जयप्रकाश चौकसे जी को पढ़ना और सुनना …
न्यूज़ गेटवे / जयप्रकाश चौकसे / नई दिल्ली /
जयप्रकाश चौकसे जी को पढ़ना और सुनना अद्भुत अनुभूतिदायक होता है। सोमवार को वे हमारे अतिथि थे। आचार्य दिनेश कुशवाहा, प्रो. विजय अग्रवाल के संयोजन में एपीएसयू रीवा में कर्नल वलवंत सिंह व्याख्यानमाला में “सिनेमा और साहित्य” पर उनका डेढ़ घंटे का व्याख्यान मंत्रमुग्ध करने वाला रहा।
उद्योग-वाणिज्य,खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल के आमंत्रण पर उन्होंने निर्माणाधीन आडिटोरियम का अवलोकन किया व प्रजेंटेशन देखा। श्री चौकसे ने सुझाव दिया कि आडिटोरियम का नाम “कृष्णा राजकपूर” रखा जाय तथा म.प्र.सरकार श्रेष्ठ अभिनय व निर्देशन के लिए उनके नाम से वैसा ही सम्मान घोषित करे जैसे कि इंदौर में लता मंगेशकर व खंडवा में किशोर कुमार के नाम से है, ताकि वर्ष में एक राष्ट्रीयस्तर का आयोजन यहाँ सुनिश्चित हो सके।
आडिटोरियम का प्रजेंटेशन देखने के बाद उन्होंने कहा कि भविष्य में यह भारत भवन की भाँति कला व संस्कृति के केंद्र के रूप में ख्याति अर्जित करेगा। श्री चौकसे विश्व की प्रथम ह्वाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर भी गए। उन्होंने विंध्य को फिल्मों की आउटडोर शूटिंग के लिए उपयुक्त क्षेत्र बताया।
श्री चौकसे ने कई फिल्में लिखीं हैं। उनकी पुस्तकें-महात्मा गाँधी और सिनेमा, सिनेमा का अफसाना,सिनेमा का सच बेहद चर्चित हुई हैं। वे महाभारत पर एक पुस्तक पर काम कर रहे हैं।
80 वर्षीय श्री चौकसे आज भी सृजनात्मक ऊर्जा से भरपूर हैं और सिने जगत के ऐसे महान लेखक हैं जिनके स्तंभ “परदे के पीछे” को 10 करोड़ पाठक प्रतिदिन पढ़ते हैं। यह स्तंभ वे 22 वर्षों से नियमित लिख रहे हैं यह भी एक लेखकीय कीर्तिमान है।