राम रहीम को 10 साल की सजा

साध्वी यौन शोषण केस में डेरा प्रमुख राम रहीम गुनहगार साबित हो चुका है। सीबीआइ की विशेष अदालत ने राम रहीम को अपील को ठुकराते हुये 10 साल की सजा दी।

नई दिल्ली / न्यूज़ गेटवे /   2002 का साध्वी यौन शोषण का मामला डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के लिए भारी पड़ गया। 25 अगस्त को जब राम रहीम अपने लाव-लश्कर के साथ सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश हुआ तो खुद को भगवान मानने वाले राम रहीम के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं। सीबीआइ की विशेष अदालत के सामने वो रहम की अपील करता रहा।

डेरा प्रमुख राम रहीम की काली करतूतें उसके आश्रम की चारदीवारी को लांघकर मुश्किल से बाहर आती थीं। लेकिन आज जब वो सीबीआइ की विशेष अदालत से गुनहगार साबित हो चुका है, उसके खिलाफ सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं, जो साबित करती हैं कि संत के चोले में राम रहीम के मंसूबे कितने खतरनाक थे। सिलसिलेवार हम ये बताने की कोशिश करेंगे कि राम रहीम वो शख्स था जो एक देश के अंदर अलग देश चला रहा था। वो जबरदस्त उन्माद पैदा कर हरियाणा और पंजाब को अस्थिर करना चाहता था।

गुरमीत राम रहीम ने स्वयं को भगवान के रूप में महिमा मंडित करने के लिए करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट सोच रखे थे। इनके जरिये वह खुद को भगवान के रूप में प्रोजेक्ट करता और मोटा मुनाफा भी कमाता। कोर्ट के फैसले के बाद ये सभी प्रोजेक्ट अटक गए हैं। अध्यात्मिक गुरु से रुपहले पर्दे पर आए राम रहीम को फिल्मों का ऐसा शौक लगा कि एक के बाद एक कई फिल्में उसने बनाईं। अब वह फिल्मी दुनिया में अपने सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। इस फिल्म पर काम शुरू हो चुका था और ‘द बर्थ’ इसका शीर्षक था। इसके बारे में राम रहीम का दावा था कि वह इसमें मानव की उत्पत्ति का रहस्य खोलेगा। धरती से लेकर अंतरिक्ष तक का रहस्य उजागर होगा। इस फिल्म के लिए बड़े तकनीकी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही थी। दावा यह भी किया जा रहा था कि तकनीक व इफेक्ट्स में यह हॉलीवुड फिल्मों का मुकाबला करेगी। डेरे से जुड़े सूत्र बताते हैं इसमें डेरा प्रमुख स्वयं को सर्वशक्तिमान के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता। उसका ड्रीम प्रोजेक्ट ड्रीम बनकर ही रह गया।

डेरा सच्चा सौदा के भीतर पूरा मायाजाल था। अपनी मुद्रा और अपना कारोबार था। डेरे को इस तरह बसाया गया है कि अगर यहां एक बार कोई बस जाए तो उसे कभी बाहर की दुनिया से जुड़ने की आवश्कता ही न पड़े। डेरे के अपने उत्पाद, अपनी सेवाएं और सब कारोबार अपनी मुद्रा में। न बाहर की मुद्रा और न ही बाहर से कारोबार।

डेरा सच्चा सौदा ने दोनों डेरों में और उनमें बसी कॉलोनियों व संस्थान के लिए अलग से प्लास्टिक की मुद्रा बनवाई थी। बाहर से आए शख्स को डेरे में कुछ भी खरीदने के लिए रुपये को डेरे की करेंसी से बदलवाना पड़ता था। यहां आने वाले हजारों श्रद्धालु इस मुद्रा का प्रयोग करते रहे हैं। किसी एक स्थान से टोकन ले लेते और फिर इनके बदले जहां चाहा वहां से कोई भी सामान यहां तक कि होटल में खाना भी खाया जा सकता था।

डेरामुखी ने स्कूल से लेकर पीजी कॉलेज अपने डेरे में ही खोले हुए हैं। सुपर मार्केट से लेकर फैक्टियां खेल स्टेडियम, विद्यार्थियों के रहने के लिए हॉस्टल, डेरे में नौकरी करने वाले परिवारों के रहने के लिए अलग आवासीय कॉलोनी, सिनेमा घर, फाइव स्टार होटल, रेस्टोरेंट आदि यह सब डेरा सच्चा सौदा में ही हैं। इसके अलावा दुकानों, रेस्टोरेंट में डेरे की खुद की करेंसी भी चलती थी।

पुराने डेरे में ही ‘सच’ मार्केट है। मार्केट में हर प्रकार के सामान की एक-एक दुकान निर्धारित है। नए डेरे में ऐसी मार्केट तो नहीं है, लेकिन वहां फैक्ट्रियां बनी हुई हैं। बड़े स्तर का अस्पताल बना हुआ है। डेरा की ओर से रिसॉर्ट बनाए गए हैं। थ्री स्टार होटल भी हैं। कशिश डेरा का पुराना होटल है। डेरा ने पतंजलि की तर्ज पर खुद के भी उत्पाद उतार दिए हैं और खुद का ही नेटवर्क स्थापित किया। खाद्य वस्तुओं के अलावा सौंदर्य प्रशासन, कपड़े व इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स में भी कदम रखा। अब एमएसजी के नाम से बैटरियां भी तैयार की गईं।

डेरा सच्चा सौदा के खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट सहित अन्य आतंकी संगठनों के साथ कनेक्शन होने का शक हरियाणा सरकार को है। इसकी वजह डेरा प्रमुख के साथ पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में पेशी पर आए समर्थकों की गाड़ियों से मिले प्रतिबंधित हथियार हैं। पूरे राज्य में डेरों की तलाशी के दौरान भी पुलिस को कई ऐसे हथियार मिले हैं, जो न केवल प्रतिबंधित हैं, बल्कि वीआइपी के पास भी नहीं होते। ऐसे हथियारों के लाइसेंस भी जारी नहीं किए जाते। यह सिर्फ सेना के पास ही हो सकते हैं।

गृह सचिव रामनिवास और पुलिस महानिदेशक बीएस संधू ने इन सभी हथियारों की सूची बनाकर राज्य सरकार को सौंप दी है। राज्य सरकार ने बिना देर किए केंद्रीय गृह मंत्रलय को यह सूची भेज दी, ताकि भारतीय सेना से संपर्क स्थापित कर इस बात की तहकीकात कराई जा सके कि संबंधित हथियार किस तरह के हैं और कौन-कौन से आतंकी संगठन इन हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। डेरा प्रमुख की सीबीआइ कोर्ट में पेशी के दौरान वाहनों में से एके 47 राइफल मिली है। इसके अलावा सैकड़ों ऐसे हथियार मिले हैं, जिनके नाम पुलिस सार्वजनिक नहीं कर रही। प्रदेश में चार दर्जन से अधिक नाम चर्चा में हैं। उनकी तलाशी हो रही है। तलाशी के दौरान भी संगीन किस्म के हथियारों के बरामद हो रहे हैं।

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