जब जयपुर के पत्रकारों ने खेला इंगलैण्ड के साथ मैच

आजकल पिंकसिटी प्रेसक्लब के लीग मैच चल रहे हैं, जिसमें जयपुर के विभिन्न मीडिया संस्थानों के बीच मैच चल रहे हैं। ऐसे में यह याद करना सुखद होगा कि एक बार जयपुर के पत्रकारों ने इंगलैण्ड की टीम के साथ भी क्रिकेट मैच खेला।1995 में पिंक सिटी प्रेस क्लब के मेरे अध्यक्ष काल में जब इंगलैण्ड के पत्रकारों का मैच खेलने का प्रस्ताव आया, तो मैंने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया। एक तरफ लंदन के धुरंधर पत्रकारों की ‘फ्लीट स्ट्रीट एकादश’ टीम थी तो दूसरी तरफ हमारी पिंकसिटी प्रेस क्लब एकादश की टीम। सवाई मान सिंह स्टेडियम में खेले गए इस मैच के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत भी गवाह बने। प्रस्तुत है प्रकाश भंडारी की एक रिपोर्ट जो उन्होने प्रेस क्लब की पहली स्मारिका के लिए लिखी थी। (इस रिपोर्ट को इसी दृष्टि से पढ़ा जाये कि यह 1995 में लिखी गयी थी।)

चांद की रोशनी से नहाये प्रेस क्लब की छत पर उस रोज़ जैसे मधु बरस रहा था। गले में गेंदे के फूलों की माला डाले इधर से उधर टहलते अंग्रेजी के थिरकते स्वर और गुनगुनाते हिंदी गानों ने अंग्रेज पत्रकारों के सम्मान में दिये भोज को यादगार बना दिया।
भारत भ्रमण पर आये इंगलैण्ड के पत्रकारों और उनके परिवार जनों के बीच उस रोज ठहाका लगाने वालों में देश के मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी पार्थ सारथी शर्मा और ओलम्पिक धावक एवं राजस्थान क्रीड़ा परिषद् के उपाध्यक्ष गोपाल सैनी भी शामिल हुए।
दरअसल, प्रेस क्लब को इंगलैण्ड से आये उन पत्रकारों से न केवल क्रिकेट मैच खेलने की, बल्कि मेज़बानी की चुनौती भी स्वीकार करनी पड़ी। अंग्रेज़ पत्रकारों की टीम का नेतृत्व लन्दन में बसे एक भारतीय पत्रकार मिहिर बोस कर रहे थे। लंदन के प्रतिष्ठित पत्र ‘द टाइम्स’ के रविवारीय संस्करण के खेल संपादक मिहिर बोस पहले बम्बई में रह चुके हैं। वह पिछले दो दशकों से क्रिकेट लेखन से जुड़े हैं और जब-जब भी इंगलैण्ड की क्रिकेट टीम भारत आयी है, वह समाचार कवर करने दौरे पर आते रहे हैं। उनके प्रयासों से ही लन्दन के कुछ पत्रकारों ने अपनी जेब से टिकट लेकर भारत यात्रा का कार्यक्रम बनाया।

पिंक सिटी प्रेस क्लब एकादश से मैच खेलने के लिए मिहिर बोस ने अपनी अंग्रेज़ पत्रकारों की टीम का नाम ‘फ्लीट स्ट्रीट एकादश’ रखा। इसकी वजह शायद यही थी कि जिस तरह दिल्ली के बहादुरशाह ज़फर मार्ग पर बड़े-बड़े राष्ट्रीय पत्रों के कार्यालय हैं, वैसे ही लन्दन की ‘फ्लीट स्ट्रीट’ में भी बड़े अखबारों के दफ्तर चलते हैं।

इंगलैण्ड की इस टीम के साथ मैच खेलना अपने आप में एक अनुभव था। सवाई मानसिंह स्टेडियम में गुनगुनी धूप में जब लोगों ने गोरे अंग्रेज़ पत्रकारों की टीम को उतरते देखा तो लगा कि इंगलैण्ड की कोई काउण्टी टीम उतर रही है। पत्रकार पूरी तरह क्रिकेटर लग रहे थे। मैच खेलने के लिए बहुत कम समय में मिली चुनौती के कारण प्रेस क्लब एकादश जैसे-तैसे बनी और दो गेंदबाज बाहर से लेने पड़े। खेलमंत्री भंवरलाल शर्मा ने टॉस उछाल कर खेल शुरू किया और मेज़बान टीम मैदान में बल्लेबाज़ी के लिए उतरी।

