असमिया स्वागत से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अभिभूत

सत्यनारायण मिश्र / न्यूज़ गेटवे /  असमिया स्वागत / गुवाहाटी। /

अपने पहले आधिकारिक असम भ्रमण में रूपसी असम भूमि के रंग में रंग गए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने युवा पीढ़ी को चाणक्य जैसी निष्ठा, ईमानदारी और प्रामाणिकता को लेकर देशहित में चलने का आह्वान किया। महान मगध साम्राज्य के युग के अखंड भारत की कसक अपने भाषण में व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कभी अफगानिस्तान, म्यांमार और लगभग सारे दक्षिण पूर्व एशियाई देश जिस महान साम्राज्य के अंग थे, वह भारत आज बिखर गया है। सोमवार की शाम पूर्वोत्तर के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण उच्चशिक्षा संस्थान गौहाटी विश्वविद्यालय में अपने नागरिक अभिनंदन से अभिभूत राष्ट्रपति कोविंद ने अपने बौद्धिक संभाषण में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उम्मीद जताई कि अपनी उपजाऊ जमीन, प्रचुर प्राकृतिक संसाधन, सौंदर्य और अच्छी शिक्षा के बल पर असम की जनता राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक नए अध्याय को लिखने जा रही है।

राज्य के शिक्षा विभाग के कार्यों की विशेष तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने असम से जुड़ी हर उस बात और विभूतियों का जिक्र किया, जिनका वृहत्तर और गौरवशाली असम के निर्माण में अपने-अपने युग में विशेष योगदान था। सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका के विख्यात गीत असम आमार रुपही..का असमिया भाषा में ही जयगान करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने गौहाटी विवि परिसर के बगल में उस महान विभूति का समाधि-क्षेत्र बनाने की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे न केवल असम बल्कि पूरे भारत की महान संस्कृति का एक अन्यतम उदाहरण बताया।

 

खासतौर से विद्यार्थियों का राष्ट्रपति ने विशेष आह्वान किया। देश की आजादी के कुछ समय बाद ही बने गौहाटी विश्वविद्यालय की प्रशंशा करते हुए उन्होंने नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों को सही
मायनों में विश्वविद्यालयों की संज्ञा दी। राष्ट्रपति ने कहा कि उन विश्विद्यालयोंं ने राष्ट्र निर्माण के साथ वसुधैव कुटुम्बकम की बात दुनिया को सिखाई थी। यह पाठ उन्होंने नहीं पढ़ाया होता तो न तो हम दुनिया के अन्य देशों को अपने साथ नहीं जोड़ पाते।

बराक नाम को लेकर राष्ट्रपति की रोचक जानकारी

 

>>  ब्रह्मपुत्र और बराक ये वृहत्तर असम की दो जीवन रेखाएं हैं।
इसमें किसी को दो मत नहीं है। ब्रह्मपुत्र के नाम से ही उसे यह संज्ञा
देने का भान हो जाता है। लेकिन कितने लोगों ने सोचा होगा कि बराक नाम
क्यों पड़ा। किसी और ने सोचा हो या नहीं, हमारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
ने ने केवल सोचा, बल्कि अपने सचिवालय को इसकी पड़ताल में लगा जान ही लिया
कि इसका अर्थ समृृद्धि से जुड़ा है।
जी हां! यह बात स्वयं राष्ट्रपति कोविंद ने अपने नागरिक अभिनंदन समारोह
में साझा की। यह बताते समय उनका तरीका भी काफी रोचक रहा। राष्ट्रपति ने
बताया कि बराक नाम को लेकर अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए उन्होंने
राष्ट्रपति सचिवालय के विशेषज्ञों को ही लगा दिया था।
किंचित हास्य भरे लहजे में उन्होंने कहा कि उनके मन में कहीं यह भी था कि
कदाचित यह अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ेसे तो नहीं जुड़ा। काफी
खोजबीन के बाद पता चला कि कीनियाई भाषा में यह शब्द पाया गया है। वहां
इसका अर्थ सौभाग्यशाली होने से जुड़ा है। अब अगर इसे कोई ओबामा से भी
जोडना चाहे तो कहा नहीं जा सकता। क्योंकि दो बार अमरीका के राष्ट्रपति
बनना सौभाग्य का विषय तो है ही।
लेकिन, श्री कोविंद के मुताबिक, उन्हें लगता है कि बराक नदी का नाम उस
क्षेत्र के किसी समय काफी समृद्धशाली रहने के कारण किया गया होगा। बराक
नदी घाटी की आज की परिस्थिति के आलोक में राष्ट्रपति ने कहा कि अब यह तो
हम लोगों पर निर्भर करता है कि हम अपने सौभाग्य को किस स्तर पर ले आते
हैं।
राष्ट्रपति ने सोमवार को ही दिन में सिलचर में आयोजित नमामि बराक महोत्सव
समारोह का समापन किया था।

राष्टपति के अनुसार हमारी विश्विद्यालयीन परंपराएं सदियों पुरानी हैं। चाणक्य का दर्शन हमारे सामने है। चाणक्य ने महान मगध साम्राज्य के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण नहीं किया होता तो आज हम इस रूप में नहीं होते।

