एनआइसी के भरोसे अब पार लगेगी ई वे बिल की नैया
न्यूज़ गेटवे / ई वे बिल / नई दिल्ली /
लागू होने के पहले ही दिन तकनीकी खामियों में फंसे ई वे बिल की नैया अब सरकार का नेशनल इन्फॉरमेटिक सेंटर यानी एनआइसी पार लगाएगा। ई वे बिल जेनरेट करने की संख्या के आधे अधूरे अनुमान के चलते पहली फरवरी को फेल हो गए ई वे बिल सिस्टम को एनआइसी के आकलन के बाद ही अपग्रेड किया जा सकेगा। लिहाजा ई वे बिल को फिर से लागू करने में अभी वक्त लग सकता है।
सरकार ने इसी महीने की पहली तारीख से ई वे बिल को लागू करने का ऐलान किया था। लेकिन पहले ही दिन ई वे बिल जेनरेट करने का लोड अधिक होने से ई वे बिल का सिस्टम बैठ गया। इसकी वजह से सरकार को ई वे बिल की प्रक्रिया को एक महीने के लिए टालना पड़ा है। हालांकि अभी इस बात की संभावनाएं कम हैं कि एक महीने के भीतर इस प्रक्रिया को फिर से लागू किया जा सके।
सरकार ने सिस्टम की विफलता को देखते हुए इसे दुरुस्त करने के लिए एनआइसी को लगाया है। एनआइसी ही सरकार के भीतर होने वाले आइटी नेटवर्क को संभालता है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार और जिला स्तर तक एनआइसी के नेटवर्क पर ही समस्त सरकारी संवाद होता है। सरकार का पूरा ईमेल ढांचा भी एनआइसी के नेटवर्क पर टिका है। पूछे जाने पर एनआइसी की महानिदेशक नीता शर्मा ने कहा कि एनआइसी फिलहाल ई वे बिल की संभावित संख्या का आकलन कर रहा है। विभिन्न स्त्रोतों से आंकड़े जुटाने के बाद ही उसे जीएसटी काउंसिल को सौंपा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी का आइटी ढांचा जीएसटीएन के जिम्मे है और इसे जानी मानी आइटी कंपनी इन्फोसिस ने तैयार किया है। शुरू से लेकर अब तक एनआइसी को जीएसटी के तकनीकी काम से एक तरह से अलग रखा गया था। लेकिन जब ई वे बिल बनाने की बारी आई एनआइसी को संपर्क किया गया। इसके बाद एनआइसी और इन्फोसिस ने मिल कर एक शुरुआती ई वे बिल सिस्टम का ढांचा तैयार किया।
सूत्र बताते हैं कि एनआइसी ई वे बिल की संख्या का आकलन विभिन्न स्तरों पर करेगी। इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो कंप्यूटर से सिस्टम में लॉग इन तो कर सके लेकिन सर्वर तक नहीं पहुंच सके। साथ ही कुछ लोग जो सर्वर पर पहुंच तो गए किंतु ई वे बिल जेनरेट नहीं कर पाए। सूत्र बताते हैं कि एनआइसी को इसका आकलन करने में 10 से 15 दिन का वक्त लग सकता है। उसके बाद ही तय किया जाएगा कि ई वे बिल के मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड किये जाने की आवश्यकता है अथवा नहीं।