मोदी ने पूछा , क्या कांग्रेस को आपातकाल वाले भारत की चाह है

FILE PHOTO - India's Prime Minister Narendra Modi speaks to the media inside the parliament premises on the first day of the winter session in New Delhi, India, November 16, 2016. To match Analysis INDIA-MODI/CORRUPTION-BANKS. REUTERS/Adnan Abidi/File Photo

न्यूज़ गेटवे / लोकतंत्र पर खतरे का आरोप / नई दिल्ली / 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न्यू इंडिया’ को सवालों के कठघरे में खड़ा कर रहे विपक्ष को शायद इसका अहसास नहीं था कि जवाब देने मोदी उतरेंगे तो पुराने भारत की हर परत खोल देंगे। दोनों सदनों में राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस की लोकतांत्रिक परंपरा पर तंज किया, बल्कि यह पूछ भी लिया कि विपक्ष किस पुराने भारत की मांग कर रहा है- आपातकाल वाले भारत की, घोटाले की या फिर उस दंगे वाले भारत की जिसमें हजारों सिख भाई मारे गए थे? उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी स्वार्थ से उठकर बड़ी सोच के साथ कदम नहीं उठा पाई और देश यहीं पीछे रह गया। लगभग डेढ घंटे के भाषण में उन्होंने कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश तक को चुनावी संदेश भी दे दिया।

बजट सत्र में एकजुटता और आक्रामकता के साथ सरकार को घेरने की विपक्ष की रणनीति का जवाब पीएम ने भी आक्रामकता से ही दिया। पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में उन्होंने अधिकतर सवालों का जवाब इतिहास की याद दिलाते हुए ही दिया। कांग्रेस की ओर से लोकतंत्र पर खतरे का आरोप लगाया था। मोदी ने कांग्रेस के पूरे काल को परिवारवाद के आसपास घिरे लोकतंत्र में समेट दिया। उन्होंने कहा कि अगर सचमुच लोकतंत्र का पालन किया गया होता तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं सरदार वल्लभभाई पटेल होते और आज कश्मीर का दंश न झेलना पड़ता। परोक्ष तौर से राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर भी व्यंग करते हुए उन्होंने कहा- कभी किसी ने सुना कि हुमायूं के बाद अकबर को चुनकर आना पड़ा था.? मोदी कांग्रेस नेता जयराम रमेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने ही कहा है कि सल्तनत चली गई लेकिन सुल्तान की तरह व्यवहार करना नहीं भूले।

 राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि उन्हें नया भारत नहीं चाहिए। पुराना भारत लौटा दीजिए। पीएम ने पूछा कौन सा? आपातकाल से लेकर सिख दंगे की याद कांग्रेस को कितना परेशान करती है यह जग जाहिर है। और यही कारण है कि लोकसभा में जहां कांग्रेस और वाममोर्चा के सदस्यों ने पूरे भाषण के दौरान शोर शराबा और नारेबाजी की। वहीं राज्यसभा में पीएम के चुभते हुए सवालों पर कांग्रेस चुप दिखी। कांग्रेस की योजनाओं का नाम बदलकर चलाने के आरोप का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह राजनीतिक सोच के साथ शासन नहीं करते हैं। आधार और जीएसटी की शुरूआत भी कांग्रेस के काल में हुई थी लेकिन सोच बड़ी नहीं थी। राजग सरकार ने उसे सही गति और दिशा दी। उन्होंने कहा- ‘हम ऐम चेजर्स हैं नेम चेंजर्स नहीं।’ हम लक्ष्य तय कर समयावधि के अनुसार उसे पूरा करते हैं। और यही कारण है वर्षो से अटकी परियोजनाओं को परवान चढ़ाया जा रहा है। लालफीताशाही की जकड़न को हटाकर निर्णय लिए जा रहे हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस देश हित से जुड़े मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नहीं आ रही है। पीएम मोदी ने डोकलाम के वक्त राहुल गांधी के चीनी राजदूत से मिलने का भी हवाला दिया और कहा कि क्या यह भारतीय सैनिकों के मनोबल के अच्छा था? या फिर सर्जिकल स्ट्राइक पर ओछी राजनीति देश के लिए फायदेमंद थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही छोटी सोच कांग्रेस की वर्तमान दशा के लिए जिम्मेदार है और अगर इसमें बदलाव नहीं आया तो यहीं गुजारा भी करना होगा।

कर्नाटक में अगले दो तीन महीने में चुनाव है और आंध्र प्रदेश की राजनीति सरकार को असहज कर रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर जवाब देते हुए दोनों राज्यों को भी साधने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री के भाषण से ठीक पहले टीडीपी के सदस्य वेल में आकर विशेष पैकेज न देने का विरोध कर रहे थे। प्रधानमंत्री खड़े हुए तो आंध्र से सहानुभूति जताते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जिस तरह आंध्र और तेलंगाना का विभाजन हुआ उसका दर्द अब तक महसूस हो रहा है। वहीं कर्नाटक से आने वाले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को याद दिलाया कि वह रेल मंत्री रहते हुए भी अपने क्षेत्र में रेल लाइन नहीं बिछा पाए थे। फिर कांग्रेस पूरे प्रदेश का विकास कैसे करेगी? कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और खड़गे के संबंधों पर भी उन्होंने तंज किया।

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