इसके पहले मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने राष्ट्रपति कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद का असमिया परंपरा से स्वागत व सम्मान किया। गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति मृदुल हजारिका ने स्वागत भाषण पढ़ा। सम्मान समारोह में राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी के अलावा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी विचार जताए। मुख्य सचिव वीके पिपरसेनिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर स्थानीय सांसद विजया चक्रवर्ती, विधायक रमेन कलिता और मेयर मृगेन शरणिया सहति क्षेत्र के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के
अलावा राज्य सरकार के कई मंत्री-विधायक भी मौजूद रहे।

इंसानियत को बढ़ावा देते हुए सर्वांग विकसित असम बना रहे हमः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के मुताबिक अपने लगभग डेढ़ साल
के कार्यकाल में उनकी सरकार ने नए असम को गढ़ने, भ्रष्टाचार मुक्त समाज
बनाने और राज्य के सर्वांग विकास को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है। उनका
पूरा जोर टीम असम बना कर यह लक्ष्य हासिल करने पर है।
मौका था गौहाटी विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नागरिक
अभिनंदन का। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के सामने अपनी सरकार के कामकाज का
संक्षिप्त ब्यौरा रखते हुए कहा कि उनकी सरकार का सारा जोर इंसानियत को
बढ़ावा देते हुए आगे बढ़ने पर टिका है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है
कि अपनी कर्मभूमि में ईमानदारी से काम किया जाए।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को बताया कि उनकी सरकार ने असम के सर्वांग
विकास के लिए चार अहम लक्ष्य निर्धारित किए हैं। वे हैं- विदेशी मुक्त
असम, भ्रष्टाचार मुक्त असम, प्रदूषण मुक्त असम और आतंकवाद मुक्त असम।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास मूल मंत्र पर आधारित
इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में उनकी सरकार काफी संजीदा है।
राष्ट्रपति के सामने अपनी सरकार के कामकाज का हवाला देते समय मुख्यमंत्री
ने नागरिक अभिनंदन सभा में वित्त, स्वास्थ्य व शिक्षा मंत्री हिमंत विश्व
शर्मा की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि शर्मा के कारण शिक्षा और
स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार आया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि देश भर के विश्वविद्यालयों  में
गौहाटी विश्वविद्यालय को पहले 27 में शामिल किया गया है। यह बहुत
महत्वपूर्ण है।

पीजी स्तर तक होगी विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तक व्यवस्थाः हिमंत

राज्य के वित्त, शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व
शर्मा के मुताबिक असम के सामने इस समय दोतरफा चुनौतियां हैं। एक तरफ
आर्थिक चुनौतियां हैं तो दूसरी तरफ विकास की चुनौती है। सरकार दोनों
चुनौतियों से दृढ़ता पूर्वक मुकाबला करते हुए आगे बढ़ रही है।
सोमवार को गौहाटी विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नागरिक
अभिनंदन समारोह में उन्होंने ये विचार जताए। जुलाई में राष्ट्रपति पद
संभालने के इतने कम समय बाद असम दौरे पर आने को उन्होंने अत्यंत
महत्वपूर्ण बताया। मंत्री शर्मा के मुताबिक इससे असम के शैक्षिक जगत को
काफी बढ़ावा मिलेगा।

मंत्री शर्मा ने कहा कि विकास और आर्थिक चुनौतियों के साथ राज्य सरकार के
सामने एनआरसी का काम सुचारु और शुद्ध तरीके से पूरा कराने का बड़ा लक्ष्य
भी है। इन सबके बीच उनका मानना है कि शिक्षा ही विकास की नींव है।
राष्ट्रपति का नागरिक अभिनंदन समारोह इन्हीं तमाम बातों को ध्यान में रख
गौहाटी विश्वविद्यालय में रखा गया है।

उन्होंने बताया कि अगले पांच साल में राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों
में एक-एक नए कॉलेज की स्थापना होगी। सांस्कृतिक विश्वविद्यालय खोलने का
निर्णय ले लिया गया है। कुल 134 कॉलेजों का प्रादेशिकरण हुआ है। गरीबी
रेखा से नीचे और एक लाख सालाना से कम आमदनी वाले परिवारों के चार लाख
विद्यार्थियों को हायर सेकेंडरी से विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त शिक्षा
दी जाएगी।

राष्ट्रपति के सामने अपने विभाग के अच्छे कदमों का बखान करते समय शिक्षा
मंत्री ने कहा कि अभी तो 11 से 12 तक के विद्यार्थियों को मुफ्त किताबें
देने का विधान है। उन्होंने तय किया है कि बाद में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर
तक सभी विद्यार्थियों को मुफ्त किताबें दी जाएं, ताकि सबको शिक्षा का
लक्ष्य हासिल किया जा सके।

अगले पांच साल में असम को देश के पांच सबसे विकसित राज्यों में शामिल
करने के सरकार के संकल्प का राष्ट्रपति के सामने हवाला देते हुए मंत्री
शर्मा ने चार अन्य मेडिकल कॉलेजों, छह इंजीनियरिंग कॉलेजों और 22 आईटीआई
स्थापना की बात भी कही।

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