असदुद्दीन ओवैसी बोले-हर समाज से वोट मांगेंगे

पश्चिम बंगाल चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने तीसरे चरण के चुनाव के बाद अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान किया है. एआईएमआईएम ने बंगाल में 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि 6 सीटों पर लड़ने वाली एआईएमआईएम लगातार सीएम ममता बनर्जी के निशाने पर है. इसको लेकर पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सीएम ममता और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम हर समाज से वोट मांगे. उन्होंने कहा कि हम ममता बनर्जी या नरेंद्र मोदी वाली पॉलिटिक्स पर भरोसा नहीं करते. ममता बनर्जी ने कह दिया कि मैं हिंदू ब्राह्मण हूं, फिर कह दिया कि मैं शांडिल्य हूं. नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं.

बंगाल चुनाव में देरी से एंट्री

चुनाव में देर से एंट्री करने के सवाल पर ओवैसी ने कहा, “देरी नहीं हुई है. हमने काफी सोच विचार किया. फिर हमने फैसला किया कि क्योंकि हम पहली बार लड़ रहे हैं इसलिए हम 6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.” ओवैसी ने कहा कि वैसे भी पहले दो तीन फेज़ में तो हमारे कैंडिडेट का इलेक्शन नहीं था. उन्होंने कहा कि हालांकि थोड़ी देरी हुई है, लेकिन हम समझते हैं कि अभी भी हमने सही वक्त पर फैसला किया है.

अब्बास सिद्दीकी की पार्टी से अलग क्यों हुए?

असदुद्दीन ओवैसी ने अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ से अलग होने को लेकर कहा, “मैं अब्बास सिद्दीकी से मिलने फुरफुरा शरीफ गया था. वहां हमने कहा था कि हम इनके साथ रहेंगे. और इलेक्शन इनके साथ लड़ेंगे. उससे पहले दिसंबर में अब्बास सिद्दीकी अपने भाई नौशाद के साथ हैदराबाद आए थे. उन्होंने मेरे घर में मुझसे मुलाकात की. वो बड़ी मुहब्बत से पेश आए, मगर उन्होंने कुछ ऐसा फैसला ले लिया, वो लेफ्ट और कांग्रेस के फ्रंट में गए हैं.. हमारा अब इस चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं है. हम अपनी ताकत और बलबूते पर इस चुनाव में हम लड़ रहे हैं.

सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल के मुस्लिम अल्पसंख्यकों ऐसा समझ लिया है कि नुक्कड़ पर एक नाटक हो रहा है और हम दर्शक हैं. वो अगर सर पर पल्लू रख लेंगी तो हम लोग ताली मारेंगे. वो अगर अल्लाह हू अकबर कह दें तो हम ताली मारे. उन्होंने कहा, “ममता का ये स्टेटमेंट देना कि पूरी माइनोरिटी मिलकर हमको वोट दें, वो सिर्फ हमको वोटर समझती हैं, हमको इंसान नहीं समझती. वो हमारे विकास पर, प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने पर, सरकारी नौकरी में बेहतरी करने पर बात नहीं करना चाहतीं.”

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