इस शहर को मकतल बना दिया किसने…/ मुकुंद

मुकुंद, स्थानीय संपादक, प्रयुक्ति

हरियाणा की बदनसीबी यह है कि हर राजनीतिक दल ने दुष्कर्मी और हत्यारोपी गुरमीत राम रहीम के समर्थकों के वोट पाने के लिए खुद को डेरे में गिरवी रखा है। इनेलो और कांग्रेस से लेकर भाजपा तक ने।

देश के खूबसूरत शहरों में शुमार पंचकूला सुलगता रहा…। जलता रहा…। और सूबे की भगवा हुकूमत तमाशा देखती रही। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ठीक कहा है-हरियाणा सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया। अगर कानून न होता तो शहर का क्या होता…। इसकी कल्पना भर से रूह कांप रही है। डेरा सच्चा सौदा सिरसा के लाखों हथियारबंद अनुयायियों ने शहर का अमन लूट लिया। पुलिस और फौज भी बाल-बांका नहीं कर पाई…। कितना तकलीफदेह है 25 अगस्त की उस दोपहर को याद करना…। लघु सचिवालय के एक कोने में स्थित सीबीआई कोर्ट इस डेरे के कर्ता-कर्ता गुरमीत राम रहीम को बलात्कार का दोषी ठहराती है।

न्यूज चैनलों में सूचना फ्लैश होते ही आस्था की अफीम के नशे में पागल अनुयायियों ने सारे शहर के चप्पे-चप्पे को मकतल बना दिया। पंचकूला के सिविल अस्पताल में इससे पहले कभी इतनी तादाद में लाशें नहीं पहुंची थीं। शहर का शानदार पुराना होटल पल्लवी आग के हवाले कर दिया गया। सैकड़ों गाड़ियां फूंक दी गईं। मेरे भी पत्रकार दोस्तों संजीव महाजन और विजय कुमार की गाड़ियां शामिल हैं। यह सब धारा 144 लागू होने के बाद हुआ। वाह रे, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर। प्रदेश की उप राजधानी के नाम से जाना जाने वाला शहर जार-जार रोता रहा। आप चंडीगढ़ की सरकारी कोठी में आराम फरमाते रहे। इनसानी लाशों की गंध से शहर का आसमान धुआं-धुआं होता रहा। यह आपका नहीं, राजनीति और सत्ता के चरित्र का दोष है।

हरियाणा की बदनसीबी यह है कि हर राजनीतिक दल ने इस दुष्कर्मी और हत्यारोपी गुरमीत राम रहीम के समर्थकों के वोट पाने के लिए खुद को डेरे में गिरवी रखा है। इनेलो और कांग्रेस से लेकर आपकी भाजपा तक ने। ज्यादा दूर की बात नहीं है। आप यह नहीं कह सकते कि गुरमीत के प्रति आपकी आस्था नहीं है। याद करें, सरकार बनने के बाद आप अपने सारे मंत्रियों के साथ डेरे में शीश झुकाने पहुंचे थे। बात पुरानी है। हो सकता है बढ़ती उम्र की वजह से याद ना आ रहा हो। खैर कोई बात नहीं। तो 15 अगस्त 2017 को जेहन में लाइए। सब कुछ याद आ जाएगा। चुनाव विश्लेषक और हरियाणा की राजनीति को रग-रग से पहचानने वाले योगेंद्र यादव ने एनडीटीवी के रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम में डंके की चोट पर कहा है कि 15 अगस्त को सिरसा में गुरमीत ने अपना जन्मदिन मनाया।

आपके दो मंत्री रामबिलास शर्मा और अनिल विज वहां पहुंचे। बधाई दी। साथी ही गुरमीत राम रहीम के चरणों में 50 लाख रुपये भी चढ़ाए। हिम्मत है तो कह दीजिए यह सब झूठ है। मगर आप नहीं कहेंगे। …क्योंकि आपको मालूम है कि डेरे के समर्थन से भाजपा ने विधानसभा की करीब एक दर्जन सीट जीती थीं। आखिर उसका उपकार तो अदा करना ही था। सो …आपने यही किया। आपने अपना फर्ज तो अदा कर दिया है पर कानून भी अपना काम कर रहा है। यह तो आपको मानना ही पड़ेगा कि इस देश में कानून से बड़ा कोई नहीं है। देश के पांच राज्य डेरे की हिंसा में जले हैं। अकूत सरकारी और गैर सरकारी संपत्ति नष्ट की गई है। कानून का चाबुक चला है।

हाईकोर्ट ने कह दिया है कि पाई-पाई की भरपाई डेरे की संपत्ति बेच कर की जाएगी। आपसे एक निवेदन है कि डेरे की संपत्ति का ब्यौरा ईमानदारी से एकत्र कराएं। वरना कानून का कोड़ा आपकी सरकार पर भी चल सकता है। माना कि आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखों के तारे हैं। इसलिए आपकी कुर्सी नहीं हिलेगी। मगर याद रखिएगा कानून इंदिरा गांधी तक की कुर्सी को हिला चुका है। तो आपकी कहां बिसात। अफसोस यह है कि देश के लोग ऐसे अधर्मी साधु-संत-संन्यासी और बाबाओं पर यकीन करने लगते हैं। वह खुद अपनी बहू-बेटियों की अस्मत इन राक्षसों से लुटवाते हैं। अगर कोई बहू-बेटी आवाज उठाती है तो उसे खामोश करने की कोशिश की जाती है।

बावजूद इसके दो पीड़ित साध्वी आखिरी दम तक पीछे नहीं हटीं। जान से मारने की धमकियों पर भी नहीं डरीं। इन दोनों को सलाम। सिरसा से छपने वाले अखबार ‘पूरा सच’ को भी सलाम। इसके स्वर्गीय संपादक रामचंद्र छत्रपति को भी सलाम। वह इन साध्वियों की आवाज बने। 2002 में ‘पूरा सच’ में इनकी गुमनाम चिट्ठी को छापकर गुरमीत राम रहीम के चेहरे को बेनकाब कर दिया। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। सलाम सीबीआई की विशेष अदालत के जज जगदीश सिंह को भी। उन्होंने निर्भीकता के साथ फैसला सुनाया। गौरतलब है कि डेरे ने उन्हें भी धमकी दी थी। बहरहाल गुरमीत राम रहीम तो अब जेल में ही रहेंगे पर पंचकूला के हालात पर एक कलाम याद आ रहा है-इस शहर को मकतल बना दिया किसने सुना है अहल-ए-सियासत की मेहरबानी है। खुदा खैर करे…अब कोई दूसरा शहर पंचकूला न बने।

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