आपने हिन्दी फिल्मों में अक्सर एक Dialogue सुना होगा…कि ‘तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर ये अदालत अपना फैसला सुनाती है’…अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने भी, तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर वर्ष 2018 का सबसे बड़ा और दिलचस्प फैसला सुना दिया है…

8 जनवरी 2018 को Donald Trump ने ऐलान किया था…कि वो बहुत जल्द The Fake News Awards की घोषणा करेंगे. और इसके 10 दिन के बाद यानी आज पत्रकारों का डरावना सपना सच साबित हो गया. अमेरिका के राष्ट्रपति ने सबूतों के साथ, ‘ख़बरों में मिलावट’ करने वाले पत्रकारों की एक ‘लम्बी-चौड़ी’ List जारी कर दी है.

ध्यान देने वाली बात ये है…कि Fake News Awards के विजेताओं के नाम को सार्वजनिक करने के लिए The Republican Party की आधिकारिक Website की मदद ली गई. इस Website का नाम है…GOP Dot Com….इसकी Full Form होती है….Grand Old Party…अमेरिका में The Republican Party…को Grand Old Party के नाम से ही पुकारा जाता है. और आज Grand Old Party की Website से मीडिया को आईना दिखाने वाले Awards की शुरुआत की गई है. हमारे पास वो पूरी List है, जिसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे. इसके अलावा, आपके लिए ये देखना भी बहुत दिलचस्प होगा….कि Fake News Awards की घोषणा के बाद अमेरिका में क्या हो रहा है ? लेकिन उससे पहले आपको ये पता होना चाहिए, कि अमेरिका के लोगों में, और ख़ासतौर पर वहां के घबराए हुए पत्रकारों में इन Awards को लेकर कितनी बेचैनी थी.

Tonight, GOP Dot Com Saw More Traffic Than Ever Before. Even Though The Servers Were Scaled Up, The Interest Was Even Greater Than Anticipated. Traffic Is Off The Charts. Come Back Soon…

अब आपको एक-एक करके The Fake News Awards के Winners के बारे में बताते हैं.

इस लिस्ट में पहले नंबर पर The New York Times के लिए Column लिखने वाले अर्थशास्त्री Paul Krugman हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बाद Paul Krugman ने कहा था, कि Trump के शासनकाल में अमेरिका की Economy कभी नहीं सुधरेगी. लेकिन Trump ने सबूत के तौर पर New York Stock Exchange के Dow Jones Industrial Average की बात कही, जो Record स्तर पर पहुंच गया.

दूसरे नंबर पर ABC News के Correspondent, Brian Ross का नाम है. जिनपर ये आरोप लगाया गया है, कि उन्होंने फर्ज़ी रिपोर्ट के आधार पर शेयर मार्केट में गिरावट की बात कही थी.

इस List में तीसरा स्थान CNN का है. जिसके बारे में ये लिखा गया, कि इस Media Organisation ने Donald Trump और उनके बेटे को लेकर गलत Reporting की. CNN ने दावा किया था, कि Trump और उनके बेटे की पहुंच उन दस्तावेज़ों तक थी, जिन्हें WikiLeaks द्वारा Hack किया गया था.

चौथे स्थान पर TIME Dot Com को रखा गया है. इसके बारे में ये कहा गया है, कि TIME ने Oval Office से मार्टिन लूथर किंग जूनियर की प्रतिमा हटाए जाने की झूठी ख़बर छापी थी. TIME पर ये आरोप भी लगाया गया है, कि उसने इस बात का झूठा प्रचार किया, कि Donald Trump ने उस प्रतिमा को हटाने के निर्देश दिए थे. सबूत के तौर पर Trump ने Oval Office में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की प्रतिमा की Photo भी Attach की है.

The Fake News Awards के अगले विजेता का नाम है….Washington Post….जिसपर ये आरोप लगाया गया है, कि उसने Florida में हुई Donald Trump की एक चुनावी रैली के बारे में लिखा था, कि वहां उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं पहुंची थी. सबूत के तौर पर उस रैली की तस्वीरें जारी करते हुए कहा गया है….कि Washington Post के Reporter ने भीड़ के आने से पहले की तस्वीरें ली थीं. लेकिन, रैली शुरु होने के वक्त जो भीड़ वहां मौजूद थी…उसकी बात किसी को नहीं बताई गई.

List में अगला Number एक बार फिर CNN का ही है. जिसपर ये आरोप लगाया गया है, कि उसने Donald Trump के एक Video को ग़लत तरीके से Edit करके दुष्प्रचार किया था. CNN पर ये आरोप लगाया गया है, कि उसने Trump और जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे के एक Video से छेड़छाड़ की थी. CNN का दावा था, कि जिस वक्त Trump और शिंजो आबे मछलियों को खाना खिला रहे थे, उस वक्त Trump ने एक बार में सारा खाना पानी में डाल दिया. इसे लेकर ट्रंप की आलोचना हुई थी… जबकि, सच ये था, कि खुद जापान के प्रधानमंत्री ने एक बार में मछलियों को सारा खाना खिला दिया था..

वैसे लगता है, कि CNN से Donald Trump को कुछ ज़्यादा ही नफरत है. क्योंकि इस List में अगला Number एक बार फिर CNN का ही है. जिसपर ये आरोप लगाया गया है, कि उसने White House के पूर्व Communications Director, और एक Russian जासूस की मुलाकात के बारे में फर्ज़ी ख़बर चलाई थी. हालांकि, बाद में वो ख़बर वापस ले ली गई. और सबूत के तौर पर उन तीन पत्रकारों के बारे में जानकारी दी गई, जिन्हें इस ख़बर के बाद इस्तीफा देना पड़ा था.

