ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की थी

– पुष्पा रिछारिया 

– पुष्पा रिछारिया 

हमारी परम्परा में शुक्ल पक्ष को शुभ माना जाता है और प्रायः सभी शुभ कार्य व विवाह एवं अन्य संस्कारों को शुक्ल पक्ष में करने का ही विधान है। वर्ष 2021 में नये विक्रमी संवत्सर वा वर्ष का आरम्भ 13 अप्रैल, 2021 को होगा। इस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि तथा संवत् 2078 होगा। इसी दिन सृष्टि संवत् 1,96,08,53,122 आरम्भ होगा।

जगत की सृष्टि की घड़ी यही है। इस दिन भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम सतयुग का प्रारंभ हुआ।

चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि। शुक्ल पक्षे समग्रेंतु तदा सूर्योदये सति।।

अर्थात ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस तथ्य की पुष्टि सुप्रसिद्ध भास्कराचार्य रचित ग्रन्थ ‘सिद्धांत शिरोमणि’ से भी होती है, जिसके श्लोक में उल्लेख है कि लंका नगर में सूर्योदय के क्षण के साथ ही, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस से मास, वर्ष तथा युग आरंभ हुए।

नव वर्ष का प्रारंभ इसी दिन से होता है

 इस समय से ही नए विक्रम संवत्सर का भी आरंभ होता है, जब सूर्य भूमध्य रखा को पार कर उत्तरायण होते हैं। इस समय से ऋतु परिवर्तन होनी शुरू हो जाती है। वातावरण समशीतोष्ण होने लगता है। ठंडक के कारण जो जड़-चेतन सभी सुप्तावस्था में पड़े होते हैं, वे सब जाग उठते हैं, गतिमान हो जाते हैं। पत्तियों, पुष्पों को नई ऊरा मिलती है, समस्त पेड़-पौधे, पल्लव रंग-विरंगे फूलों के साथ खिल उठते हैं। ऋतुओं के एक पूर चक्र को संवत्सर कहते हें।

संवत्सर, सृष्टि के प्रारंभ होने के दिवस के अतिरिक्त, अन्य पावन तिथियों, गौरवपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक घटनाओं के साथ भी जुड़ा है। रामचन्द्र का राज्यारोहण, धर्मराज युधिष्ठिर का जन्म, चैत्र नवरात्र का प्रारंभ आदि जयंतियां इस दिन से संलग्न हैं। इसी दिन से मां दुर्गा की उपासना, अराधना, पूजा भी प्रारंभ होती है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने अभूतपूर्व पराक्रम द्वारा शकों को पराजित कर, उन्हें भगाया, और इस दिन उनका गौरवशाली राज्याभिषेक किया गया।

  एक वर्ष में चार नवरात्र आती है  

देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्र आती है। वर्ष के प्रथम महीने अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है जिसे चैत्र नवरात्रि या बड़ी नवरात्रि कहते हैं। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में चौथी नवरात्रि आती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं।

पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल को घटस्थापना की जाएगी

पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल मंगलवार को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि से नवरात्रि का पर्व शुभारंभ होगा। पंचांग के अनुसार पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल को घटस्थापना की जाएगी। इस दिन घटस्थापना का मुहूर्त प्रात: 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। नवमी की तिथि 21 अप्रैल को पड़ेगी। वहीं नवरात्रि व्रत पारण 22 अप्रैल दशमी की तिथि को किया जाएगा।

इस बार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 13 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार से हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पावन दिनों में मां धरती पर ही निवास करती हैं। मां का वाहन शेर होता है, लेकिन नवरात्रि के पावन मौके पर माता धरती पर किसी ना किसी वाहन पर सवार होकर आती है। देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दूर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है।

  नवरात्रि मंगलवार से प्रारंभ हो रही हैं, इसलिए मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी  

कहते हैं कि यदि नवरात्रि का प्रारंभ रविवार, सोमवार से हो रहा है तो मां हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार, मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार, शुक्रवार से नवरात्रि प्रारंभ हो तो मां डोली में बैठकर आती हैं। वहीं दिय बुधवार से नवरात्रि प्रारंभ हो तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं। इस बार नवरात्रि मंगलवार से प्रारंभ हो रही हैं, इसलिए मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी।

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