चित्रकूट / विवेक अग्रवाल
हिंदुस्तान का पौराणिक एवं ऐतिहासिक तीर्थ स्थल चित्रकूट जहां प्रतिदिन हजारों हजार तीर्थयात्री श्रद्धालु आते हैं प्रत्येक माह में पड़ने वाली अमावस्या में यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है सोमवती अमावस्या में श्रद्धालुओं की संख्या 20 से 25 लाख पहुंच जाती है और दीपावली में यह संख्या बढ़कर 30 लाख तक पहुंच जाती है प्रभु श्री राम ने अपने वनवास के 14 वर्षों में साढ़े 11वर्ष यहीं पर बिताए थे कहते हैं प्रभु श्री राम और सीता जी सबसे ज्यादा सुखी रहे हैं तो चित्रकूट में ही। उनकी प्रसन्नता के चलते चित्रकूट का कण कण पवित्र से और अधिक पवित्र होता रहा है। चित्रकूट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दो प्रदेशों की सीमाओं में स्थित है और चित्रकूट का दुर्भाग्य रहा है कि कभी यूपी में कोई और सरकार तो एम पी में कोई और सरकार जिसके चलते दोनों प्रदेशों के इस धाम का विकास सुव्यवस्थित ढंग से नहीं हो पाया है परंतु सौभाग्य से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी की सरकारें हैं। हिंदुओं और धार्मिक आस्थाओं को मानने वाली यह सरकार चित्रकूट के विकास का हमेशा दम भर्ती रही है। चित्रकूट के विकास के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणाऐ भी हुई है परंतु दुर्भाग्य कहें या हमारे जनप्रतिनिधियों की ढिलाई बेड़ी पुलिया से चित्रकूट जाने वाले मार्ग का निर्माण विगत कई वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है पूरी सड़कें उखाड़ दी गई हैं और उस पर काम विगत 8 माह से बिल्कुल बंद पड़ा है। धन्यवाद देंगे माननीय मुख्यमंत्री जी और राष्ट्रपति महोदय को कि जिनके आने के चलते बेड़ी पुलिया से चित्रकूट का एक तरफ का मार्ग थोड़ा सा रिपेयर कर दिया गया कुछ राहत भी मिली अब जिसके चलते आने और जाने वाली गाड़ियां उसी मार्ग से आती जाती है। अत्यधिक ट्रैफिक होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं परंतु इस और ना तो शासन-प्रशासन और ना ही हमारे जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं मैं स्थानीय विधायक जी और सांसद जी जिनको जनता ने बड़ी आशा और विश्वास के साथ विधानसभा और लोकसभा में भेजा था से यह निवेदन करना चाहता हूं कि अगर इतने आवश्यक सड़क का कार्य भी जिन्हें वह प्रतिदिन देखते हैं को नहीं अविलंब पूरा करा पाते हैं तो पूरे जनपद का विकास क्या हो पाएगा क्या संदेश जाएगा। इसके अतिरिक्त भी चित्रकूट में विकास की असीम संभावनाएं हैं परंतु अभी किसी भी क्षेत्र को ठीक ढंग से विकसित नहीं किया गया है और जो किया गया है वह सब अधूरा पड़ा है। संतो ऋषि मुनियों की ये नगरी जिसकी अनादिकाल से एक पहचान रही है विश्व पटल में इसका नाम उच्च शिखर में रखने के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को और अधिक मेहनत करनी होगी और अगर वह हमारे पौराणिक चित्रकूट को उच्च शिखर पर ले जाने का काम करते हैं तो जनता भी उन्हें उच्च शिखर में बैठाने से नहीं चूकेगी। और अगर इस ओर ध्यान नहीं देंगे तो जनता भी उन्हें….
विवेक अग्रवाल
यूनीवार्ता चित्रकूट.