सरकार ने RTI में गुपचुप तरीके से अहम बदलाव किया

 देश में पारदर्शिता की मुहिम को केंद्र की मोदी सरकार ने करारा झटका दिया है। खास बात यह है कि सरकार ने RTI में गुपचुप तरीके से अहम बदलाव किया है।

इसका असर यह होगा कि एक निश्चित अवधि में सचिवालय की सूचनाओं को वीआईपी लोग ही हासिल कर सकेंगे। इस तरह पीएम मोदी के कार्यालय PMO से जुड़ी जानकारियों को आरटीआई से आम लोग हासिल नहीं कर सकेंगे।

दरअसल, सूचना का अधिकार अधिनियम के लिए नोडल मिनिस्ट्री जोकि कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री जितेंद्र सिंह के तहत आती है। हैरानी की बात यह है कि इस मंत्रालय ने चुपचाप केंद्रीय सचिवालय दफ्तर के 14वें एडिशन मैनुअल में एक छोटा लेकिन अहम बदलाव किया है।

इस बदलाव के तहत अब कोई भी जानकारी हासिल करने का अधिकार वीआईपी को ही मिल सकेगा। आम जनता को इस तरह की जानकारी हासिल करने रास्ता बंद कर दिया गया है। इस बदलाव की जानकारी उस समय पता चली जब एक सूचना हासिल करने के लिए एक आरटीआई दायर की गई।

दरअसल, नेशनल कैंपेन फॉर पीपल्स राइट टु इंफोरमेशन (NCPRI) ने पीएमओ से आरटीआई के जरिए पूछा था कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में खाली पड़े पदों के लिए क्या कार्यवाही की गई है? इसके बाद पता चला कि इस तरह की सूचना सिर्फ वीआईपी को दी जा सकती है।

NCPRI की अंजली भारद्वाज का इस बारे में कहना है, यह बदलाव बहुत अहम है। इसकी वजह है कि केंद्रीय सचिवालय दफ्तर के 14वें एडिशन के मैनुअल के 66 (1) पैरा में ‘मैंबर ऑफ पब्लिक’ की जगह ‘वीआईपी’ को डाल दिया गया है।

2010 में जारी 13वें एडिशन के मैनुअल में 66(1) पैरा कहता है कि हर जानकारी जो सांसद, मैंबर ऑफ पब्लिक, पंजिकृत संगठन या कोई पब्लिक बॉडी को 15 दिनों के भीतर जवाब दिया जाएगा। लेकिन 14वें एडिशन के मैनुअल के 66(1) पैरा अब सिर्फ MP/VIP को ही रखा गया है।

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