एक शख्सियत नाम है ‘कोटा नीलिमा’.
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न्यूज़ गेटवे / ललित कला अकादमी / नई दिल्ली /
रबिन्द्र भवन की ललित कला अकादमी में इन दिनों जानी-मानी चित्रकार कोटा नीलिमा के चित्रों की प्रदर्शनी लगी हुई है. इनके द्वारा रचित चित्रों की सुन्दरता देखते ही बनती है. कोटा नीलिमा विजयवाड़ा (आन्ध्र प्रदेश) की रहने वाली हैं और एक चित्रकार होने के साथ-साथ ये लेखिका और पत्रकार भी हैं.
कलाकार एक पात्र है, जिसमें हर जगह से भावनाएं आकर गिरतीं है, जैसे – आकाश से, पृथ्वी से, रद्दी से, गुज़रती हुई आकृति से, मकड़ी के जाले से आदि. इन्हीं से प्रेरित होकर एक चित्रकार अपने विचारों को कागज पर उकेरता है और दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है. ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है ‘कोटा नीलिमा’.
रबिन्द्र भवन की ललित कला अकादमी में इन दिनों जानी-मानी चित्रकार कोटा नीलिमा के चित्रों की प्रदर्शनी लगी हुई है. इनके द्वारा रचित चित्रों की सुन्दरता देखते ही बनती है. कोटा नीलिमा विजयवाड़ा (आन्ध्र प्रदेश) की रहने वाली हैं और एक चित्रकार होने के साथ-साथ ये लेखिका और पत्रकार भी हैं.
इस चित्र प्रदर्शनी का विषय “Metaphors of the Moon” है. जिसमें चन्द्रमा की खूबसूरती और उसके अलग-अलग रूपों को प्रकृति के साथ जोड़कर बेहद सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है. कोटा नीलिमा की चित्र रचना आम लोगों की आध्यात्मिकता को दर्शाती है, खासकर जो लोग गांवों में रहते हैं. चन्द्रमा के अलग-अलग रूपों की ये श्रृंखला चंद्रमा और दिमाग की व्याख्याओं पर आधारित हैं जो बताती है कि कठिनाइयों, विफलता और निराशा के बावजूद जीवन के प्रति सुलह कैसे होता है.
कोटा नीलिमा ने सिर्फ चित्रकला से ही नहीं बल्कि किताबों के माध्यम से भी भारतीय दार्शनिक विचारों की पड़ताल की है. इन्होंने कई चर्चित किताबें भी लिखी हैं, जिनमें Widows of Vidarbha Making of Shadows (2018), Tirumala: Sacred Foods of God (2017), Riverstones (2016) – Reprint, The Honest Season (2015), Shoes of the Dead (2013), Tirupati: A Guide to Life (2012), Death of a Moneylender (2016) – Reprint प्रमुख हैं.
कोटा नीलिमा के चित्रों की प्रदर्शनी इंडिया हैबिटैट सेंटर, ललित कला अकादमी के अलावा चीन, बेल्जियम आदि देशों में कला प्रेमियों का मन मोह चुकी हैं.