राहुल पर पार्टी का दबाव- चुनाव में दमखम दिखाना है तो माया-अखिलेश पर करना होगा वार

सभी 80 सीटों पर कांग्रेस को चुनाव लड़ना है तो माया व अखिलेश के खिलाफ मुखर होना पड़ेगा अन्यथा मैदान में उतरना खानापूरी भर ही रह जाएगा।

नई दिल्ली। सपा-बसपा के बीच चुनावी गठबंधन में कांग्रेस को ‘ठिकाने’ लगाए जाने से नाराज उत्तर प्रदेश कांग्रेस के तमाम नेता मायावती और अखिलेश को लेकर अब भी सियासी नरमी दिखाने का विरोध कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का साफ कहना है कि कांग्रेस को खुलकर अब यह कहने से गुरेज नहीं करना चाहिए कि भाजपा के फायदे के लिए सपा-बसपा ने यह गठबंधन किया है। कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने तो यह कहने से गुरेज भी नहीं कि सपा-बसपा ने भाजपा के फायदे के लिए यह गठबंधन किया है।

कांग्रेस को किनारे कर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए सपा-बसपा ने किया गठबंधन
माया-अखिलेश के दांव से चित सूबे के नेता और कार्यकर्ता पार्टी के शीर्ष रणनीतिकारों की लचर रणनीति को लेकर भी हाईकमान के सामने गंभीर सवाल सामने दाग रहे हैं। इनका साफ कहना है कि पार्टी के ‘अक्षम’ रणनीतिकार गठबंधन पर सपा-बसपा से वार्ता का ‘न्यौता’ मिलने का हाथ पर हाथ धरे इंतजार करते रहे।

माया-अखिलेश से सीधे संवाद करने की अपनी ओर से कोई पहल नहीं की। साथ ही गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने की स्थिति में प्लान-बी की कोई रूपरेखा तक नहीं बनाई और उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ने की जुबानी घोषणा के अलावा कांग्रेस की अभी तक कोई रणनीति तय नहीं हुई है।

माया-अखिलेश से सीधे संवाद करने की अपनी ओर से कोई पहल नहीं की। साथ ही गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने की स्थिति में प्लान-बी की कोई रूपरेखा तक नहीं बनाई और उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ने की जुबानी घोषणा के अलावा कांग्रेस की अभी तक कोई रणनीति तय नहीं हुई है।

राहुल उत्तर प्रदेश के हालात पर करेंगे मंथन

लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी मोर्चेबंदी की सबसे मजबूत दीवार उत्तरप्रदेश में बनाने के कांग्रेस के ध्वस्त हुए दावों के बाद सूबे के पार्टी नेताओं का यह रुख हाईकमान के लिए दोहरी चुनौती बनता दिख रहा है। इस गहरे झटके का ही असर है कि दुबई व आबूधाबी दौरे से देर रात स्वेदश लौट रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को उत्तरप्रदेश के नये सियासी हालातों पर वरिष्ठ नेताओं से विचार मंथन करेंगे।

पार्टी सूत्रों के अनुसार इसमें कोई शक नहीं कि माया-अखिलेश के एक साथ जाने के ऐलान के बाद कांग्रेस का प्लान-बी क्या होगा यह अभी तय नहीं है। इसीलिए प्रदेश नेताओं में बेचैनी है कि गठबंधन का ऐलान करते वक्त मायावती ने कांग्रेस पर जिस तरह करारा हमला बोला उसका जवाब पार्टी की ओर से नहीं दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बेचैनी का संकेत कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह के इस बयान से भी मिलता है जब वे भाजपा की मुखालफत करने के सपा-बसपा के रुख पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि भाजपा के खिलाफ ताल ठोक रही सपा-बसपा भ्रष्टाचार खासकर राफेल को लेकर क्यों चुप हैं? मसला केवल भाजपा को मुद्दों पर घेरने तक की नहीं है बल्कि इसे कहीं ज्यादा चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाने का है।

आरपीएन ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में सपा-बसपा पर कांग्रेस को सीटों का नुकसान कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि वास्तव में दोनों पार्टियों ने इसके जरिये भाजपा की मदद की। बकौल आरपीएन इस लिहाज से उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के बिना सपा और बसपा का यह गठबंधन भाजपा को फायदा पहुंचाने की इनकी रणनीति का हिस्सा है।

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