नगालैंड में नहीं चलता कानून का शासन
सत्य नारायण मिश्र / न्यूज़ गेटवे / कानून का शासन / गुवाहाटी /
नगालैंड में नहीं चलता कानून का शासन, उग्रवादी खुले आम वसूल रहे रंगदारी टैक्स . पुलिस के सामने जला दिए जाते हैं बिना टैक्स वाहन या अगवा हो जाते हैं चालक .
नगालैंड है बेशक भारत गणराज्य का एक बेमिसाल राज्य। वहां भी भारत के राष्ट्रपति की ओर से तमाम संवैधानिक दिशा-निर्देश जारी होते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कई साल से नगालैंड एक तरह से उग्रवादी विद्रोही
संगठनों का हुक्म मानने को लाचार-सा हो गया है। उग्रवादियों के भूमिगत संगठन भी उतने ही स्वच्छंद हैं, जितने ओवरग्राउंड सेगठन। इनका अपना शासन अपना प्रशसन और अपनी कर उगाही दरें हैं। नगालैंड में आना-जाना, रहना या कारोबार आदि करना है तो इनको निर्धारित टैक्स देना ही होगा। केंद्र अथवा राज्य सरकारें कुछ भी दावा करती फिरें।
जी हां, यह वह सच्चाई है जो नगालैंड में कारोबार करने वाले भोगते हैं। हालात ये हैं कि अब तो इन संगठनों ने अपनी टैक्स दरें भी बढ़ा दी हैं। बढ़ी दरों पर टैक्स दो, पूरी शांति के साथ नगालैंड में कारोबार करो। नहीं तो राम-राम सत्य। या फिर भागो वहां से।
तीन सप्ताह होने को हैं, असम से नगालैंड जाने वाली यात्री बसों के पहिये आगे नहीं बढ़े। उग्रवादी और इनके छाया संगठनों ने यात्री बसों पर भी भारी टैक्स लगा दिए हैं। मांगी जा रही रकम देने में असमर्थ बस संचालक लगभग 15दिन से अधिक समय से अपनी सेवाएं रोके हुए हैं।
डिमापुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री इन संगठनों की जबरन उगाही से खासी चिंतित है। उसके मुताबिक भूमिगत संगठन डिमापुर के व्यापारियों से कई तरह से अवैध टैक्स जैसे कि वार्षिक टैक्स, एजेंसी टैक्स, गेट टैक्स,ट्रांसपोर्ट टैक्स, डीलरशिप टैक्स, वस्तुओं पर टैक्स और सिंडिकेट टैक्स वसूलते हैं, सरल शब्दों में कहा जाए तो व्यापारियों को 10 से 15 हजाररुपए बतौर टैक्स देना पड़ता है।
चैंबर के अध्यक्ष के बयान के मुताबिक व्यापारी समज पूरी तरह से असुरक्षित महसूस कर रहा है। नगालैंड क्या इस तरह से अवैध टैक्स के बाद दुनिया में कहीं भी कारोबार नहीं बढ़ सकते। बहुत जल्द हालात नहीं सुधरे तो हर तरह के कारोबार बंद करने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाएगा।
अभी कुछ समय ही हुआ है, जब नगालैंड में सत्ता बदली है। दावा किया जाने लगा है कि वहां अब शांति की बयार बहने लगी है। दहशत के साये में बह रही यह शांति की बयार उग्रवादी संगठनों की क्रीत-दास के सिवा कुछ और नहीं हैं।
नगालैंड के प्रमुख व्यापारिक केंद्र डिमापुर व राजधानी कोहिमा में छोटे से लेकर कुछ बड़े कहे जाने वाले कारोबार में लगे व्यापारियों और ट्रांस्पोर्टरों का दुखड़ा सुनने वाली कोई सरकार सामने नहीं आ रही, ने केंद्र और ना ही राज्य।
कोहिमा व डिमापुर में काम करने वाले कुछ ट्रांस्पोर्टरों के मुताबिक गुवाहाटी से इंफाल सामान्य माल लेकर जाने वाले छह चक्के के ट्रक से यूनिफिकेशन गुट आठ हजार, एनएससीएन (आईएम) नौ हजार, आर गुट तीन हजार और एफजीएन नामक एक अन्य गुट दो हजार रुपए वसूलते हैं। अगर यही ट्रक स्टील-लोहा लादकर जाते हैं तो प्रति ट्रक टैक्स दर 15, 10 और चार हजार रुपए हो जाती है। जबकि सीमेंट लादकर जाने वाले ट्रक से आईएम पांच हजार, यूनिफिकेशन गुठ पचास हजार और आर व एफजीएऩ गुट तीन-तीन हजार रुपए वसूलते हैं।
इसी तरह डिमापुर जाने वाले मिक्स्ड माल के लिए आईएम प्रति ट्रक (छह चक्का) पांच हजार, यूनिफिकेशन गुट साढ़े चार हजार वसूलते हैं। दस चक्के वाले ट्रक पर यही दर दस और सात हजार रुपए हो जाती है। ये तमाम दरें एक माह पहले आधी थीं।
मिली जानकारी के मुताबिक ये सारी वसूली लाहोरीजान गेट के पास ही कर ली जाती है। उसी के बाद ट्रक और यात्री वाहन डिमापुर में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ पाते हैं। अगर कोई ट्रक या अन्य वाहन बिना टैक्स अदा किए किसी प्रकार आगे बढ़ने में कामयाब हो भी जाता है तो या तो उसे फूंक दिया जाता है अथवा फिर उसके चालक का अपहरण कर लंबी फिरौती वसूली जाती है। नगालैंडपुलिस यह सब देखती रहती है।