सत्य नारायण मिश्र  / न्यूज़ गेटवे / एनआरसी  / गुवाहाटी /

जिस समय सारे असम में नागरिकता कानून संशोधन विधेयक और एनआरसी अद्यतन को लेकर प्रतिक्रियाओं का ज्वार उठा है, विदेशी न्यायाधिकरण ने सत्ताधारी भाजपा के एक विधायक की नागरिकता पर ही उंगली उठा दी है।
न्यायाधिकरण ने भाजपा विधायक किशोर नाथ और उनकी पत्नी सहित परिवार के छह सदस्यों को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने का नोटिस जारी किया है।

भाजपा विधायक के अनुसार यह सब पहले की कांग्रेस शासन की करनी का फल है। इस बीच सत्ताधारी पार्टी के ही एक विधायक पर संदिग्ध मतदाता (डी-वोटर) होने के संदेह ने सारे राज्य में तूफान-सा ला दिया है। विपक्षी पाटिर्र्यां और अन्य अनेक संगठन इसे बड़ा मुद्दा बना आंदोलन के मूड में दिखाई दे रहे हैं।

यह नोटिस बराक घाटी में बरखोला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक किशोर नाथ को कछार के विदेशी न्यायाधिकरण नंबर-1 की ओर से भेजा बताया गया है। समान नोटिसें विधायक नाथ की पत्नी नीलिमा नाथ, चार भाइयों मतीलाल नाथ,
प्रदीप नाथ, जगदीश नाथ और मानिक नाथ के अलावा नजदीकी रिश्तेदार राखी नाथ को भी भेजे हैं।

नोटिसों में कहा बताया गया है कि जल्द से जल्द ये सब संबंधित विदेशी न्यायाधिकरण पहुंच कर खुद के भारत का नागरिक होने की बात साबित करें। अन्यथा उनके खिलाफ आवश्यक विधिक कार्रवाई करनी पड़ेगी।

दूसरी ओर विधायक नाथ ने मीडिया के एक वर्ग के सामने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वर्ष 2008 से वर्ष 2011-12 तक भी एनआरसी का कार्य चल रहा था। तबकी कांग्रेस सरकार ने पुलिस की सीमांत इकाई को विदेशियों को पकड़ने का निर्देश दिया था।

सरकारी निर्देश के बाद अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ अधिकारियों ने कार्यालय अथवा कार्यालय में बैठे-बैठे ही कुछ लोगों के नाम संदिग्ध बांग्लादेशी के रूप में शामिल कर लिए थे। विधायक के अनुसार उनका और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का नाम भी इसी तरह संदिग्ध बांग्लादेशी के रूप
में शामिल हो गया

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