शुगर लेवल मापने के ग्लोबल पैमाने से भारतीय डॉक्टर क्यों नहीं हैं सहमत
न्यूज़ गेटवे / शुगर लेवल मापने के ग्लोबल पैमाने / नई दिल्ली /
डायबिटीज़ के मरीज़ों का शुगर लेवल मापने के लिए हाल ही में बनाए गए एक नए ग्लोबल पैमाने पर भारतीय डॉक्टरों ने सवाल उठाए हैं. डॉक्टरों का मानना है कि भारतीयों की शारीरिक बनावट और खान-पान पश्चिमी देशों से अलग है. इसलिए – डायबिटीज़ मापने के लिए पश्चिमी देशों ने जो नया मानक तैयार किया है, वो भारतीयों के लिए ठीक नहीं हैं.
भारतीय डॉक्टरों का मानना है कि अगर ख़ून में शुगर लेवल छह दशमलव पाँच प्रतिशत है, तो ये चिंता का विषय है. लेकिन, अमेरिकी डॉक्टरों की सिफ़ारिश है कि टाइप 2 डायबटीज़ वाले रोगियों का इलाज करते समय शुगर लेवल सात से आठ प्रतिशत के बीच बनाए रखना चाहिए ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहे.
जबकि डायबिटीज़ मापने का पुराना मानक छह दशमल पाँच से 7 प्रतिशत हैं, इसीलिए भारतीय डॉक्टर ये सलाह मानने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि शुगर लेवल मापने के नये मानकों के आधार पर इलाज करने से मरीज़ों को भारी दिक्कत हो सकती है. इसलिए नये मानकों को अनदेखा कर देना चाहिए.
दरअसल भारतीय डॉक्टरों का ये भी मानना है कि एशिया के लोग ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का खाना खाते हैं, इसलिए डायबिटीज़ की सम्भावना ज़्यादा रहती है और दवाओं का असर भी यहाँ के मरीज़ों पर अलग होता है.