जैक मा की मुश्किलें
दुनिया के 25वें सबसे अमीर शख्स जैक मा की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। चीन की शी चिनफिंग सरकार ने उनके समूह अलीबाबा को अपनी मीडिया परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) ने इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का हवाला देते हुए बताया कि बीजिंग देश में जनता के बीच दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
अलीबाबा ने पिछले वर्ष ही साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट का अधिग्रहण करते हुए मीडिया क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ाए थे। यह एक ऐसा समाचार पत्र है, जिसकी शुरुआत 118 वर्ष पहले हांगकांग में हुई थी। कंपनी के पास चीन स्थित मीडिया कंपनियों में भी हिस्सेदारी है। टेक्नोलॉजी न्यूज साइट 36केआर, सरकार के स्वामित्व वाले शंघाई मीडिया ग्रुप, ट्विटर जैसे वीबो प्लेटफॉर्म में हिस्सेदारी के साथ-साथ कई लोकप्रिय चीनी डिजिटल और प्रिंट समाचार संस्थाओं में भी इसकी भागीदारी है।
इसके अलावा अलीबाबा ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ और झेजियांग और सिचुआन प्रांतों में स्थानीय सरकार द्वारा संचालित समाचार पत्रों के समूह के साथ संयुक्त उद्यम या साझेदारी भी स्थापित की है। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी नियामक अलीबाबा के मीडिया जगत में विस्तार को लेकर चिंतित है और कंपनी को अपनी मीडिया कंपनियों में भागीदारी पर काफी हद तक अंकुश लगाने के लिए योजना के साथ आने के लिए कहा है। फिलहाल सरकार ने यह नहीं बताया है कि अलीबाबा को कौन सी मीडिया परिसंपत्तियां बेचनी होंगी। फिलहाल अलीबाबा ने सरकार के इस आदेश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों में अलीबाबा की हिस्सेदारी का संयुक्त बाजार मूल्य आठ अरब डॉलर से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है, वीबो कॉर्प में लगभग 3.5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी और बिलिबिली इंक में लगभग 2.6 अरब की हिस्सेदारी शामिल है। बिलिबिली इंक एक ऐसा वीडियो प्लेटफॉर्म है जो चीन के युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है।
जैक मा ने चीनी सरकार से अपील की थी कि व्यवस्था में ऐसा बदलाव किया जाए जो व्यवसाय में नई चीजें शुरू करने के प्रयास को दबाने की कोशिश न करे। उन्होंने वैश्विक बैंकिंग नियमों ‘बुजुर्गो का क्लब’ करार दिया था। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार जैक मा का ये भाषण चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पसंद नहीं आया था। इसके बाद से उनकी कंपनियों को निशाना बनाया जाने लगा।