हरेक हिंदीभाषी , हरेक हिंदी प्रेमी को सादर निमन्त्रण 
आइए, भाषा, बोली, साहित्य और संस्कृति को समृद्ध करें 
समाज को साहित्य से और साहित्य को समाज से जोड़ें


धर्मयुग-सारिका-रविवार से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री सुदीप और धर्मयुग और माया-मनोरमा समूह से जुड़े रहे श्री रवींद्र श्रीवास्तव के अमृत महोत्सव पर उनकी रचनाओं के जरिये साहित्य और पत्रकारिता की सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक चेतना, और तत्सम्बन्धी जिम्मेदारी का अनुशीलन-अवगाहन।

दिनांक: रविवार, ७ अप्रैल 
स्थान: सावित्री देवी हरीराम अग्रवाल इंटरनेशनल स्कूल 
शंकर लेन , जैन मंदिर के सामने, कांदिवली ( पश्चिम) , मुंबई–४०००६७ 
समय: शाम ३.४५ से ८

आशीर्वचन: श्रीमती पुष्पा भारती

अध्यक्षता: पत्रकारिता के महाप्राण व्यक्तित्व पद्मश्री अभय छजलानी। 
विशिष्ट अतिथि,, साहित्य और पत्रकारिता से : श्री नन्द किशोर नौटियाल, श्री मनमोहन सरल, डॉ. अचला नागर, श्री विश्वनाथ सचदेव, डॉ. सुशीला गुप्ता, , डॉ. रतन कुमार पांडे, डॉ. करुणा शंकर उपाध्याय, डॉ. शीतला प्रसाद दुबे। 
विशिष्ट अतिथि, समाज से : श्री मिठाईलाल सिंह, श्री चंद्रकांत त्रिपाठी, श्री कृपाशंकर सिंह, श्री नसीम खान, श्री सुशील व्यास, श्री श्रीकांत डालमिया ( मुंबई मारवाड़ी सम्मेलन ) 
श्री आफताब बादशाह और समाजसेविका श्रीमती हीरावती गोपाल सिंह।

सम्माननीय व्यक्तित्व: कैंसर मरीज़ों की सेवा कर रहे आफताब भाई और उनकी टीम , श्री हृदयेश मयंक और चिंतन दिशा की टीम, श्री रमेश बहादुर सिंह और भारती प्रसार परिषद् की टीम, श्री उदय प्रताप सिंह, श्री बी ेंएन तिवारी व फेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज की टीम, श्री अश्विनी कुमार मिश्रा औइर निर्भय पथिक की टीम, श्री गंगा शरण सिंह, पत्रकार श्री धनञ्जय सिंह और श्री शशिकान्त सिंह ।

धर्मयुग परिवार से विशिष्ट उपस्थितियां : श्री राममूर्ति, श्रीमती सुदर्शना द्विवेदी, श्री कैलाश सेंगर, श्री युगांक धीर , श्री अभिलाष अवस्थी , श्री सुनील मेहरोत्रा, श्री विनीत अवस्थी। श्री कुमार प्रशांत, श्री सुनील श्रीवास्तव, सुश्री जयन्ती रंगनाथन और श्री आलोक श्रीवास्तव के सन्देश।

विशेष प्रस्तुतियां : श्री आबिद सुरती , श्री मुकुल नाग , डॉ. हूबनाथ पांडे, श्री हरि मृदुल , श्रीमती चित्रा जोशी, श्रीमती मंजू त्रिपाठी, श्री परितोष नरेंद्र शर्मा व श्रीमती ममता सिंह।

कार्यक्रम : शाम ३ बजे से कांदीवली पश्चिम में चारकोप के दयानन्द वैदिक विद्यालय से साहित्य की पालखी और दिंडी निकलेगी। इसमें डॉ. आम्बेडकर विद्यालय, भारत भारती , गांधी विद्या मंदिर के प्राचार्य और अध्यापक शामिल रहेंगे। ३. ४५ बजे इसे एसवीपी स्कूल पर श्री मिठाईलाल सिंह, श्री चंद्रकांत त्रिपाठी, श्री कृपा शंकर सिंह, श्री निज़ामुद्दीन राईन, श्री सैयद जलालुद्दीन, श्री अखिलेश सिंह ( एनसीपी ), श्री सुरेंद्र सिंह ( वर्ली) , श्री अजय यादव ( अध्यक्ष यादव संघ , मुंबई) , श्री राम उजागिर यादव , डॉ. बाबूलाल सिंह ( अध्यक्ष, अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा), श्री ओम प्रकाश सिंह, श्री हरिगोविंद सिंह तोमर, श्री राम नवल सिंह और श्री नरेंद्र सिंह ( अध्यक्ष, क्षत्रिय संगठन), सुश्री सुनीता सिंह ( उपाध्यक्ष, उत्तर क्षेत्रीय महिला मंच) , श्री राजेश सिंह ( अध्यक्ष: अखिल भारतीय मानवाधिकार एवं नागरिक विकल्प) , श्री राजकिशोर तिवारी ( अध्यक्ष परिवर्तन फाउंडेशन) , श्री पंकज गोपाल सिंह, श्री आर यू सिंह, श्री जय प्रकाश सिंह ( सांताक्रुज ) ,पूर्व विधायक श्री रमेश सिंह, श्री कालू बुधालिया , श्री श्रीकांत मिश्रा, श्री इंदु प्रकाश तिवारी , श्री रत्नेश सिंह, श्रीमती गीता यादव, डॉ. दौलत सिंह पालीवाल आदि हिंदी भाषी समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा रिसीव किया जाएगा। पालखी वहां से समाज द्वारा ढोई जाकर सभास्तरहल पहुंचेगी , और भारती जी के चित्र पर माल्यार्पण करके चर्चा शुरू होगी।

