सन्दर्भ : धर्मयुग की याद / 7 अप्रैल को सुदीप जी का प्लैटिनम जुबली समारोह / ओम प्रकाश

धर्मयुग की याद आना , होली पर सबसे मिलने की बात सोचना , सुदीप जी का प्लैटिनम जुबिली समारोह मनाने का विचार

उड़त अबीर गुलाल ,
लाली छाई है 
लाल श्याम, लाल भाई राधे, लाल नवल ब्रिज बाल
लाली छाई है.

यह गिरिजा देवी का राग गारा में दादरा है- 
https://www.youtube.com/watch?v=CRVyFBfvku8
यह गीत इस होली धर्मयुग में मेरी सीनियर रहीं सविता मनचंदा को सादर समर्पित। अबीर गुलाल के टीके के रूप में. मुंबई से बाहर हैं तो फेसबुक मेसेंजर से—

अम्बर लाल, लाल भई जमुना, लाल गौएँ गोपाल; 
मोर चन्द्रिका लाल भयो है मोरे लाल विशाल 
लाली छाई है…

धर्मयुग परिवार में दो शादियां हुईं–एक, कन्हैया लाल नंदन जी की रामावतार चेतन जी की छोटी बहन से। दूसरी, श्री कैलाश सेंगर की सुमन सरीन से। श्री सुरेंद्र प्रताप सिंह की भी शादी पड़ोस की इलस्ट्रेटेड वीकली की शिखा त्रिवेदी जी से हुई . लेकिन तब वह दूसरे और चौथे महले के बीच का मामला था, और तब वे रविवार से लौट कर नव भारत टाइम्स के स्थानीय संपादक हो चुके थे। इनके अलावा कुछ प्रेम के किस्से हैं जो अकसरहाँ बड़े लोगों के हैं , उन्हें लिखना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। लेकिन, सविता ( अब पता चला उम्र में मैं बड़ा हूँ.) को इस होली , टीका लगाया है तो थोड़ी शरारत तो हो ही जाए।

सविता मनचंदा https://www.facebook.com/savita.manchanda.37 पत्रकार के अलावा शिक्षिका तो रही ही हैं, अच्छी नाटककार हैं, स्क्रिप्ट भी लिखती हैं, चित्रपट को भी अपनी आवाज देती हैं, और बहुत बेहतरीन फीचर्स और रिव्यु भी लिखती हैं। और, परिचय यह है- 
जन्म: 2 सितंबर 1955 । विवाह: 14 अक्टूबर 1978.। सेवानिवृत्त : 2015 भूतपूर्व मुख्य अध्यापिका ‘परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय’ , अणुशक्ति नगर, मुंबई ।

बहुत अच्छा परिवार है उनका —

पति: डाॅ विजयकुमार मनचंदा 
भूतपूर्व विशिष्ट वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष रेडिओरसायनिकी प्रभाग, बी ए आर सी एवं वरिष्ठ प्रोफेसर, एच बी एन आई ; अध्यक्ष ईएनकास एवं अध्यक्ष इनासेट; सदस्य संपादकीय मंडल रेडिओशीमिका एक्टा एवं सोलहवें एक्सट्रेक्शन एवं आइन एक्सचेंज।
भूतपूर्व प्रोफेसर एस के के यू , दक्षिण कोरिया।
इन दिनों अध्यक्ष अटाॅमिक एनर्जी वेलफेयर रिटायरीज़ वेलफेयर एसोसिएशन 
बेटी: गुंजन भाटिया, दामाद: गिरीश भाटिया। दोनों सिंगापुर में कार्यरत 
पोती: इशाना, पोता: रिशान
बेटा: यजुष मनचंदा , पूने में ‘दार’ में आर्किटेक्ट।

१९७८ में धर्मयुग में आया तो पैसेज के पास की वीकली के साइड की मेज पर एक खूब गोरी-चिट्टी, थोड़ी ललछौंह , गोल मुँहवाली, सुन्दर सी लड़की बैठती थीं। करीने से सजी, और काफी कुछ रिज़र्व। बगल के सतीश वर्मा जी से ही कुछ बातचीत। या फिर सरल जी से। उनसे तो होनी ही थी। 
धर्मयुग में महिला जगत का मामला आदि से अंत तक उन्हीं के हवाले रहा है, और 
मुझे लगता है, उन्हें क्रोशिये से स्वेटर वगैरह बुनने का भी थोड़ा ज्ञान था। तब माधुरी में रेखा देशपांडे जी थीं, हमारे धर्मयुग से एक बाड़ा पहले, और सविता जी का ज्यादा मिलना-जुलना मुझे लगता है रेखा जी तक सीमित था। या धर्मयुग के ऑफिस स्टाफ की श्रीमती उषा मखीजा 
से मिलना-जुलना था। उन दिनों हमारे फ्लोर पर हमारे एक वरिष्ठ सविता जी से ऐसे मंत्रमुग्ध हुए कि पूछिए मत। वे सविता जी की मेज के सामने पैसेज में तकरीबन आधे समय मंडराते रहते। हम सब मुस्कुराते। वे इसे जानते भी थे । सो हम लोगों को भी देखते रहते कि उन्हें सविता जी को देखते कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। ऐसे में जब कभी हम लोगों से उनकी देखा-देखी हो जाती तो उनके चहरे पर जो झेंप, जो बेबसी होती, उन्हें समेटे उनकी जो सलज्ज मुस्कान होती, वाह! वह वास्तव में बेजोड़ होती थी।