अंग्रेज पत्रकारों की टीम में कई खिलाड़ी ऐसे थे, जो कलम के साथ-साथ बल्ले से भी छक्के लगाने में सिद्धस्त थे। इनमें एक पत्रकार तो एम.सी.सी. (मेलबोर्न क्रिकेट क्लब) त क में खेलता रहा है। इंगलैण्ड की इस टीम में लन्दन से प्रकाशित होने वाले ‘द टाइम्स’ के दो राजनीतिक संवाददाता भी थे। दोंनो ही ब्रिटेन की संसद कवर करते हैं। इसके अलावा इस टीम में एक राजनीतिक संवाददाता और थे ‘इवनिंग स्टैण्डर्ड’ के पीटर ओबोर्न। यह तीनों ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉन मेजर के तीखे आलोचक हैं। प्रधानमंत्री ने इंगलैण्ड की परम्परा के मुताबिक क्रिसमस से पहले संसंद और राजनीति कवर करने वाले पत्रकारों को इस बार पार्टी दी तो अपनी पूरी केबिनेट के साथ मौजूद प्रधानमंत्री को इन पत्रकारों की भारत यात्रा की जानकारी दी गयी। इस पर जॉन मेजर ने संतोष की सांस लेते हुए इस यात्रा के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने मज़े लेते हुए कहा…’चलो, कुछ दिन तो सुकून से गुज़रेंगे। वैसे आप तीनों भारत में ही बस जाएं तो अच्छा है’।

इस सिलसिले में दिलचस्प वाकया यह हुआ कि सवाई मानसिंह स्टेडियम में जयपुर के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत को जब यह प्रसंग सुना कर कहा कि ‘आप भी जयपुर के पत्रकारों को बाहर भेजिये’, ते शेखावत ने ठहाके लगाये और कहा…’मेरे सामने अभी ऐसा कोई संकट नहीं है।’ शेखावत ने भी क्रिकेट मैच देखा।

अंग्रेज टीम के खिलाड़ी न केवल अखबारों की दुनिया से थे, बल्कि टेलिविज़न और पुस्तक प्रकाशन से जुड़े हुए जुड़े हुए लोग भी थे। एक पिता-पुत्र भी साथ मैच खेले। यह ‘पिता’ थे टीम के सबसे बुजुर्ग सदस्य गैविन स्कोवेल। ‘डेली मेल’ के क्रिकेट संवाददाता गैविन स्कोवेल की टांग टूटी हुई है, इसलिए वह ‘रनर’ लेकर बल्लेबाजी करते हैं। उनके पुत्र ‘स्काई टी.वी.’ के खेल प्रोड्यूसर हैं, जो आस्ट्रेलिया से सीधे भारत पहुंचे। अन्य खिलाड़ियों में रिचर्ड हैलर स्वयं को ‘फ्रीलांस ऑथर’ बताते हैं उन्होने क्रिकेट विषय पर उपन्यास लिखे हैं। उनका दूसरा शौक अभिनय है। हमेशा खोए-खोए से लगने वाले रिचर्ड हैलर जब मस्ती में होते हैं तो लोगों को खूब हंसाते हैं।

इंगलैण्ड की टीम इतनी सशक्त थी कि प्रेस क्लब एकादश के विरूद्ध उसके दो खिलाड़ियों ने चालीस ओवरों के इस सीमित मैच में शतक लगाये। हम जितने कमजोर साबित हो रहे थे, अंग्रेज उतने ही निपुण। केवल एक ही बात हमें संतोष दे रही थी कि इंगलैण्ड की टीम का कप्तान भारतीय है।
यह मैच देखने के लिए प्रेस क्लब ने पूर्व टैस्ट खिलाड़ी पार्थ सारथी शर्मा को भी आमंत्रित किया हुआ था। ब्रिटिश पत्रकारों की टीम के कप्तान मिहिर बोस से उनका पुराना परिचय था। इंगलैण्ड की टीम के 280 रनों के जवाब में जब प्रैस क्लब की पारी सस्ते में उखड़ने लगी तो पार्थ सारथी शर्मा को एक शरारत सूझी। उन्होने एक पुर्ज़ा लिख कर मिहिर बोस को भिजवाया, जिस पर लिखा था..’आप चाहें तो क्रिकेट का इतिहास रच सकते हैं और सिमित ओवरों के मैच में फॉलोऑन दे सकते हैं।’

अनिल लोढ़ा के नेतृत्व में खेली प्रेस क्लब एकादश टीम बूरी तरह हारी, लेकिन पूरे मैच का आनंद मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत सहित सभी ने लिया।