पत्रकारिता, साहित्य, लेखन और सार्वजनिक जीवन से जुड़े अनेक सुप्रसिद्ध नाम समारोह को सुशोभित करेंगे।

पालखी में हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों जैसे भारती जी, बच्चन जी, नागर जी, डॉ. राहुल सांकृत्यायन जी, नरेंद्र शर्मा जी, प्रदीप जी , डॉ, राही मासूम राजा, श्री कैफ़ी आज़मी, श्री राम नरेश मिश्र जैसे रचनाकारों की साहित्यिक कृतियाँ रहेंगी। धर्मयुग और नईदुनिया की पुरानी प्रतियां भी रहेंगी। रविवार की प्रतियां भी रखेंगे , और सुरेंद्र प्रताप सिंह जी को भी याद करेंगे।

सरदार पटेल स्कूल से लेकर सभास्थल तक पालखी और दिंडी की व्यवस्था संभालेंगी सुश्री चित्रा देसाई, सुश्री सविता मनचंदा, डॉ. जय श्री सिंह, श्रीमती सुनीता सिंह, सुश्री शुभम सिंह, सुश्री अनीता सर्वेश सिंह, और समाज की अन्य साहित्य शुभाकांक्षी महिलाएं। व्यवस्था करेंगे सर्व श्री जय शंकर तिवारी, राम आसरे सिंह, घनश्याम सिंह, राजन यादव, एस पी यादव, अमीन इदरीसी , दीपक यादव , विजय यादव,और शर्वेश सिंह।

कार्यक्रम पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान और मुंबई, मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है.

न्योता बंटना शुरू हुआ है। जैसे-जैसे और प्रमुख लोगों के आगमन की सूचना मिलेगा, अतिथियों और मान्य जनों की लिस्ट में अभिवृद्धि होती रहेगी।

पधारें और हिंदी और हिंदी समाज की समृद्धि में शामिल हों।

सुनें डॉ. धर्मवीर भारती की एक कविता– 
क्योंकि सपना है अभी भी / धर्मवीर भारती

क्योंकि सपना है अभी भी
इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल
कोहरे डूबी दिशाएं
कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिल
किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी
…क्योंकि सपना है अभी भी!

तोड़ कर अपने चतुर्दिक का छलावा
जब कि घर छोड़ा, गली छोड़ी, नगर छोड़ा
कुछ नहीं था पास बस इसके अलावा
विदा बेला, यही सपना भाल पर तुमने तिलक की तरह आँका था
(एक युग के बाद अब तुमको कहां याद होगा?)
किन्तु मुझको तो इसी के लिए जीना और लड़ना
है धधकती आग में तपना अभी भी
….क्योंकि सपना है अभी भी!

तुम नहीं हो, मैं अकेला हूँ मगर
वह तुम्ही हो जो
टूटती तलवार की झंकार में
या भीड़ की जयकार में
या मौत के सुनसान हाहाकार में
फिर गूंज जाती हो

और मुझको
ढाल छूटे, कवच टूटे हुए मुझको
फिर तड़प कर याद आता है कि
सब कुछ खो गया है – दिशाएं, पहचान, कुंडल,कवच
लेकिन शेष हूँ मैं, युद्धरत् मैं, तुम्हारा मैं
तुम्हारा अपना अभी भी

इसलिए, तलवार टूटी, अश्व घायल
कोहरे डूबी दिशाएं
कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धूंध धुमिल
किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी
… क्योंकि सपना है अभी भी!

कार्यक्रम की शुरुआत इस सपने के उल्लेख से शुरू होगी।

–ओम प्रकाश

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