मुझे नहीं लगता कि वे बेचारे कभी सविता जी से अपने प्रेम का इज़हार कर पाए, कोई गीत वगैरह देना तो दूर; सो प्रिय मित्रो, सविता जी को , इस होली, समर्पित है गिरिजा देवी का यह दादरा —
अम्बर लाल, लाल भई जमुना, लाल गौएँ गोपाल; 
मोर चन्द्रिका लाल भयो है मोरे लाल विशाल 
लाली छाई है…
इस कामना के साथ कि आप खूब स्वस्थ, सानंद, समुन्नत रहें। वैसे ही स्वस्थ, सानंद, समुन्नत रहे आपका परिवार। आपके बच्चे बढ़ें, यशस्वी हों, खूब आनंद से रहें। सबको बारम्बार प्रणाम।

और आप कितना सुन्दर जीवन जी रही हैं! लिख रही हैं। नाटक कर रही हैं। डबिंग कर रही हैं । साहित्य की दुनिया में भी आपने जगह बनाई हुई है। नौकरी भी की। परिवार भी संभाला। 
और स्त्री चैतन्य की एक सजग दृष्टि भी विकसित की। आप उनकी फेसबुक वाल पर जाकर देख सकते हैं- किस खूबसूरती से और कितनी गहरी समझ से लिख रही हैं वे। फेसबुक वाल का लिंक एक बार फिर दे रहा हूँ–https://www.facebook.com/savita.manchanda.37.

इस साल की होली बहुत अच्छी गुज़री। होली के पहले पुष्पा जी से मिला। सरल जी, सुदीप जी, सुदर्शना जी से मिला। सुनील श्रीवास्तव जी , कैलाश सेंगर, अभिलाष अवस्थी, युगांक धीर से बात हुई। रवींद्र जी और राममूर्ति जी का नंबर ढूंढता रहा। होली के दिन सुदीप जी और भाभी जी को रंग लगाया। कुमार प्रशांत जी से खूब बातचीत हुई। उनके यहां खूब अच्छा बना मालपुआ खाया । अनुराग चतुर्वेदी जी से भी शाम होते -होते बात हो गयी। राज्यसभा के उपसभापति महोदय भी ये संस्मरण पढ़ रहे हैं, जान कर अच्छा लगा। कल उन्हें भी निमंत्रित कर लेता हूँ। कल विश्वनाथ जी के दर्शन होंगे। एक-दो और भी जो साथी छोटे हैं, उनसे भी दुआ -सलाम हो जाएगा।

धर्मयुग की याद आना

यह धर्मयुग की याद आना , होली पर सबसे मिलने की बात सोचना , सुदीप जी का प्लैटिनम जुबिली समारोह मनाने का विचार करना , यह सब जिन भोजपुरी संस्थाओं, आखर, अंजोर और भोजपुरिया के ओपन माइक कार्यक्रम में जाकर वहां रचनात्मक ऊर्जा के युवा प्रवाह को देख कर हुआ था, उन सभी मित्रों को भी होली की अनंत शुभकामनायें। अभिनेता राजू उपाध्याय ने कितनी सुन्दर तस्वीर भेजी है। एन्जॉय करें–

चित्र: परिवार के साथ सुश्री सविता मनचंदा 
श्री सुदीप और भाभी जी 
श्री राजू उपाध्याय 
फुलेना नाइट्स को देखने का एक न्योता

और मित्रों, मैंने कहा न , कि भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में आ रहे कुछ लड़कों ने मेरा मन मोह लिया है। तो होली पर जो लिखा है अभिषेक चौहान नेhttps://www.facebook.com/singh.abhishek150 उसे देखिये–

आशा बा, नहर में पानी आइल होई
आदमी के साथे साथे माल मवेशी भी रंगाईल होई
रान-सीना रान-सीना के उपदरव में, समहेरवे 
एगो खस्सी कटाईल होई
कही मैदा, कहीं सूजी, कही उड़िद, कही बेसन
कही, चौरेठा घोराइल होई
हई पेन्हेम, हऊ पेन्हेम के बकधुन में, कौनो लईका
भोरही-भोरही पिटाइल होई
बाँस वाला पिचकारी पता ना अब बनेला कि ना
बंदूक वाला जरूर किनाईल होई
केहू फगुआ गावत होई, कही छुतका पड़ल होई
केहू सपरिवार, ममहर-ददहर आईल होई
फूफा, मौसा लोग बाल्टी लेके घरे-घरे घूमत होईहे
केहू दुआरी प, केहू अँगना में धराइल होई
छिपुली में कतर के गड़ी-छोहाड़ा,आ एगो
अंगूर के झोंप रखाईल होई
घर से लेके दुआर तक, चौक से लेके बाजार तक
डेंगे डेंग अबीर छीटाइल होई
जे सबेरही से पी के गरिआवत होई, जरूर सेमत में 
ओकर छप्पर फूँकाइल होई
आशा बा नहर में पानी आइल होई
आदमी के साथे साथे माल मवेशी भी रंगाईल होई
गिद्ध, गौरैया, कौआ जइसन
होलिया ना बिलाईल होई..

होली के बहुत शुभकामना।

अमित झा की फिल्म फुलेना नाइट्स भी फेस्टिवल में दिखायी जा रही है। 
७ अप्रैल को सुदीप जी के प्लैटिनम जुबली समारोह में आप सभी मित्र सादर आमंत्रित हैं.

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