आंध्र को विशेष दर्जा न देने पर टीडीपी ने छोड़ा मोदी सरकार का साथ
न्यूज़ गेटवे / आंध्र को विशेष दर्जा न देने पर / नई दिल्ली /
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना दिए जाने से खफा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने मोदी सरकार से अपना नाता तोड़ लिया है। टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए सरकार से अलग होने का एलान किया। मोदी सरकार में शामिल टीडीपी के दो मंत्री अशोक गजपति राजू और वायएस चौधरी गुरुवार सुबह केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे।
चंद्रबाबू ने अमरावती में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय बजट में आंध्र की अनदेखी को लेकर मोदी सरकार से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन समय कई वादे किए थे, लेकिन एक भी वादा नहीं निभाया गया। यह वादा केंद्र में उस समय की मनमोहन सरकार ने किया था।
दरअसल, आंध्र में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति गहरा गई थी। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर-कांग्रेस ने केंद्र को पांच अप्रैल तक विशेष राज्य की घोषणा का अल्टीमेटम दे रखा है। ऐसा नहीं होने पार्टी के सभी नौ सांसद और विधायक संबद्ध सदनों से इस्तीफा दे देंगे। इस अल्टीमेटम के बाद राज्य में कौन आगे की लड़ाई शुरू हो गई थी। सत्तारूढ़ टीडीपी को मजबूरी में इस लड़ाई में कूदना पड़ गया। यही मजबूरी उसके गले की फांस बनकर राजग से अलग होने का कारण बन गया।
टीडीपी का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यसभा में दिए आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही। नायडू ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था, ताकि आंध्र को न्याय मिल सके। लेकिन ऐसा हो न सका। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री नायडू दर्जनों बार दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले। फिर भी उनके अनुरोध पर गौर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से बांटा गया था। इससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन बजट में भी आंध्र को फंड नहीं दिए गए।
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा इसलिए कई कारणों से संभव नहीं है। एक तो इसके लिए नियमों में बदलाव करने पड़ेंगे। अगर नियमों में बदलाव कर भी दिया गया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इसी तरह की मांग शुरू कर देंगे। इसलिए मोदी सरकार टीडीपी की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है।
इससे पहले, बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्य की स्थिति से सरकार अवगत है और मदद के लिए तैयार है। विशेष राज्य को केंद्रीय योजनाओं में 90 फीसद हिस्सा केंद्र से मिलता है। ऐसी ही मदद केंद्र करने के लिए संकल्पित है। लेकिन 14वें वित्त आयोग के बाद विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब राज्य का विभाजन हुआ था उस समय ऐसी व्यवस्था थी। लेकिन अब यह सुविधा सिर्फ पूर्वोत्तर और तीन पर्वतीय राज्यों तक ही सीमित है।