किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी / सदैव आपका – राजेश बादल

साथियो,

ज़िंदगी में सात बरस कम नहीं होते। कैसे यह वक़्त गुज़र गया, पता ही नहीं चला।

एक सुनसान, उजड़ी और भुतहा सी कोठी में आकर बैठ गए थे। शायद तेरह नंबर अशुभ मानते हैं इसलिए उस कोठी का नंबर बारह-ए कर दिया गया था। मगर उस अशुभ और भुतहा मानी जाने वाली कोठी से एक ऐसी शुभ शुरुआत हुई कि देश के चैनल इतिहास में मिसाल बन गई। हम सब आज तालकटोरा स्टेडियम एनेक्सी के इस चमकदार ऑफिस में सहूलियत से काम कर रहे हैं, लेकिन क्या आपको याद है कि जब चैनल शुरू किया था तो बैठने के लिए जगह तक नहीं थी, वाशरूम नहीं थे,चाय के लिए कैंटीन नहीं थी, शूटिंग और एडिटिंग के लिए किराए के पांच जोड़ी उपकरण थे, अपना स्टूडियो, नहीं था, आने-जाने के लिए पर्याप्त गाड़ियां नहीं थीं। कोई आर्काइव नहीं था, एंकर वार्डरोब नहीं थी। यहां तक कि फ़ोटो कापी और प्रिंट निकालने तक की पर्याप्त सुविधा नहीं थी। जिन साथियों ने बाद में जॉइन किया है, शायद उनको हैरानी हो रही होगी। पर यह सच है। हां कुछ अगर था तो एक पागलपन था, एक जुनून था-अच्छा चैनल निकालने का। शायद वो हम कर पाए। जब चैनल शुरू किया था, लोग हंसते थे-संसद के एक और चैनल की क्या ज़रूरत है? विज्ञापन देने पर भी आवेदन कम आते थे। आज तो एक-एक पद के लिए सैकड़ों -हज़ारों अर्ज़ियां आती हैं।

बहरहाल!

प्रक्रियाओं और नियम क़ानूनों की मर्यादा, सीमित बजट और संसाधन के बावजूद राज्यसभा टीवी अगर आज यहां खड़ा है तो आप सभी की बदौलत। यह टीम न होती तो शायद दो हज़ार अठारह तक का सफ़र आसान नहीं होता। मैंने अठारह अक्टूबर 2010 को कार्यकारी संपादक के रूप में यहां काम शुरू किया था। उसके बाद लोग आते गए और कारवां बनता गया।

उन दिनों भारतीय टेलिविज़न समाचार चैनल साख और विश्वसनीयता के संकट से जूझ रहे थे। भारतीय राजनीति और राजनेताओं के समक्ष भी यही चुनौती थी। ऐसे में राज्यसभा टीवी ने संसद और समाज के रिश्ते को मज़बूती प्रदान की। अपने समाचार बुलेटिनों और कार्यक्रमों के मार्फ़त करोड़ों दिलों पर राज किया। इसलिए आज विदा की घड़ी में कोई बहुत अफ़सोस नहीं हो रहा है। अफ़सोस आप सब लोगों का साथ छूटने का है। ऐसी टीम पर कोई भी संपादक गर्व करना चाहेगा। आप लोगों ने इतने वर्षों तक जो इज़्ज़त बख़्शी, इतना सम्मान दिया, प्यार दिया, वह कभी नहीं भूलेगा।

इतने साल तक साथ काम करते हुए अनेक बार ग़ुस्सा भी आया होगा, कभी अपशब्द भी निकले होंगे, किसी न किसी को ठेस लगी होगी पर यक़ीन मानिए, मेरी नीयत और मंशा में कभी खोट नहीं था। चैनल का हित मेरे लिए सर्वोपरि था। सौ फ़ीसदी लोगों को कोई भी संतुष्ट नहीं कर सकता। कोई भेदभाव या पक्षपात अपनी ओर से नहीं किया। अपनी तरफ़ से सभी को सहयोग किया है। इसलिए जाने अनजाने मुझसे हुई ग़लतियों के लिए कृपया माफ़ कीजिए। आज चैनल में जितने भी प्रोफ़ेशनल साथी हैं, उमर में मुझसे छोटे हैं इसलिए भी मेरा हक़ बनता है कि घर के किसी वरिष्ठ सदस्य की तरह मेरी त्रुटियों को भूल जाएं।

हां एक बिना मांगी सलाह दे रहा हूं। पसंद नहीं आए तो डस्टबिन मे डाल दीजिए। कभी भी दूसरे के काम का मूल्यांकन करते समय तारीफ़ ज़रूर करिए। आजकल यह बड़ी महंगी है और निंदा करते समय सौ बार सोच लीजिए। यह एक ऐसा तीर है, जो उलट कर लगता है। इस तीर से बचिए। हमारे प्रोफ़ेशन मे इन दिनों यह प्रवृति बढ़ रही है।

आप सबके बेहतर भविष्य के लिए मंगल कामना करता हूं। कभी मेरे लायक कोई भी सेवा हो तो बेझिझक कहिएगा। अगर मेरी सामर्थ्य होगी तो ज़रूर मदद करूंगा।

राज्यसभा के महासचिव श्री देश दीपक वर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री शशिशेखर वेंपति, राज्यसभा के अतिरिक्त सचिव श्री एएराव, निदेशक प्रशासन श्री संजय विक्रम सिंह, निदेशक वित्त श्री कल्याणसुंदरम, अतिरिक्त निदेशक श्री  चेतन दत्ता, श्री नरेंद्र कुमार और श्री पवन जी के अलावा मेरे सहयोगी श्री अनिल नायर और श्री विनोद क़ौल का भी आभार। उन्होंने मुझे काम के दौरान अनुकूल स्थितियां बनाने में भरपूर सहयोग किया। छोटे भाई जैसे ओम प्रकाश अब आपके शुभ चिंतक हैं- इसलिए बेफ़िक्र हूं।

यह सफ़र अधूरा रहेगा अगर मैं पूर्व सीईओ श्री सप्पल का आभार न मानूं। उन्होंने शुरुआत से ही चैनल संचालन में पूरी आज़ादी दी। बाक़ी किस किसका नाम लूं, सब मेरे अपने हैं और मैं उनका हूं।

फिर नया दिन होगा, नई रात होगी/

नए सिलसिले की शुरुआत होगी/

मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी/

किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी/

मैंने अपना त्यागपत्र सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है और बची हुई छुट्टियां ले रहा हूं। क़रीब एक महीने बाद आप लोगों की चैनल-ज़िंदगी से औपचारिक तौर पर विदा हो जाऊंगा। कृपया नए संपादक (जो भी आएं) उन्हें सहयोग करें और चैनल को नई ऊंचाई पर ले जाएं। चैनल को आगे बढ़ता देखकर मुझे हमेशा ख़ुशी होगी।

आपके प्यार और सहयोग के लिए पुनःअत्यंत आभार के साथ।

सदैव आपका

राजेश बादल

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