किताब लिखेंगे गुलाम नबी आज़ाद
राज्यसभा में पिछले हफ्ते गुलाम नबी आजाद की विदाई के मौके पर जो कुछ हुआ, वह अप्रत्याशित था। पहले कभी ऐसा मौका नहीं देखा गया, जब कोई प्रधानमंत्री किसी अन्य पार्टी के नेता का कार्यकाल पूरा होने पर उससे जुड़े किसी संस्मरण पर इतना भावुक हुए हों।
खैर, उसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। पूरे घटनाक्रम को आजाद और बीजेपी के बीच बढ़ती नजदीकी के रूप में देखा जा रहा है। अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद कश्मीर की पॉलिटिक्स के मद्देनजर बीजेपी को भी एक अदद नामचीन कश्मीरी चेहरे की तलाश है।
इसी सिलसिले में कहा जा रहा है कि बीजेपी सीधे या फिर बैकडोर से गुलाम नबी आजाद को उपकृत कर सकती है। उपराष्ट्रपति को लेकर भी उनका नाम लिया जा रहा है, लेकिन अभी तो वेंकैया नायडू का कार्यकाल 2022 तक है। ऐसे में अगर इस पद तक गुलाम नबी के पहुंचने की बात है, तो उसमें लंबा वक्त लगेगा और राजनीति में इतने लंबे वक्फे में बहुत कुछ बदल जाता है। गुलाम नबी के नजदीकी कुछ लोगों का कहना है कि राजनीति में उनके आगे का रास्ता क्या होगा, यह तय नहीं है लेकिन एक चीज लगभग तय है कि गुलाम नबी अपने राजनीतिक अनुभवों पर एक किताब लिख सकते हैं।
गुलाम नबी ने कांग्रेस में लंबा वक्त गुजारा है। वे इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक की ‘किचन कैबिनेट’ के मेंबर रहे हैं। एक तरह से वे किस्सों की खान हैं और बहुत सारे ‘सीक्रेट्स’ के राजदार भी हैं। इसी के मद्देनजर कहा जा रहा है कि अगर वे किताब लिखेंगे और ईमानदारी से लिखेंगे तो वह किसी धमाके से कम नहीं होगी।