स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को अन्तर्राष्ट्रीय विशिष्ट पुरस्कार ’ अहिंसा पुरस्कार ’ से सम्मानित

पार्लियामेंट टोरंटो, विश्व धर्म संसद द्वारा आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को अन्तर्राष्ट्रीय विशिष्ट पुरस्कार ’’अहिंसा पुरस्कार’’ से किया सम्मानित

ऋषिकेश/ टोरंटो 6 नवम्बर। आज भारत के लिये ऐतिहासिक और गौरव का क्षण है जब विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को ’’अहिंसा पुरस्कार’’ से सम्मानित किया गया। यह विशेष कार्यक्रम पार्लियामंेट टोरंटो, विश्व धर्म संसद द्वारा आयोजित किया गया।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को उनके असाधारण योगदान, अद्वितीय सेवा,  इंटरफेथ को बढ़ावा देने, इंटरफेथ संबंधों को मजबूत करने, विश्व स्तर पर शान्ति और मानवता के लिये किये जा रहे अद्वितीय योगदान के लिये उन्हे पुरस्कार प्रदान किया गया।
विश्व धर्म संसद के अध्यक्ष, डाॅ राॅबर्ट पी सेलर्स, डाॅ किरीट दफ्तररी ट्रस्टी एवं जैन धर्म प्रतिनिधि द्वारा  ’अहिंसा पुरस्कार’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को प्रदान किया गया।
भारत के प्रसिद्व आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज विश्व स्तर पर जल, स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे है। स्वामी जी महाराज के मार्गदर्शन में विश्व स्तर पर कार्य करने वाला जीवा संगठन पहला ऐसा गठबंधन है  जो विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू को एक मंच पर लाकर विलक्षण कार्य कर रहा है। स्वामी जी महाराज गंगा एक्शन परिवार के माध्यम से स्वच्छ गंगा आंदोलन, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं एवं लड़कियों को शिक्षित और सशक्त बनाने तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में तथा उनके मार्गदर्शन में हिन्दू धर्म विश्वकोश के रूप में अमूल्य गं्रथ का प्रकाशन एक ऐतिहासिक कार्य है।
पार्लियामेंट टोरंटो, विश्व धर्म संसद द्वारा आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम में विश्व के 50 विभिन्न धर्मो के 80 धार्मिक क्षेत्रों के लगभग दस हजार लोगों ने सहभाग किया।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि सत्य और अहिंसा की व्यवहारिक बुनियाद रखना ही सच्ची साधना है।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव स्वामी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ’’अहिंसा का तात्पर्य हिंसा की अनुपस्थिति नहीं है। शान्ति की पूर्णता सभी को गले लगाने और मानवता के लिये एकजुट होकर कार्य करना है। उन्होेने कहा कि स्वामी जी के विचार से हिंसा का अर्थ केवल बम, बंदूके, सशस्त्र संघर्ष ही नहीं बल्कि सार्वभौमिक सतत विकास अर्थात सभी को सुरक्षित, स्वच्छ और पर्याप्त जल, स्वास्थ्य की देखभाल, शौचालय की सुविधायें शिक्षा की पहंुच सभी भूखे, बेघर और अनाथ बच्चों को मौलिक जरूरतें प्रदान करना ही उन लोगों के लिये अहिंसा युक्त व्यवहार है। साध्वी जी ने कहा कि स्वामी जी महाराज जहां भी जाते है चाहे वह नदियों का तट हो या कचरे और प्रदूषण से युक्त भूमि वहा वे स्वयं कचरा-कूडा उठाकर लोगों को स्वच्छता का संदेश देते हैेेे। उन्होने बच्चों और महिलाओं के लिये शिक्षा केन्द, अस्पताल, और सीवेज उपचार संयत्रा एवं तकनीकी जैसे अनेेेेक ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न किये है।’’

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