डाउ जोन्स के 135 साल के इतिहास की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट

कोरोनावायरस के फैलने का डर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार डाउ जोन्स में 1,190.95 अंकों की गिरावट देखने को मिली। यह डाउ जोन्स के 135 साल के इतिहास की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।

इसके अलावा ब्रिटेन, जापान, चीन, हाॅन्गकॉन्ग, कनाडा समेत सभी प्रमुख बाजार कोरोनावायरस की वजह से गिरावट में रहे। भारतीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे। शुक्रवार को सेंसेक्स 1448.37 अंक गिरकर 38297.29 अंकों पर बंद हुआ। यह सेंसेक्स की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले 24 अगस्त 2015 को सेंसेक्स में 1624 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी। निफ्टी में 3.56% की गिरावट आई। निफ्टी 414.10 अंक नीचे गिरकर 11219.20 अंकों पर पहुंच गया। पिछले छह दिनों में सेंसेक्स करीब 7 फीसदी गिर चुका है। इससे बीएसई के मार्केट कैप में करीब 11.5 लाख करोड़ रुपए की कमी आई। दुनिया के दूसरे प्रमुख बाजारों नैस्डैक, डाउजोंस, निक्केई, हैंगसेंग, शंघाई कंपोजिट समेत सभी बाजारों में बिकवाली है। विशेषज्ञाें के मुताबिक, 2008 की मंदी के बाद दुनियाभर के स्टॉक अपने सबसे खराब दौर में पहुंचने वाले हैं। 

सेंसेक्स के 8 शेयर 5 फीसदी से अधिक लुढ़के

सेंसेक्स के 8 शेयर 5 फीसदी से अधिक लुढ़के। सेंसेक्स में टेक महिंद्रा में सर्वाधिक 8.14 फीसदी गिरावट रही। महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा स्टील 7 फीसदी से ज्यादा लुढ़के। एचसीएल टेक और बजाज फाइनेंस 6 फीसदी से अधिक गिरे। इन्फोसिस, भारतीय स्टेट बैंक और एक्सिस बैंक 5 फीसदी से अधिक टूटे। टीसीएस, एचडीएफसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज 4 फीदसी से अधिक गिरे। दूसरी ओर एकमात्र शेयर आईटीसी में 0.05 फीसदी तेजी रही।

सभी सेक्टरों में गिरावट, मेटल, आईटी व टेक सेक्टर 5 फीसदी से ज्यादा गिरे

बीएसई के सभी सेक्टरों में गिरावट रही। मेटल सेक्टर में सर्वाधिक 7.01 फीसदी गिरावट रही। आईटी व टेक सेक्टर 5 फीसदी से ज्यादा गिरे। बेसिक मटीरियल्स 4 फीसदी से ज्यादा टूटे। एनर्जी, फाइनेंस, स्वास्थ्य सेवा, औद्योगिक, युटिलिटीज, ऑटो, बैंकिंग, तेल एवं गैस, पावर और रियल्टी सेक्टर 3 फीसदी से अधिक टूटे। बीएसई के मिडकैप इंडेक्स में 3.13 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स में 3.52 फीसदी गिरावट रही। मैग्नम इक्विटी ब्रोकिंग में रिसर्च के वाइस प्रेसीडेंट नीलेश करणी का कहना है कि सेंसेक्स को अभी 38,000 और निफ्टी को 11,000 अंकों पर हैं। अगर दोनों निकट भविष्य में इस स्तर पर बरकरार रहते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। अगर बाजार इस स्तर के नीचे गिरता है तो निवेशकों के लिए मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी। उनका कहना है कि अभी रिटेल निवेशकों को तुलनात्मक रूप से सस्ते स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए। 

एसएंडपी 4.4% नीचे, डाउ जोन्स में 1,200 अंकों की गिरावट
बिकवाली के कारण अमेरिकी बाजार में एसएंडपी 4.4% नीचे गिर गया। यह 2011 के बाद इसकी सबसे बड़ी गिरावट है।  इसी तरह, डाउ जोन्स के औद्योगिक औसत में करीब 1,200 अंकों की गिरावट आई है। एक हफ्ते पहले एसएंडपी अपने उच्चतम स्तर पर था। सात दिन में एसएंडपी 12% से ज्यादा नीचे गिर चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्टॉक्स और गिरे तो यह अक्टूबर 2008 के समय आई मंदी के बराबर पहुंच जाएंगे।


डाउ जोन्स की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
डाउ जोन्स में 1,190.95 अंकों की गिरावट देखने को मिली। यह डाउ जोन्स के इतिहास की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इस हफ्ते डाउ जोन्स में 3,225.77 अंक करीब 11.1% की गिरावट आ चुकी है। यूएस-चीन ट्रेड वॉर में नरमी आने के कारण निवेशकों को उम्मीद थी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था जल्दी पटरी पर लौट आएगी, लेकिन कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण चीन में फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है। चीन से आपूर्ति बाधित होने के कारण दुनिया के कई देशों में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कोरोनावायरस के चीन के अलावा दूसरे देशों में फैलने से निवेशकों का सेंटीमेंट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।  

2020 की ऊंचाई से 30% लुढ़का क्रूड ऑयल

कोरोना के कहर से क्रूड ऑयलका बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव इस साल की ऊंचाई से तकरीबन 30%  टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड का भाव आठ जनवरी को 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था। यह इस साल का अब तक का ब्रेंट क्रूड के भाव का सबसे ऊंचा स्तर है। बीते एक सप्ताह से कारोना के कहर से बाजार में मचे कोहराम के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव इस ऊंचे स्तर से 21.79 डॉलर यानी 30.28% टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई नरमी से भारतीय वायदा बाजार में भी कच्चे तेल के सौदों में शुक्रवार को करीब तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अंतर्राष्ट्रीय बाजार आईसीई पर ब्रेंट के मई डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र के मुकाबले 2.73 फीसदी की कमजोरी के साथ 50.32 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था। 

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