हिन्दू-यहूदी अस्मिता की लिखी गयी नयी कहानी
न्यूज़ गेटवे / हिन्दू-यहूदी अस्मिता / नई दिल्ली /
मुस्लिम आतंकवादी भारत और इस्राइल के समान दुश्मन है। भारत को भविष्य में फिलिस्तीन पर कोई निर्णय लेने से पहले इस्राइल की सुरक्षा को भी ध्यान में रखना चाहिए।
सबसे बडी बात यह है कि मुबंई हमले के घाव फिर हरे हुए हैं। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उस बच्चे को भी साथ लेकर आये हैं जो बच्चा मुबंई हमले में बच गया था। उल्लेखनीय है कि मुबंई पर 2008 में पाकिस्तान के मुस्लिम आतंकवादियों का हमला हुआ था। जेहादी इस्लाम से प्रेरित मुबंई हमले में यहूदी और हिन्दू अस्मिता एक सम्मान तौर पर निशाने पर थी। मुस्लिम आतंकवादियों ने मुबंई के उन बस्तियों और क्षेत्रों को निशाना बनाया था जहां पर खासकर यहूदी आबादी रहती थी। कई यहूदी इस जेहादी इस्लाम से प्रेरित हमले में शिकार भी बने थे।
यहूदी भारत को अपना दूसरा घर मानते हैं। यहूदियों को भारत में कोई परेशानी नहीं है, यहूदी भी भारत की अस्मिता और सुरक्षा में कोई समस्या खडी नहीं करते हैं। पर पाकिस्तान और पाकिस्तान द्वारा पाले गये मुस्लिम आतंकवादी यहूदी और हिन्दू दोनों को अपने निशाने पर रखते हैं।
एक ओर जहां पाकिस्तान और इस्लामिक जेहाद से प्रेरित मुस्लिम आतंकवादी भारत का इस्लामिककरण करना चाहते हैं, आतंकवाद और हिंसा के बल पर कश्मीर को हडपना चाहते हैं तो दूसरी ओर इस्राइल और यहूदी की अस्मिता को कुचल कर फिलिस्तीन की अस्मिता का परचम लहराना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि फिलिस्तीन में इस्राइल विरोधी मुस्लिम आतंकवाद हमेशा चरम पर रहता है। इसलिए पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुस्लिम आतंकवादियों के खिलाफ भारत और इस्राइल के संयुक्त अभियान और वैचारिक साझेदारियां समय की मांग है। जाहिरतौर पर मुस्लिम आतंकवादी भारत और इस्राइल के सामान दुश्मन है। पर भारत को भी मुस्लिम सोच से मुक्ति चाहिए।
नरेन्द्र मोदी सरकार ने यूएनओ में इस्राइल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में वोट कर दोस्ती नहीं दिखायी बल्कि दुश्मनी ही दिखायी थी। भारत को भविष्य में फिलिस्तीन पर कोई निर्णय लेने से पहले इस्राइल की सुरक्षा को ध्यान में रखना चाहिए
फेसबुक : विष्णु गुप्त की वाल से