भाजपा व कांग्रेस सहित 11 पार्टियों का विस चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान , मुख्यमंत्री जिलियांग ने भी झुकाया सिर

न्यूज़ गेटवे / भंवर में नगालैंड / गुवाहाटी / 

केंद्र और नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (आईएम) के बीच दो साल पहले हुआ ड्राफ्ट समझौता नगालैंड विधानसभा चुनावों के लिए बाधा बनता नजर आने लगा है। देश के इस सर्वाधिक संवेदनशील राज्य के तमाम जनजातीय और विद्रोही संगठन इस बात पर आमादा हैं कि पहले नगा समस्या का समाधान हो, फिर चुनाव की बात। संगठनों के दबाव में भाजपा व कांगे्रेस सहित11 राजनीतिक पार्टियों ने विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लेने की घोषणा कर
दी है। मुख्यमंत्री टीआर जिलियांग पहले ही कह चुके हैं कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव नहीं लड़ना चाहतीं तो वे भी यही करेंगे।

राज्य की इन तमाम राजनीतिक पार्टियोेंं ने कोहिमा में हुई बैठक के बाद सोमवार को बाकायदे इसकी घोषणा
की। पार्टियों ने संयुक्त घोषणा में कहा है कि वे आगामी 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी। संयुक्त घोषणा में इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी), यूएनडीपी, नगालैंड कांग्रेस, डीएपीएन, भाजपा, एनडीपीपी, एनसीपी, एलजेपी, जेडी (यू), एनपीपी और एनपीएफके नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।

संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां राज्य के हित में और “सोल्यूशन बिफोर इलेक्शन’ की मांग के साथ चलते हुए 13वें नगालैंड विधानसभा चुनाव को टालने के लिए साथ हुए हैं। ताकि नगा शांति प्रक्रिया को गति मिले और प्रक्रिया से जुड़े लोगों को समय मिले कि वे जल्द से जल्द समाधान निकाल सकें। इन पार्टियों की ओर से किसी भी
प्रत्याशी को चुनाव में अपना टिकट नहीं दिए जाने की घोषणा भी की गई है। कोहिमा के एक होटेल में उपरोक्त पार्टियोंे की ओर से जारी संयुक्त घोषणा के समय नगालैंड के सभी जनजातीय संगठनों और सिविल सोसाइटी के नेता मौजूद
थे।

नगालैंड के इस ताजा घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में व्यापक प्रतिक्रयाएं देखने को मिल रही हैं। एनएससीएन (आईएम) के साथ हुए समझौते को लेकर पड़ोसी राज्यों असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में पहले से ही राजनीतिक तूफान मचा हुआ है। कथित तौर से उक्त समझौते में इन राज्यों की नगा आबादी वाले इलाकों को प्रस्तावित फ्रंटियर नगालैंड में शामिल किया जाएगा। केंद्र ने अभी तक न तो समझौते का कोई खुलासा किया है और ना ही वहां चुनाव का बायकाट करने के राजनीतिक पार्टियों के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया उजागर की है।

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