इसके बाद Newsweek की बारी आती है. जिसके बारे में कहा गया है, कि उसने Donald Trump और Poland की First Lady के बारे में ग़लत Reporting की…और ये दावा किया कि Poland की First Lady ने Donald Trump से हाथ नहीं मिलाया था. इस लिस्ट में सबूत के तौर पर उस Handshake की तस्वीर भी Post की गई है.

Donald Trump को फर्ज़ी ख़बरें फैलाने वालों से कितनी नफरत है…इसका एक छोटा सा उदाहरण देने के लिए आपको मंगलवार की एक तस्वीर दिखा देते हैं.

मंगलवार को Donald Trump, Kazakhstan के राष्ट्रपति के साथ अपने Oval Office में मौजूद थे. इसी दौरान CNN के Chief White House Correspondent, Jim Acosta ने Immigration के मुद्दे पर उनसे कुछ सवाल पूछे. Trump ने उनके प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दिया…लेकिन जब वो पत्रकार बार-बार एक ही सवाल पूछने लगा…तो Donald Trump ने उनकी तरफ उंगली से इशारा किया और कहा…Out…यानी यहां से बाहर चले जाओ.

कुल मिलाकर, 21वीं सदी की दुनिया अब ऐसी हो गई है, जिसमें ख़बरें भी 100 फीसदी शुद्ध नहीं बचीं. अब ख़बरों में भी ‘मिलावट’ की मात्रा बहुत बढ़ गई है. और ये समस्या सिर्फ ‘भारत’ तक सीमित नहीं है. ये ‘मिलावटी सोच’ अब दुनिया के ‘कोने-कोने’ में फैल चुकी है. ख़बरों में होने वाली इस ‘मिलावट’ को…Fake News कहा जाता है. और आपको ये भी याद रखना चाहिए, कि पिछले वर्ष Fake News को वर्ष 2017 का Word Of The Year भी चुना गया है. वैसे आप अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump को Fake News शब्द का Godfather भी कह सकते हैं. क्योंकि, राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान से लेकर राष्ट्रपति बनने के बाद तक… Donald Trump ने लगभग हर बार अमेरिका के Media के लिए.. इस शब्द का इस्तेमाल किया है.

और अब The Fake News Awards के साथ उन्होंने कई संस्थानों और पत्रकारों पर सीधा हमला कर दिया है. अमेरिका में इसके अलग अलग तरह के असर देखने को मिल रहे हैं. कुछ लोग Donald Trump के फर्ज़ी मीडिया वाले Awards से नाराज़ हैं…तो कुछ लोग ऐसे भी हैं…जिन्हें इस लिस्ट को देखकर मज़ा आ रहा है.
<<Hold & Roll Pkg Back To Back>>

यहां सवाल ये भी है, कि क्या अब भारत में भी ऐसे Fake News Awards की शुरुआत होनी चाहिए ? क्योंकि, ख़बरों में मिलावट के मामले में हमारे देश का Media भी अमेरिका के फर्ज़ी पत्रकारों को अच्छी खासी टक्कर दे सकता है. वैसे इसका एक पहलू ये भी है, कि अगर हमारे देश में किसी चैनल या अख़बार को ये कह दिया जाए कि आप FAKE NEWS हो, तो भारत में Freedom of Speech के चैंपियन Active हो जाएंगे. देश में intolerance यानी असहनशीलता की बातें होनी शुरू हो जाएंगी.  News Channels पर बड़ी बड़ी बहसें शुरू हो जाएंगीं, और हो सकता है कि कुछ कथित बुद्धिजीवी और पत्रकार.. ये कहने लगें कि लोकतंत्र ख़तरे में पड़ गया है.

कुछ राज्यों के महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री और विपक्ष के बड़े बड़े नेता सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए उतर जाएंगे. और इसकी भी गुंजाईश है, कि ये कहा जाने लगे, देश में Emergency जैसे हालात हो गये हैं. इसे लेकर बड़े बड़े Seminars का आयोजन शुरू हो सकता है, जिनका शीर्षक होगा.. ‘प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में ‘ .
कुछ TV channels विरोध प्रदर्शन के नाम पर अपने Prime Time News Shows में अपनी Television Screen भी काली कर सकते हैं.

लेकिन अमेरिका में ये सब नहीं हो रहा है. वहां Donald Trump के इस व्यवहार की चर्चा तो हो रही है, लेकिन साथ ही Trump के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले मीडिया संस्थानों की आलोचना भी हो रही है. और इन Media संस्थानों पर गलत रिपोर्टिंग के आरोप लग रहे हैं.

ये भारत और अमेरिका के Media का Basic फर्क है. भारत में प्रेस की बहुत ज्यादा स्वतंत्रता है. और यहां के तथाकथित बड़े पत्रकार Freedom of Speech या Freedom of Press के नाम पर एक ऐसी स्वतंत्रता चाहते हैं, जिसके तहत वो कुछ भी कहने या छापने का अधिकार रखते हों. लेकिन मीडिया की भी गरिमा होती है.. और उस गरिमा को बरकरार रखना चाहिए.. अभिव्यक्ति की आज़ादी.. असीमित नहीं हो सकती.. इसके साथ सत्य के मार्ग पर चलने की ज़िम्मेदारी भी निभानी पड़ती है.

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