प्रीपेड पेमेंट की लिमिट 50,000 रुपए प्रतिमाह होगी : आरबीआई

न्यूज़ गेटवे / प्रीपेड पेमेंट / नई दिल्ली /

प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट पर 50,000 रुपए प्रतिमाह से ज्यादा का दबाव नहीं डाला जा सकता है और इश्यूअर (जारीकर्ता) पीपीआई शेष पर ब्याज का भुगतान नहीं कर सकते हैं। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने दी है। आपको बता दें कि पीपीआई पेपर मुद्रा या नकदी का एक विकल्प हैं जिसे प्रीपेड पेमेंट उद्योग की ओर से पेपर कूपन, मोबाइल वालेट या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट के जारी किया जाता है।

पीपीआई जारी करने के लिए सभी संस्थाओं को स्वीकृति आरबीआई की ओर से दी जाती है। इन संस्थाओं को उनके प्रकार के हिसाब से रिलोडेबल और नॉन रिलोडेबल पीपीआई जारी करने का अधिकार होता है। आरबीआई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पीपीआई में नकद लोडिंग सीमित होगी जो कि 50,000 रुपए प्रतिमाह होगी। केंद्रीय बैंक ने ‘प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स जारी करने और ऑपरेशन’ के संदर्भ में ये नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। रिजर्व बैंक ने पीपीआई जारीकर्ता से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पीपीआई बैलेंस पर कोई ब्याज नहीं दिया जाए।

पीपीआई को कार्ड, वालेट और अन्य किसी फॉर्म में नकदी के जरिए लोड और रिलोड किया जा सकता है। आप ऐसा डेबिट से बैंक अकाउंट या क्रेडिट या अन्य किसी डेबिट कार्ड के जरिए भी कर सकते हैं। इन इंस्ट्रूमेंट को मूल रूप से आरबीआई की ओर से प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके अलावा, कंपनियों को अब कागज के रूप में ऐसे उपकरणों को पेश करने की इजाजत नहीं दी जाएगी, जिसमें भोजन वाउचर शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक हालांकि, 31 दिसंबर, 2017 के बाद इन वाउचर को इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में बदलना होगा।

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