चित्रकूट में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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चित्रकूट में सोमवार को जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में शिरकत करने से पूर्व राष्ट्रपति दोपहर 12 बजे अारोग्यधाम पहुंचे वहां उन्होंने  नानाजी देशमुख की प्रतिमा के अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आधुनिक युग के इस दधीचि का पूरा जीवन ही एक प्रेरक कथा है। विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी नानाजी के कार्य अनुकरणीय। स्वालंबन के लिए गांवों में ऐसे प्रयास होने चाहिए।

विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी चण्डीदास अमृतराव उपाध्याय ‘नानाजी देशमुख’ के कार्य अनुकरणीय थे। स्वालंबन के लिए गांवों में ऐसे प्रयास होने चाहिए। युगदृष्टा चिंतक का यह कथन “हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हैं, अपने वे हैं जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं”  अाज भी प्रेरणा श्रोत है। यह बात सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित दीन दयाल शोध संस्थान के अारोग्यधाम में नानाजी देशमुख की प्रतिमा के अनावरण के दौरान कही।

चित्रकूट में सोमवार को जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में शिरकत करने से पूर्व राष्ट्रपति दोपहर 12 बजे अारोग्यधाम पहुंचे वहां उन्होंने  नानाजी देशमुख की प्रतिमा के अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आधुनिक युग के इस दधीचि का पूरा जीवन ही एक प्रेरक कथा है। विविध गुणों एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी नानाजी के कार्य अनुकरणीय। स्वालंबन के लिए गांवों में ऐसे प्रयास होने चाहिए।

राष्ट्रपति ने लिखा रामदर्शन कर सकून मिला
राष्ट्रपति अारोग्यधाम के बाद रामदर्शन का भ्रमण किया। इसके बाद काफी टेबल बुक का लोकार्पण किया अौर विजिटर बुक में लिखा कि मुझे रामदर्शन कर सुकून मिलता है। इस दौरान राष्ट्रपति के साथ केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, यूपी के राज्यपास राम नाईक, मध्यप्रदेश के राज्यपाल राज्यपाल ओपी कोहली एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।

चित्रकूट पहुंचने वाले देश के दूसरे राष्ट्रपति बने 
चित्रकूट के दौरे पर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश के दूसरे राष्ट्रपति हैं जो चित्रकूट के दौरे पर पहुंचे हैं। उनसे पहले 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चित्रकूट आए थे। नानाजी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद राष्ट्रपति ने प्रदर्शनी से संस्थान के प्रकल्पों का अवलोकन किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिव्यांगता से कभी हार न मानने की नसीहत दी है। राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक कार्यक्रम में पहुंचे महामहिम ने कहा, हर दिव्यांग में विशेष प्रतिभा होती है। बस जरूरत है तो सिर्फ लगन, मेहनत व आत्मबल की। अगर इसे करना सीख लें तो सफलता कदम चूमेगी। बोले-विकलांग विश्वविद्यालय में रोजगार परक शिक्षा का भी प्रबंध हो ताकि यहां से निकला हर विद्यार्थी नौकरी के अलावा उद्योग की तरफ भी ध्यान दे। उन्होंने खुद के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर दिलवाने में मदद करने की अपील की।

जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे कोविंद ने यूपी की दो होनहार दिव्यांग बेटियों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों ने दिव्यांगता के बावजूद सफलता के नए आयाम गढ़े। ट्रेन हादसे में पैर गंवा चुकी अरुणिमा सिन्हा ने एवरेस्ट फतह की तो इला सिंघल ने आईएएस बनकर सूबे का नाम रोशन किया। जरूरत है कि कोई भी बेटी खुद को कमजोर न समझे और इन दोनों का अक्स खुद में देखे। इनकी तरह हिम्मत और लगन दिखा दी तो कामयाबी कभी भाग नहीं पाएगी। राष्ट्रपति ने कहा कि आंध्र प्रदेश में शत-प्रतिशत विकलांग श्रीकांत ने उद्योग स्थापित किया और दुनिया की मशहूर फोर्ब्स पत्रिका में टॉप-30 उद्योगपतियों में नाम शामिल कराया।

नानाजी देशमुख की प्रतिमा का अनावरण किया
इससे पहले उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प आरोग्यधाम में प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख की प्रतिमा का अनावरण किया। यहां करीब तीन घंटे तक उन्होंने विभिन्न प्रकल्पों को निहारा। महामहिम ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी पहली चित्रकूट यात्रा है। यहां दिव्यांगों के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना कर रामभद्राचार्य ने अनूठा विद्या का मंदिर खोला है। दिव्यांगता की चुनौती का रामभद्राचार्य ने सामना किया है। यही वजह रही कि दिव्यांगों के लिए उन्होंने इतना बड़ा काम किया है।

दिव्यांग अष्ट्रावक्र का राष्ट्रपति ने दिया उदाहरण

इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि आठ प्रकार से दिव्यांग अष्ट्रावक्र एक बार राजा जनक के दरबार में पहुंचे तो पहले वहां के विद्वानों ने उनका मजाक उड़ाया लेकिन उनका भाषण सुनने के बाद विद्वता को सलाम किया। कोविंद ने दिव्यांग छात्रों से कहा कि वह शिक्षा पूरी करने के बाद आपस में संपर्क बनाएं। पुरातन छात्रसंघ का गठन करें। लगन, मेहनत और आत्मबल को कभी न भूलें। केंद्रीय कानून एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, यूपी के राज्यपाल रामनाईक, एमपी के राज्यपाल ओपी कोहली, सूबे के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी कार्यक्रम में रहे। विवि के आजीवन कुलाधिपति स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, दीक्षांत का मतलब है दीक्षा का कोई अंत नहीं। यहां से निकले छात्रों से राष्ट्र की सेवा में समर्पित होने का आह्वान किया। कहा कि उनकी इच्छा है कि इस विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा दिया जाए। इस पर राज्यपाल ने सहयोग की बात कही।

तीन राम विवि के लिए कुछ करें: रामभद्राचार्य 

भाषण के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान में नौ रत्नों में शामिल रामभद्राचार्य ने कहा कि मंच पर तीन राम मतलब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल रामनाईक व वह खुद हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय के उत्थान के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

 

 

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