‘नदी अभियान’ के समर्थन में एक मिस्ड कॉल जरूर करें
नई दिल्ली / कल्पना करिए कि आपको चंद दिन पानी न मिले तो क्या होगा। पानी के बिना जीवन कैसा होगा। एक दिन पानी न मिलने पर आपके होश उड़ जाते हैं। किचिन से लेकर बाथरूम तक में पानी की अहमियत समझ आ जाती है। इस सब के बावजूद पानी और उसके जितने भी स्त्रोत हैं, ख़ासकर नदी, तालाब और कुओं के संरक्षण की दिशा में सामाजिक स्तर पर अब तक सामूहिक पहल नहीं हुई। सरकार और एनजीओ स्तर पर ज़रूर कुछ पहल हुई है पर उसका उद्देश्य आर्थिक या राजनैतिक लाभ लेने तक सीमित रहा।
भारत कभी नदियों और घने वनों के आच्छादित देश के रूप में जाना जाता था। आज उसकी यह विरासत बर्बाद होने की कगार पर खड़ी है। अदूरदर्शी सोच के चलते बहुत सारी छोटी-मझौली नदियाँ या तो अपना अस्तित्व खो चुकी हैं या फिर सूख चुकी हैं। चंद बड़ी नदियाँ जो देश की जीवन रेखा है, वह भी इस वक़्त संकटग्रस्त हैं। बची हुई नदियों का जल संग्रह काफ़ी कम हो चुका है। अधिकांश नदियाँ प्रदूषण के रोग से ग्रसित हो चुकी हैं।
आज़ादी के वक़्त हर आदमी के लिए जितना पानी उपलब्ध था उसका आज 25 फ़ीसदी रह गया है। देश की 25 प्रतिशत ज़मीन पड़त भूमि बन चुकी है। एक अनुमान के अनुसार सन 2030 तक ज़रूरत से 50 फ़ीसदी कम पानी उपलब्ध रहेगी। इन भावी परिस्थितियों के देखते हुए अब सिर्फ़ सोचने-विचारने से कुछ न होगा। पानी के तमाम स्त्रोतों विशेषकर नदी और तालाबों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ईमानदार सामूहिक पहल की आवश्यकता है।
विश्व प्रसिद्ध योग सद्गुरू वासुदेव जग्गी ने नदियों को बचाने के लिए ‘नदी अभियान’ शुरू किया है। उन्होंने मिस्ड कॉल अभियान शुरू किया है। मिस कॉल संख्या के ज़रिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा कि नदियों को सुरक्षित रखने क़ानून बनाया जाए तथा नदियों के दोनों किनारे एक किलोमीटर की परिधि में अनिवार्य रूप से पेड़ लगाए जाएँगे।
पानी की महत्ता के मद्देनज़र और जल स्त्रोतों को संरक्षित रखने लोगों को सच्चे मन से आगे आना चाहिए। फ़िलहाल सद्गुरू के ‘नदी अभियान’ में सहभागी बनकर ‘नदी क़ानून’ के लिए मोबाईल नम्बर 80009 80009 पर मिस्ड कॉल कर अपना समर्थन दे सकते हैं।