बांग्लादेश के राष्ट्रपति मो. अब्दुल हामिद की तीन दिवसीय असम-मेघालय सद्भावना यात्रा
सत्य नारायण मिश्र / न्यूज़ गेटवे / सद्भावना यात्रा / गुवाहाटी /
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मो. अब्दुल हामिद की तीन दिवसीय असम-मेघालय सद्भावना यात्रा क्षेत्र की सबसे अहम बांग्लादेशी
घुसपैठ समस्या पर पड़ोसी देश के सद्भावना प्रदर्शन के बिना गुजर गई। भारत में अपने उच्चायुक्त सइद मुअज्जम अली के माध्यम से ढाका की स्थिति स्पष्ट करा बांग्लादेशी राष्ट्रपति ने किसी अच्छे पर्यटक की तरह तीन दिन मुक्ति संग्राम से जुड़े अपने यादगार स्थलों के भ्रमण में बिता दिए। विदाई क्षणों में उन्होंने दोनों देशों के मधुर संबंधों की दुहाई जरूर दी।
चीन, म्यांमार और बांग्लादेश के स्वर्णिम-त्रिकोण में स्थित पूर्वोत्तरीय राज्यों में अरसे से उग्रवाद और अवैध घुसपैठ अत्यधिक जटिल समस्या बनी हुई है। विशेषकर बांग्लादेश की अभी तक खुली मीलों लंबी अनारक्षित सीमा से
होकर यहां रोजी-रोटी की तलाश में आने वाले अनगिनत अवैध आप्रवासियों के कारण।
भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त ने हालांकि अपने देश की प्रति व्यक्ति अधिक औसत आय का हवाला देते हुए दावा किया है कि वहां से भला यहां कोई क्यों रोजी की तलाश में आएगा।
लेकिन सच्चाई यही है कि असम के लगभग तमाम कस्बों-शहरों आदि में बांग्लादेशी कामगारों की कमी नहीं है। रिक्शे चलाने से लेकर घर निर्माण के काम तक में बांग्लादेशी मजदूरों का इस्तेमाल किसी से छिपा नहीं है। आर्थिक जानकारों का कहना है कि पड़ोसी देश में प्रति व्यक्ति औसत आय अधिक होने का मतलब यह नहीं होता कि वहां से पलायन करने की और कोई वजह नहीं हो सकती। धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होने वाले अमानवीय अत्याचार आज के समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय हैं।
इन्हीं का तकाजा देकर तो भारत सरकार अपने नागरिकता कानून में संशोधन की जुगत में है। बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं को नागरिकता देने की वकालत कर रही है। असम में इसका जबर्दस्त
विरोध हो रहा है।
बांग्लादेशी राष्ट्रपति ने गुवाहाटी से विदा होते क्षण गोपीनाथ बरदलै अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर असम व मेघालय सरकारों की सद्भावना की खुले दिल से तारीफ की है। लेकिन उन्होंने उतना ही खुलकर नहीं कहा कि अपने यहां से अवैध घुसपैठ पर वे असम के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। कूटनीतिक भाषा में जरूर कहा कि भारत और बांग्लादेश पड़ोसी देशों के नाते
आपसी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
जाते-जाते उन्होंने असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को बांग्लादेश की यात्रा का निमंत्रण जरूर दिया है।
असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल उन्हें विदा करने गोपीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे तो पड़ोसी राष्ट्रपति काफी भावुक दिखे।
उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों के दौरान असम और मेघालय का यह दौरा उनके लिए निजी तौर पर पुरानी यादों को ताजा करने वाला रहा। मन फिर मुक्ति संग्राम के उन दिनों में खो गया, जब वे यहां अपने देेश के मुक्ति योद्धाओं को कमांड कर रहे थे। बलाट, शिलोंग और मेेघालय के अन्य स्थानों को देख उन्हें काफी खुशी हुई