुसा और 1974 में दूसरा कविता-संग्रह चो-ई सिजिप प्रकाशित हुआ। आपकी कविताओं के हिंदी, चीनी, मलय, जापानी, फ्रांसीसी तथा अंग्रेजी सहित कई अन्य भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। आपको 1973 में ताइपेई में आयोजित द्वितीय विश्व कवि सम्मेलन में म्यूज ऑफ वर्ल्ड पोएट्री अवार्ड, 1979 में बाल्टीमोर में आयोजित तृतीय विश्व कवि सम्मेलन में डिप्लोमा औरेयुन ऑनोरिस कौसा, 1986 में मॉडर्न कोरियन पोएट्री अवार्ड तथा कोरियन पेन क्लब की तरफ से 2002 में पेन लिटरेरी अवार्ड प्रदान किया गया था।