सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
.आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः !
जो शास्त्र आयु यानी जीवन का ज्ञान कराता है वह आयुर्वेद है ।
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। ‘आयुर्वेद ‘ का अर्थ है, ‘ जीवन से सम्बन्धित ज्ञान ‘। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संसार की प्राचीनतम् पुस्तक ऋग्वेद है। ऋग्वेद-संहिता में भी आयुर्वेद के अतिमहत्त्व के सिद्धान्त यत्र-तत्र विकीर्ण है। चरक सुश्रुत, काश्यप आदि मान्य ग्रन्थ आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद मानते हैं। इससे आयुर्वेद की प्राचीनता सिद्ध होती है। आयुर्वेद सृष्टि की उत्पत्ति के साथ से ही है।
आयुर्वेद को आठ भागों में बाँटकर प्रत्येक भाग का नाम ‘तन्त्र’ रखा गया है –
1) शल्यतन्त्र (surgical techniques)
2) शालाक्यतन्त्र (ENT)
3) कायचिकित्सा (General medicine)
4) भूतविद्या तन्त्र (Psycho-therapy)
5) कुमारभृत्य (Pediatrics),
6) अगदतन्त्र (Toxicology)
7) रसायनतन्त्र (renjuvention and Geriatrics)
8) वाजीकरण (Virilification, Science of Aphrodisiac and Sexology)
इस अष्टाङ्ग आयुर्वेद के अन्तर्गत देहतत्त्व, शरीर विज्ञान, शस्त्रविद्या, भेषज और द्रव्य गुण तत्त्व, चिकित्सा तत्त्व और धात्री विद्या भी हैं। इसके अतिरिक्त उसमें सदृश चिकित्सा (होम्योपैथी), विरोधी चिकित्सा (एलोपैथी), जल चिकित्सा (हाइड्रोपैथी), प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी), योग, सर्जरी, नाड़ी विज्ञान (पल्स डायग्नोसिस) आदि आजकल के अभिनव चिकित्सा प्रणालियों के मूल सिद्धान्तों के विधान भी 2500 वर्ष पूर्व ही सूत्र रूप में लिखे पाये जाते हैं ।
बजट 2021 के भाषण के दौरान स्वास्थ्य के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी सौगात दी है. अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि हेल्थ सेक्टर का बजट 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2 लाख 23 हजार 846 करोड़ रुपये कर दिया गया है. लोकसभा में सीतारमण ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन के लिए इस बजट में 35,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं. अगर आगे भी जरूरत पड़ती है तो मैं फंड मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हूं.
कोरोना को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि इस बीमारी का असर दुनियाभर में पड़ा है और भारत ने इस महामारी से निपटने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारी चुनौतियां बढ़ा दी है. कोरोना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है.
कोरोना काल की इस विभीषिका के दौर में आयुर्वेदिक जीवन शैली और आयुर्वेद देश ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में देवदूत बन कर अवतरित हुआ है।कोरोना महामारी के वैश्विक संकट के दौरान भारत के सदियों पुराने आयुर्वेद को दुनिया भर में अपनाया गया है। भारत सरकार ने कोविड-19 से लड़ने के प्रयासों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक संघटकों के उपयोग की सफल रणनीति बनाई है और दुनिया के कई देशों को आयुर्वेदिक दवाइयों और मसालों का निर्यात किया है।
आयुर्वेद मार्केट से संबंधित प्रसिद्ध मैक्सिमाइज मार्केट रिसर्च के मुताबिक, भारत में आयुर्वेदिक दवाइयों का बाजार आकार वर्ष 2019 में करीब 4.5 अरब डॉलर मूल्य का था, जो वर्ष 2026 तक बढ़कर 14.9 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। देश और दुनिया में आयुर्वेद का बाजार निश्चित रूप से बढ़ रहा है.