फ्रॉड डिजिटल पेमेंट से बचने के लिए RBI जारी कर सकता है नई गाइडलाइन्स

न्यूज़ गेटवे / डिजिटल भुगतान /नई दिल्ली/

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI मोबाइल वॉलेट से संबंधित नए दिशानिर्देश जारी करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत यूजर्स को गलत भुगतान से बचाने के लिए इंटरऑपरेबिलिटी को मंजूरी मिल सकती है। इससे फ्रॉड ट्रांजेक्शन का पता लगाया जा सकेगा। हालांकि, इसके लिए यूजर्स को केवाईसी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

क्या होंगी RBI की नई गाइडलाइंस

यूजर्स यूपीआई के जरिए कंपनियों और बैंकों से पैसे ट्रांसफर कर पाएंगे।

अगले साल अप्रैल तक ऐसी सुविधा भी जारी की जाएगी जिसके तहत यूजर्स अलग-अलग ई-वॉलेट के बीच पैसे ट्रांसफर कर पाएंगे। मौजूदा स्थिति में उन्हीं वॉलेट्स के बीच पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं जो यूपीआई से जुड़े हैं।

बिना केवाईसी के यूजर्स केवल 10,000 रुपये का ही पेमेंट कर सकते हैं। वहीं, अगर यूजर्स 1 साल यानी 12 महीने में केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा कर लेते हैं तो 1 लाख रुपये तक पेमेंट या ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।

डिजिटल भुगतान में हो रही बढ़ोतरी

भारत में डिजिटल भुगतान के आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कैपजेमिनाई की वर्ल्ड पेमेंट्स रिपोर्ट 2017 के मुताबिक, वर्ष 2022 तक मोबाइल वॉलेट इंडस्ट्री 4.4 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। देखा जाए तो आने वाले समय में जब इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्टफोन्स की तादाद में बढ़ोतरी होगी तो भारत डिजिटल भुगतान के मामले में चीन से ज्यादा बढ़ोतरी करेगा। अगस्त महीने में बैंक टू बैंक और पीओएस पर डेबिट कार्ड से पेमेंट के चलते डिजिटल पेमेंट में बढ़त दर्ज की गई है। बैंक टू बैंक में 9.5 फीसद और डेबिट कार्ड में 3.5 फीसद की महीने दर महीने आधार पर तेजी देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी ट्रांजेक्शन डाटा के मुताबिक आईएमपीएस (इमिजिएट पेमेंट सर्विस), जिसमें यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) शामिल हैं, अगस्त महीने में 75.6 मिलियन लेनदेन के स्तर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा जुलाई में 69 मिलियन और जून में 65.8 मिलियन रहा था।

 

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