आसियान देशों के साथ भारत रक्षा क्षेत्र में करीबी संबंध चाहता है

न्यूज़ गेटवे /  आसियान देशों के साथ भारत / नई दिल्ली /

भारत आसियान देशों के साथ रक्षा क्षेत्र में करीबी संबंध चाहता है और चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए आसियान देश भी इस संभावना को लेकर खासे उत्साहित हैं। लेकिन समस्या यह है कि आखिरकार रक्षा सहयोग में किस तरह से आगे बढ़ा जाए।

पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार और गुरुवार को आसियान के दस सदस्य देशों (म्यांमार, थाइलैंड, फिलीपींस, विएतनाम, लाओस, कंबोडिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई और मलयेशिया) के प्रमुखों से हुई मुलाकात में रक्षा क्षेत्र में सहयोग को आगे ले जाने में कुछ सफलता मिली है लेकिन जानकार मान रहे हैं कि अभी भविष्य बहुत स्पष्ट नहीं है। भारत के साथ रक्षा सौदों को लेकर ज्यादातर आसियान देश अभी भी चीन को नाराज करने का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है।

आसियान के तीन देशों से पीएम ने की अलग-अलग मुलाकात

पीएम मोदी ने बुधवार को आसियान के तीन देशों म्यामांर की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेतो और विएतनाम के पीएम नुएन शुआन फुक के साथ तीन अलग अलग मुलाकात की थी। इन मुलाकातों में कुछ समझौते भी हुए हैं लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि तीनों नेताओं के साथ रक्षा सहयोग पर खास बात हुई है। इन देशों के साथ भारत ने पहले से रक्षा क्षेत्र में सहयोग का समझौता किया हुआ है लेकिन जमीनी तौर पर समझौते से आगे नहीं बढ़ा जा सका है।

मसलन, फिलीपींस के साथ वर्ष 2012 में भारत ने रक्षा सहयोग समझौता किया है लेकिन इस बारे में कोई शुरुआत नहीं हुई है। नवंबर, 2017 में मोदी और दुर्तेतो की मुलाकात में इस बारे में आगे बढ़ने की सहमति बनी। बुधवार को इन दोनो नेताओं के बीच हुई मुलाकात में फिर इस बारे में और बात हुई है। उम्मीद की जाती है कि इस वर्ष फिलीपींस भारत से कुछ हथियारों की खरीद पर फैसला करेगा।

वियतनाम के साथ मजबूत हैं संबंध

जानकारों के मुताबिक मोदी और विएतनाम के पीएम के बीच हुई बातचीत में भी रक्षा सहयोग पर खुल कर बात हुई है। विएतनाम ने पहले ही भारत की कुछ मिसाइलों की खरीद में रुचि दिखाई थी। विएतनाम भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंधों का काफी पहले से हिमायती रहा है। विएतनाम सरकार की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि वह रक्षा-सुरक्षा सहयोग को भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्ते की अहम कड़ी के तौर पर देखता है।

साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते प्रभाव से सबसे ज्यादा प्रभावित विएतनाम ही हो रहा है। भारत अभी विएतनाम के सैनिकों को परीक्षण दे रहा है। मोदी और पीएम फुक के बीच हुई बैठक में भारत की तरफ से दी जाने वाली 50 करोड़ डॉलर के कर्ज को अंतिम रुप दिया गया है। माना जा रहा है कि विएतनाम अब ज्यादा हथियार भारत से खरीद सकेगा।

 म्यांमार की स्टेट काउंसर से भी हुई रक्षा सहयोग पर चर्चा

इसी तरह से मोदी और आंग सान सू के बीच हुई बैठक में भी नौ सेना और थल सेना के बीच सहयोग पर चर्चा हुई है। भारत और म्यांमार के बीच न सिर्फ अच्छा खासा साझा जमीनी सीमा है बल्कि बंगाल की खाड़ी में इन दोनों की समुद्री सीमाएं भी एक दूसरे के साथ जुड़ती हैं। चीन की नजर भी म्यांमार से सटे समुद्री क्षेत्र पर है और वह काफी दिनों से म्यांमार सरकार को बड़े सैन्य सहयोग के लिए मनाने की कोशिश में है। मोदी ने भारत की तरफ से म्यांमार की थल सेना को अत्याधुनिक प्रशिक्षण देने का भी प्रस्ताव किया है, इसके लिए म्यांमार तैयार है। भारत थाइलैंड और मलयेशिया को भी उनकी सेना के आधुनिकीकरण में मदद देने को तैयार है।

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