जनरल का बयान पूरी तरह राजनीतिक और संविधान विरुद्धः अजमल

गुवाहाटी।   एआईयूडीएफ प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत के बयान को उच्च संवैधानिक पद और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत तथा राजनीतिक करार दिया है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और जरूरत पड़ी तो खुद जनरल रावत से मिलकर इस मामले पर अपनी चिंता और कड़ा ऐतराज जताने का ऐलान भी किया।

वृहस्पतिवार की शाम यहां पत्रकारों के सामने अजमल अपने विधायकों की पूरी टीम के साथ मौजूद थे। उन्होंने कहा कि देश की महान सेना के मुखिया के नाते जनरल रावत से इस तरह के बयान की उम्मीद कतई नहीं थी। यह सीधे सीधे सांप्रदायिक मंतव्य है। राजनीति प्रेरित तो है ही। यह भी हो सकता है कि उन्हें गलत जानकारी दे गुमराह किया गया हो।

देश की सेना और संविधान के प्रति अपनी पूरी आस्था जताते हुए अजमल ने सेनाध्यक्ष पद पर जनरल रावत की नियुक्ति की तरफ भी उंगली उठा दी। कहा कि दो लोगों को किनारे कर इस पद पर बैठाया गया था। शायद इस तरह का बयान देने के पीछे उनकी सोच में यह बात रही हो। आरएसएस या भाजपा नेता के जैसा बयान है। सेना के जनरल का नहीं।

पूछे जाने पर अजमल ने कहा कि सेनाध्यक्ष के नाते जनरल रावत को पूरे हिंदुस्तान की सुरक्षा के बारे में कहने का हक है। लेकिन यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। वे कोई राजनीतिक पार्टी नहीं हैं।

उन्होंने दावा किया कि असम में उनकी पार्टी का जनाधार भाजपा की तुलना में नहीं बढ़ा। ऐसा होता तो राज्य के सभी 34 फीसदी मुस्लिम मत एआईयूडीएफ को मिल गए होते। उल्टे पहली बार विधानसभा चुनाव में 13 फीसदी मत मिले थे। दूसरी बार यह आंकड़ा 19 फीसदी और फिर तीसरी बार 13 फीसदी तक गिर गया। वहीं एक समय दो सांसदों वाली भाजपा देश और राज्य में बहुत तेजी से विस्तारित हुई है। असम में तो उसके विधायक 5 से 60 हो 600 फीसदी बढ़ गए।

अजमल ने सवाल उठाया कि आखिर उनकी पार्टी की बढ़त से किसे इतनी परेशानी हो रही है कि सेनाध्यक्ष को यह बात कही पड़ी। किसका इशारा है। उन्होंने पूर्व सेनाध्यक्ष व अन्य उच्च पदों पर रहे अधिकारियों को सांसद-मंत्री बनाए जाने का जिक्र करते हुए कहना चाहा कि कहीं जनरल रावत का बयान भी इसी से प्रेरित तो नहीं है।

हालांकि सेनाध्यक्ष के तौर पर जनरल रावत पर आस्था जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें रावत पर पूरा भरोसा है। लेकिन उनका काम देश की रक्षा करना है, राजनीतिक बयानबाजी नहीं।

मौलाना अजमल ने बड़ी संख्या में हिंदू प्रत्याशी चुनावों में उतारने और लोकसभा से लेकर विधानसभा तक में अपनी पार्टी के हिंदू प्रतिनिधियों का जिक्र कर खुद को पूर्ण सेक्युलर पार्टी भी बताया।

जनरल रावत ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि1980 के दशक में एआईयूडीएफ का विकास असम में भाजपा की तुलना में तेज रहा है। उन्होंने राज्य के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने की खबरों के संदर्भ में यह बात कही थी।

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