शी चिनफिंग को सत्ता में बनाए रखने की चीन की ‘चाल’
न्यूज़ गेटवे / चीन की ‘चाल’/ बीजिंग /
शी चिनफिंग को अनश्चितकाल तक के लिए राष्ट्रपति पद पर बनाए रखने की चीन की चाल को लेकर पूरे देश्ा में बवाल मच गया है। सोशल मीडिया पर लोग इसका विरोध कर रहे हैं और उत्तर कोरिया के शासन परंपरा से तुलना कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि हम भी उत्तर कोरिया की राह पर आगे बढ़ने लगे हैं।
दरअसल, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति पद पर लगातार दो कार्यकाल की समयसीमा के संवैधानिक प्रावधान को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर चिनफिंग साल 2023 के बाद भी राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। वह 2013 से चीन के राष्ट्रपति हैं।
हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर देश में बढ़ते विरोध के बीच चीन ने एक और चाल चल दी है। सोशल मीडिया पर लोगों के आर्टिकल को ब्लॉक करना शुरू कर दिया गया है और कम्युनिस्ट पार्टी की तारीफ में लेख प्रकाशित किया जाने लगा है।
हालांकि रविवार देर शाम तक वेईबो से चीन ने सारे पोस्ट डिलीट कर दिए और ‘टू टर्म लिमिट’ सर्च टर्म को ब्लॉक करना शुरू कर दिया। वहीं ‘ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक संपादकीय में कहा कि बदलाव का ये मतलब नहीं कि राष्ट्रपति का कार्यकाल हमेशा बना रहेगा। हालांकि अखबार ने इस पर विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
वहीं पार्टी के आधिकारिक अखबार पीपुल्स डेली ने शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के एक आर्टिकल को दोबारा छापा, जिसमें कहा गया है कि अधिकतर लोगों ने संविधान में संसोधन का समर्थन किया है। उन्होंने इस संवैधानिक सुधार के लागू होने की उम्मीद जताई है।
रविवार को पार्टी की सेंटर कमेटी ने संविधान के उस प्रावधान में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया, जिसमें देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को लगातार दो कार्यकाल से ज्यादा बार पद पर रहने की अनुमति नहीं है।
पार्टी का अधिवेशन सोमवार को हो रहा है। इसमें इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की संभावना है। इससे चिनफिंग के लिए अनिश्चितकाल तक के लिए चीन का राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो जाएगा। चिनफिंग को आधुनिक चीन का सबसे ताकतवर नेता माना गया है।
चीन के मौजूदा संविधान के तहत 64 वर्षीय चिनफिंग को दूसरा पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ेगा। बतौर राष्ट्रपति उनका पहला कार्यकाल समाप्त होने वाला है। दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुने जाने की औपचारिकता चीन की संसद में जल्द पूरी की जाएगी। इसके लिए संसद की कार्यवाही पांच मार्च से शुरू होने वाली है।
पिछले साल अक्टूबर में सीपीसी के राष्ट्रीय सम्मेलन में चिनफिंग के दूसरे कार्यकाल पर मुहर लगी थी। एक तरह से उन्हें पार्टी का सर्वोच्च नेता घोषित किया गया। इससे पहले देश में तीन दशकों से सामूहिक पार्टी नेतृत्व की परंपरा चली आ रही थी। चिनफिंग कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ही सेना के भी प्रमुख हैं। वर्ष 2016 में सीपीसी ने उन्हें कोर लीडर की उपाधि दी थी।
प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति चिनफिंग, माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता बन जाएंगे। माओ ने वर्ष 1943 से 1976 तक चीन पर शासन किया था। देश के संविधान में कई और संसोधन भी प्रस्तावित है। इसमें चिनफिंग के राजनीतिक विचारों को भी शामिल किया जाएगा, जैसा कि पिछले साल पार्टी के संविधान में किया जा चुका है।
कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता पर पकड़ को मजबूत बनाने के लिए और भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार विरोधी इकाई के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने की भी योजना है।