हमने ब्रिटिश पत्रकारों के लिए विशेष रूप से जयपुर की रजाईयां मंगवा रखी थीं। मेजबान टीम के लिए पुरस्कार स्वरूप पैन सेट था। सवाई मानसिंह स्टेडियम में मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कार वितरण हुआ। मुझे कार्यक्रम संचालन का कार्य मिला। मैंने जब जॉन मेजर की पार्टी का जिक्र किया तो मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में चुटकियां लेते हुए कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पत्रकारों से डरते होंगे। यहां के पत्रकारों से तो उनके मधुर संबंध हैं। प्रेस क्लब एकादश की हार को एक तरह से ढंकने के लिए शेखावत नें कहा…’राजस्थान की मेहमान नवाजी की यह परम्परा है कि यहां के लोग अपने अतिथियों को खुश करने के लिए कुछ भी न्यौछावर कर सकते हैं। राजस्थान के पत्रकारों नें इंगलैण्ड की मेहमान टीम को जिता कर इसी परम्परा का निर्वाह किया है।’ इस पर अंग्रेज पत्रकारों ने जम कर ताली बजायी। मुख्यमंत्री ने ब्रिटिश पत्रकारों को राजस्थानी साफा पहना कर स्वागत किया।

इंगलैण्ड की टीम के सबसे बुजुर्ग सदस्य गैविन स्कोवल ने लार्डस मैदान के चित्र वाला एख खूबसूरत प्याला मुख्यमंत्री को भेंट किया। मिहिर बोस ने एक छोटा बल्ला भेंट किया, जिस पर टीम के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर थे। बोस ने अपनी पुरस्कृत पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ इंडियन क्रिकेट’ की एक प्रति भी मुख्यमंत्री को प्रदान की।

उसी शाम ब्रिटिश पत्रकारों के सम्मान में प्रेस क्लब में भोज रखा गया। ब्रिटिश पत्रकार अपनी पत्नियों के साथ इसमें शामिल हुए। हंसी-खुशी के माहौल के बीच क्लब के मुख्य भवन की छत पर एक छोटी-मोटी महफिल भी जम गयी। चन्द्रकांत जी.रजुरकर (अब स्वर्गीय) ने अपना शास्त्रीय फिल्मी गायन प्रस्तुत किया तो उसके बोल न समझते हुए भी मेहमानों ने उसका आनंद लिया। मेहमानों में से रिचर्ड हैलर ने एख एकाभिनय प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने इंगलैण्ड में थियेटर के हो रहे ह्रास को दर्शाया। अनिल लोढ़ा ने एक कविता सुनाई, जिसका अनुवाद मैंने किया।
इस मौके पर मिहिर बोस ने प्रेस क्लब के अध्यक्ष ईशमधु तलवार के क्लब की लाइब्रेरी के लिए अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ इंडियन क्रिकेट’ भेंट की तो प्रेस क्लब की ओर से तलवार ने मेहमानों को एक-एक मुगल पैंटिंग का तोहफा पेश किया। दोंनो शतक बनाने वाले अंग्रेज बल्लेबाजों को स्मृति स्वरूप तलवार और ढ़ाल क्लब के उपाध्यक्ष अनिल लोढ़ा ने प्रदान की।

एक दिलचस्प बात यह है कि लन्दन में अब प्रेस क्लब नहीं है। पहले जो प्रेस क्लब था, उसे किसी अखबार के मालिक ने खरीद कर वहां अपना कार्यालय स्थापित कर दिया। हमने लन्दन के प्रेस क्लब के लिए उमर खय्याम की एक पेंटिंग भेंट करने का प्रोग्राम बनाया था। जब यह मालूम चला कि वहां प्रेस क्लब नहीं है तो हैरत हुई। इसी बीच मेहमानों ने सलाह दी कि फ्लीट स्ट्रीट में एक पब (मधुशाला) है, जिसे ‘डफल्स क्लब’ के नाम से जाना जाता है। यहां लन्दन के सभी पत्रकार अपनी शामें गुज़ारते हैं। वहीं पर यह पेंटिंग लगा दी जायेगी। तलवार जी ने ‘डफल्स क्लब’ के लिए यह पेंटिंग मिहिर बोस को भेंट की।

रात के भोजन के साथ ही प्रेस क्लब में हुई विदाई में रिचर्ड हैलर की ‘विजिटर्स बुक’ में लिखी गयी टिप्पणी प्रेस क्लब और ब्रिटिश पत्रकारों के बीच पनपे सौहार्द को बता गयी…”अन्डर द सिल्वर मून ऑफ जयपुर, ऑवर फ्रैन्डशिप ब्रॉट अस टू द सन।”

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