कथाकार सोशल रिस्पांसिबिलिटी भी लें : स्वामी चिदानंद सरस्वती
ऋषिकेश / परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं श्रीमद् भागवत कथाकार स्वामी संजय कृष्ण सलिल जी महाराज ने मिलकर वृन्दावन, मथुरा, ब्रज एवं यमुना जी की स्वच्छता के लिये योजना बनायी। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि सभी कथाकार पूज्य मृदुल कृष्ण शास्त्री जी, पूज्य अनुराग कृष्ण शास्त्री जी, पूज्य देवकी नन्दन ठाकुर जी, पूज्य पराश्वर जी एवं अन्य कई कथाकारों के साथ वृन्दावन के के सी घाट पर नवम्बर भव्य आरती सम्पन कराने पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होने कहा कि वृन्दावन, मथुरा एवं ब्रज की भूमि मे गंगा जी की आरती की तरह यमुना जी की आरती का क्रम शुरू करने के लिये पूज्य मोरारी बापू और पूज्य रमेश भाई ओझा जी के साथ भी चर्चा हुई है तथा सभी पूज्य संतों ने आरती में अपनी दिव्य उपस्थिति देने के लिये आश्वस्त किया है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, ’वृन्दावन, मथुरा एवं ब्रज की भूमि कथाकारों से भरी पड़ी है। सभी कथाकार पर्यावरण के प्रति जागरण का कार्य अपने हाथ मंे ले ले तो विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। अब समय आ गया है कि सी एस आर की तरह के एस आर ( कथाकार सोशल रिस्पांसिबिलिटी) निभाना होगा इससे अद्भुत परिवर्तन एवं जागरण हो सकता है। आज की स्थिति में यमुना जी का जल आचमन करने योग्य नहीं है अतः यमुना जी को उनके वास्तविक स्वरूप में लाना ही प्रभु के लिये सच्ची भेंट होगी। उन्होने कहा कि सरकार संसद मे बिल बनाने का कार्य करती है परन्तु दिलों को बदलना तो संत ही कर सकते है। अतः बिल बनाने का काम करे संसद और दिल बदलने का काम करे संत। संसद और संत मिलकर कार्य करे तो विस्मयकारी परिवर्तन सम्भव है।’
श्रीमद् भागवत कथाकार स्वामी संजय कृष्ण सलिल जी महाराज ने कहा कि ’श्रीमद् भागवत कथा विश्व सभी स्थानांे पर होती है परन्तु कथा की महिमा के साथ माँ गंगा की दिव्य आरती इस परमार्थ गंगा घाट पर ही सम्भव है। उन्होने कहा कि इस प्रेरणा और दिव्यता को हृदय मे आत्मसात कर पूज्य संतों के साथ मिलकर यमुना जी की आरती का क्रम आरम्भ करना पावन अनुभव होगा।
दोनो पूज्य संतों ने श्रीमद् भागवत कथा के समापन से पूर्व पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।