स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग
पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर अपने भाषणों से दुनियाभर में वाहवाही लूटने वाली स्वीडन की ग्रेटा थ नबर्ग भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर अपने ट्वीट्स को लेकर घिर गई हैं।
किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने जो टूलकिट शेयर की थी, उससे अब किसान आंदोलन में खालिस्तानी और विदेशी ताकतों की साजिश बेनकाब हो गई है। दिल्ली पुलिस ने टूलकिट के क्रिएटर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। हालांकि, एफआईआर में ग्रेटा या अन्य किसी का नाम शामिल नहीं है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि प्रारंभिक जांच से खुलासा हुआ है कि टूलकिट खालिस्तान समर्थक संगठन द्वारा तैयार की गई है। पुलिस ने इसे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में चल रही जांच को लेकर गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के साथ कई अहम जानकारियां साझा कीं। इस दौरान दिल्ली पुलिस से जब यह पूछा गया कि क्या पुलिस एफ आई आर में ग्रेटा थनबर्ग का नाम भी शामिल है? इस पर स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने कहा कि हमने एफआईआर में अभी किसी का नाम शामिल नहीं किया है, यह केवल टूलकिट के क्रिएटर्स के खिलाफ दर्ज की गई है जो जांच का विषय है। दिल्ली पुलिस की साइबर से उस मामले की जांच करेगी। हमने आईपीसी की धाराओं 124A, 153A, 153, 12OB के तहत केस दर्ज किया है।
प्रवीर रंजन ने कहा कि दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर गहनता से नजर बनाए हुए है। पुलिस ने इस मॉनिटरिंग के दौरान 300 से ज्यादा ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की है जिनका इस्तेमाल किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने और देश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से किया जा रहा था। इनका इस्तेमाल कुछ वेस्टर्न इंटरेस्ट ऑर्गनाइजेशनों द्वारा किया जा रहा है, जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के खिलाफ गलत प्रचार कर रहे हैं।
स्पेशल कमिश्नर ने बताया कि इस बारे में हमने किसान आंदोलन के नेताओं को भी बताया था कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो इस आंदोलन का फायदा उठाना चाहते हैं। इसी सोशल मीडिया मॉनीटरिंग के दौरान दिल्ली पुलिस को एक ऐसा अकाउंट मिला जिस पर टूल किट नाम से डॉक्यूमेंट अपलोड किया गया था। उस टूल किट को एक खालिस्तान समर्थक संगठन जिसका नाम पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन है, इसके द्वारा इसकी ऑथरशिप दिखाई गई है। इस डॉक्यूमेंट में एक एक्शन प्लान दिया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि 26 जनवरी या उसके आसपास एक डिजिटल स्ट्राइक करना है। 23 जनवरी के बाद एक ट्वीट स्टॉर्म करना है। 26 जनवरी को एक फिजिकल एक्शन करना है और किसान आंदोलन और मार्च जो 26 जनवरी को होना था या तो उस पर नजर रखनी थी या उसमें शामिल होना था, और यह देखना था कि कैसे यह दिल्ली में प्रवेश करता है और फिर वापस लौटकर बॉर्डर पर जाता है। इसके लिए इस टूलकिट के माध्यम से लोगों को बताया गया था। इसको अपलोड किया गया और फिर बाद में डिलीट भी कर दिया गया, लेकिन अब यह हमारे संज्ञान में आया है और अगर आप 26 जनवरी या उसके आसपास के ईवेंट्स को देखें तो आपको यह मालूम होगा कि यह बिल्कुल एक कॉपीकैट एग्जीक्यूशन था। जिस तरह का प्लान इस डॉक्यूमेंट में है, उसी तरह की एक्टिविटी ग्राउंड में भी दिखाई देती है। इसका संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस ने टूलकिट के जो भी ऑथर्स हैं उनके खिलाफ एक केस दर्ज किया है। इसमें अभी तक किसी का भी नाम शामिल नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि स्वीडन की रहने वाली पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में किसान आंदोलन के समर्थन में बुधवार शाम को एक ट्वीट किया था, जिसे उन्होंने बाद में डिलीट भी कर दिया। इसके बाद ग्रेटा थनबर्ग को जमकर ट्रोल किया गया। दरअसल ग्रेटा थनबर्ग ने एक गूगल डॉक्यूमेंट फाइल शेयर की थी, जिसमें किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल शेयर किया गया था। यही नहीं, इस फाइल को शेयर करते हुए ग्रेटा थनबर्ग ने ‘टूलकिट’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके चलते वह निशाने पर आ गई हैं।
इस डॉक्यूमेंट फाइल में भारत सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई थी। भले ही ग्रेटा ने गलती को समझते हुए अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है, लेकिन तब तक कई जगहों पर उनकी फाइल का स्क्रीनशॉट शेयर होने लगा था। ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट में भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को फासीवादी पार्टी तक करार दिया था। उनके ट्वीट की इस भाषा को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या वह भी प्रॉपेगेंडा का हिस्सा हैं।