भारत 2022 तक 175 गीगा वॉट परिवर्तनीय ऊर्जा बनाएगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
न्यूज़ गेटवे / अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन/ नई दिल्ली /
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जनक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन की मेजबानी करते हुए कहा कि भारत परिवर्तनीय ऊर्जा के स्रोतों से वर्ष 2022 तक 175 गीगा वॉट बिजली बना लेगा। उन्होंने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सस्ते वित्तीय सहायता का आह्वान करते हुए कहा कि तभी ऊर्जा के टोकरे में सौर ऊर्जा का हिस्सा बढ़ेगा। इससे नासिर्फ बिजली सस्ती होगी बल्कि पर्यावरण प्रदूषण का जिम्मेदार कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के पहले सम्मेलन में रविवार को 23 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और दस देशों के मंत्री शामिल हुए। सम्मेलन की अध्यक्षता मेजबान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की तो सह अध्यक्ष फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रहे। सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 175 गीगा वॉट बिजली का परिवर्तनीय ऊर्जा से उत्पादन मौजूदा क्षमता से दोगुना होगा और पहली बार भारत की यह क्षमता यूरोपीय संघ के परिवर्तनीय ऊर्जा के विस्तार को भी पीछे छोड़ देगी। भारत इसमें सबसे बड़े लक्ष्य को हासिल करेगा। कुल लक्ष्य में 100 गीगा वॉट सौर ऊर्जा से और 60 गीगा वॉट पवन ऊर्जा से मिलेगा। उन्होंने बताया कि भारत ने पहले ही 20 गीगा वॉट सौर ऊर्जा हासिल कर ली है। सौर ऊर्जा बढ़ने से हमारी समृद्धि बढ़ेगी।
आइएसए के प्रति देश की प्रतिबद्धता जताते हुए मोदी ने बताया कि आइएसए का कोष बनाने और सचिवालय स्थापित करने के लिए भारत ने 6.20 करोड़ डॉलर दिए हैं। सदस्य देशों के लिए 500 ट्रेनिंग स्लाट बनाए गए हैं। रीसर्च और डेवलेपमेंट क्षेत्र में सौर तकनीक अभियान को प्रमुखता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि वैकल्पिक सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भारत में पिछले तीन सालों में 28 करोड़ के एलईडी बल्ब बांटे गए हैं। इससे 2 अरब डॉलर की रकम और चार गीगा वॉट बिजली की बचत हुई है। आइएसए का मुख्यालय गुरुग्राम में बनाया गया है। यहां से ही पेरिस समझौते के तहत सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 121 देश आइएसए से संबद्ध हैं। 61 इस गठबंधन में शामिल हो गए हैं और 32 ने समझौते के मसौदे को मंजूरी दे दी है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस अवसर पर कहा कि वर्ष 2030 तक एक टेरा वॉट सौर ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता हासिल करने के लिए दस खरब अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय सहायता और नियमों की अड़चनें दूर करनी होंगी। इसके लिए सरकारों, निजी क्षेत्रों और सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को एक साथ आना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि एकतरफ देश ऐतिहासिक पेरिस पर्यावरण समझौते को तोड़ रहे हैं। वहीं आइएसए देश एक साथ आकर लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं। मैक्रों ने भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपने एक सपना देखा और हमने कर दिखाया। दो साल पहले यह एक विचार था और अब हम सबने मिलकर जल्द बड़ा बदलाव लाने की ठानी है।