अमेरिका से भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने उत्तर कोरिया के जरिए पाकिस्‍तान पर निशाना साधा

न्यूज़ गेटवे / संयुक्‍त राष्‍ट्र /नई दिल्ली /

अमेरिका से भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने उत्तर कोरिया के जरिए पाकिस्‍तान पर निशाना साधा है। इसके जरिए भारत ने एक बार फिर से संयुक्‍त राष्‍ट्र में पाकिस्‍तान को बेनकाब करने का अपना मंसूबा भी जगजाहिर कर दिया। अमेरिका और जापान के विदेश मंत्रियों से हुई बैठक के दौरान उन्‍होंने कहा कि उत्तर कोरिया और पाकिस्‍तान के बीच गहरे संबंधों की जांच की जानी चाहिए। ऐसा पहली बार नहीं है कि जब भारत ने पाकिस्‍तान को बेनकाब किया हो। गौरतलब है कि न्‍यूयार्क में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा का 72वां सत्र चल रहा है। इसमें हिस्‍सा लेने के लिए सुषमा स्‍वराज रविवार को वहां पहुंची थीं। यहां पर यह भी ध्यान रखने वाली है कि आज ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राष्‍ट्र महासभा को संबोधित करने वाले हैं। इस दौरान होने वाले उनके संबोधन में भी उत्तर कोरिया का मुद्दा रहने की पूरी उम्मीद है। ट्रंप ने किम को एक नया नाम ‘रॉकेट मैन’ दिया है।

बैठक के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उत्तर कोरिया द्वारा किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों की कड़ी निंदा की है। उनका कहना था कि इससे कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ गया है। इस दौरान उन्‍होंने इशारों ही इशारों में पाकिस्‍तान का नाम लिए बिना उस पर भी निशाना साधा है। यूएन महासभा से इतर हुई बैठक में बोलते हुए सुषमा ने कहा कि उत्तर कोरिया के प्रॉलिफरेशन लिंकेज की जांच होनी चाहिए। इस मौके पर उन्‍होंने अमेरिका और जापान के विदेश मंत्रियों के साथ वार्ता के दौरान उत्तर कोरिया के उकसावेपूर्ण कार्रवाई की भी तीखी आलोचना की है।

यहां पर यह भी बताना जरूरी हो जाता है कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम में पाकिस्‍तान का हाथ बताया जाता रहा है। इस बात को खुद पाकिस्‍तान में मिसाइल प्रोग्राम के जनक डॉक्‍टर अब्‍दुल कादिर ने वर्ष 2004 में माना था। अपने कबूलनामे में कादिर ने कहा था कि उन्होंने मिसाइल और परमाणु तकनीक उत्तर कोरिया और लीबीया को दी थी। इतना ही नहीं कादिर का यह भी कहना था कि इसके लिए तत्‍कालीन पीएम ने काफी बड़ी राशि ली थी।

सुषमा का यह बयान इस लिहाज से भी काफी मायने रखता है क्‍योंकि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के परमाणु भौतिक वैज्ञानिक परवेज हुडबॉय ने जर्मन मीडिया में कहा था कि इस मामले में हाईलेवल का अपराध हुआ है। उन्होंने कहा था कि खान ने उत्तर कोरिया को अकेले यह सामान व तकनीक दिए हों, ऐसा मानना कुछ मुश्किल है। क्योंकि पाकिस्तान के परमाणु संस्थानों में हाईलेवल सिक्‍योरिटी होती है और आधे टन वजनी सामान को माचिस की डिब्बी में नहीं लाया जा सकता है। लिहाजा इस तस्‍करी में उच्च स्तर के लोगों का भी हाथ रहा होगा।

उत्तर कोरिया के मामले को हैंडल करने में ओबामा और ट्रंप में से कौन बेहतर है। इस बारे में अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत रहीं मीराशंकर का कहना है कि उत्तर कोरिया का मसला और समस्‍या ओबामा प्रशासन के दौरान भी थी। इसको रोकने के लिए उस वक्‍त ओबामा ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिसको अब ट्रंप ने और सख्‍त कर दिया है। उनका यह भी कहना था कि अब जो प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर लगाए गए हैं उनमें कुछ रियायत चीन और रूस को देखते हुए जरूर दी गई है। जैसे तेल की मियाद को तय कर दिया गया है लेकिन गैस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।

उन्‍होंने यह भी कहा कि सही मायने में आर्थिक प्रतिबंधों से ही उत्तर कोरिया को रोका भी जा सकता है। मौजूदा समय में उत्तर कोरिया पूरे विश्‍व के लिए चिंता का विषय है और खासतौर पर अमेरिका के सहयोगियों जिसमें दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं, के लिए ज्‍यादा खतरनाक है। ऐसे में यदि चीन सही मायने में प्रतिबंधों को अमल करने में मदद करेगा तो उत्‍तर कोरिया का बातचीत की टेबल पर आना संभव हो सकता है।

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