हे प्रभो आनंद दाता…
हे प्रभो आनंद दाता
जन्म के बाद चैतन्य होने पर जिस पहली प्रार्थना को हम में से प्रायः ने तोतले स्वर में गाया वह है ..हे प्रभु आनंद-दाता ..इस महान प्रार्थना के रचयिता हैं पं. रामनरेश त्रिपाठी आज उनका जन्मदिन है (4 मार्च, 1889 – 16 जनवरी, 1962)। आइये उन्हें स्मरण करते हुए इस प्रार्थना को गुनगुनाएं और सुनें..
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए,
लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,
दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
जाये हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,
हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…
योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,
ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये…