गर बुन्देलखंड के बांदा वासी डॉ चंद्रिका प्रसाद दीक्षित न होते, राम लला के जन्मस्थान की लड़ाई और खिंचती

-मुकुंद

मूर्धन्य विद्वान, हिन्दी के अनन्य उपासक उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा वासी और चर्चित प्रख्यात कवि बाबू केदारनाथ अग्रवाल के पड़ोसी डॉक्टर चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने आज फिर अपनी पोस्ट दोहराई है।

अयोध्या में जिस स्थान पर राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हुआ है, उसके दावे को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है। यही राम जन्मभूमि है इसे राम उपासक दीक्षित जी ने सिद्ध किया। उनका शोध अदालत में आधार बना। वो वाकई खुश हैं।।अयोध्या में भूमि पूजन देख उन्होंने याद दिलाया। हो सकता है उन्हें अयोध्या न बुलाने का क्षोभ भी हो। और होना भी चाहिए। मेरी रामभक्त केन्द्र और राज्य सरकार से विनती है कि वो डॉक्टर दीक्षित को उनके इस प्रयास के लिए पद्म पुरस्कार प्रदान करे।अब आप पढ़ें उनकी पोस्ट अक्षरश उन्हीं की भाषा मेंराम जन्म भूमि का पहला साक्ष्य बुंदेलखंड की धरती बांदा से प्रस्तुत किया गया।

महाकवि लाल दास कृत अवध विलास महाकाव्य में राम जन्मभूमि का वर्णन, उसकी भौगोलिक स्थिति, राम जन्म भूमि के आसपास के प्रसिद्ध स्थानों से राम जन्म भूमि की दूरी बताई गई है।लाल दास कृत अवध विलास महाकाव्य की का संपादन एवं प्रकाशन मेरे द्वारा चंद्र दास शोध संस्थान बांदा के माध्यम से किया गया था। राम काव्य की परंपरा में यह महाकाल संवत 1732 में अयोध्या में लिखा गया।विश्व की यही पहली रामायण है जिसमें राम जन्म के साथ ही राम जन्म भूमि का वर्णन किया गया है।

अब सुन राम जन्म स्थान जन्म भयो जेहि ठौर ठिकाना।

जाको दरस करे नर नरकोई ।

माता गर्भ वास नहिं होई।।विघ्नेश्वर के पूरब ओरा।

आठ हजार धनुष वह ठौरा।।

लोम स्थल के पश्चिम देशा।

धनुष्यपचास और कछु ऐसा।।मुनि वशिष्ट के उत्तर भागा।

राम जन्म जेहि मध्य विरागा।।

इसके आगे भी वर्णन या गया है माप साढ़े तीन हाथ बताई गई है।

धनुष्य प्रमाण कहत सब कोई ।

साढ़े तीन हाथ कर होई।।

अवध विलास महाकाव्य से , संपादक डाक्टर चंद्रिका प्रसाद दिक्षित ललितयह ग्रंथ हरदोई जिले के टिकार गांव से ठाकुर हरि बक्स सिंह के यहां से ठाकुर बृजराज सिंह तोमर, कवि डॉ दिनेश देवराजके सौजन्य से मुझे प्राप्त हुआ था।अमर उजाला के तत्कालीन चीफ ब्यूरो सत्य नारायण मिश्र ने मुझसे इस ग्रंथ के बारे में बातचीत की और राम जन्मभूमि के प्रकरण को सुनकर इसे अमर उजाला में सबसे पहले प्रकाशित किया जिससे इस समाचार से पूरे देशके समाचार पत्रों ने इसे प्रकाशित किया।तत्कालीन सांसद प्रकाश टिकरिया के माध्यम से मेरी भेंट माननीय मुरली मनोहर जोशी, माननीय अटल बिहारी बाजपेई आदि से हुई। संसद पटल पर इसकी फोटो कॉपी वितरित की गई।

बाद में मुख्यमंत्री योगीराज आदित्यनाथ ने इस ग्रंथ की प्रति न्यायालय मेंं साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की।राम जन्म भूमि के निर्णय में यह ग्रंथ भी साक्षी के रूप में स्वीकार किया गया।।भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने इस ग्रंथ को संरक्षित कर लिया है।आज अब अयोध्या में राम जन्मभूमि का पूजन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं तब बुंदेलखंड चित्रकूट और बांदा की धरती भी विशेष गौरव का अनुभव कर रही है कि इसीधरती सेखोजे गए तथा मेरे द्वारा संपादित एवं प्रकाशित अवध विलास महाकाव्य को राम जन्म भूमि के निर्णय का प्रथम साक्ष माना गया और भारतीय संस्कृति की विजय यात्रा में इस धरती ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।

You may have missed

Subscribe To Our Newsletter