मोदी ने पूछा , क्या कांग्रेस को आपातकाल वाले भारत की चाह है
न्यूज़ गेटवे / लोकतंत्र पर खतरे का आरोप / नई दिल्ली /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न्यू इंडिया’ को सवालों के कठघरे में खड़ा कर रहे विपक्ष को शायद इसका अहसास नहीं था कि जवाब देने मोदी उतरेंगे तो पुराने भारत की हर परत खोल देंगे। दोनों सदनों में राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस की लोकतांत्रिक परंपरा पर तंज किया, बल्कि यह पूछ भी लिया कि विपक्ष किस पुराने भारत की मांग कर रहा है- आपातकाल वाले भारत की, घोटाले की या फिर उस दंगे वाले भारत की जिसमें हजारों सिख भाई मारे गए थे? उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी स्वार्थ से उठकर बड़ी सोच के साथ कदम नहीं उठा पाई और देश यहीं पीछे रह गया। लगभग डेढ घंटे के भाषण में उन्होंने कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश तक को चुनावी संदेश भी दे दिया।
बजट सत्र में एकजुटता और आक्रामकता के साथ सरकार को घेरने की विपक्ष की रणनीति का जवाब पीएम ने भी आक्रामकता से ही दिया। पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में उन्होंने अधिकतर सवालों का जवाब इतिहास की याद दिलाते हुए ही दिया। कांग्रेस की ओर से लोकतंत्र पर खतरे का आरोप लगाया था। मोदी ने कांग्रेस के पूरे काल को परिवारवाद के आसपास घिरे लोकतंत्र में समेट दिया। उन्होंने कहा कि अगर सचमुच लोकतंत्र का पालन किया गया होता तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं सरदार वल्लभभाई पटेल होते और आज कश्मीर का दंश न झेलना पड़ता। परोक्ष तौर से राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर भी व्यंग करते हुए उन्होंने कहा- कभी किसी ने सुना कि हुमायूं के बाद अकबर को चुनकर आना पड़ा था.? मोदी कांग्रेस नेता जयराम रमेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने ही कहा है कि सल्तनत चली गई लेकिन सुल्तान की तरह व्यवहार करना नहीं भूले।
दूसरी ओर कांग्रेस देश हित से जुड़े मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नहीं आ रही है। पीएम मोदी ने डोकलाम के वक्त राहुल गांधी के चीनी राजदूत से मिलने का भी हवाला दिया और कहा कि क्या यह भारतीय सैनिकों के मनोबल के अच्छा था? या फिर सर्जिकल स्ट्राइक पर ओछी राजनीति देश के लिए फायदेमंद थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही छोटी सोच कांग्रेस की वर्तमान दशा के लिए जिम्मेदार है और अगर इसमें बदलाव नहीं आया तो यहीं गुजारा भी करना होगा।
प्रधानमंत्री के भाषण से ठीक पहले टीडीपी के सदस्य वेल में आकर विशेष पैकेज न देने का विरोध कर रहे थे। प्रधानमंत्री खड़े हुए तो आंध्र से सहानुभूति जताते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जिस तरह आंध्र और तेलंगाना का विभाजन हुआ उसका दर्द अब तक महसूस हो रहा है। वहीं कर्नाटक से आने वाले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को याद दिलाया कि वह रेल मंत्री रहते हुए भी अपने क्षेत्र में रेल लाइन नहीं बिछा पाए थे। फिर कांग्रेस पूरे प्रदेश का विकास कैसे करेगी? कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और खड़गे के संबंधों पर भी उन्होंने तंज किया।