आरबीआई की पांबदियों के बाद शेयर बाजार के निवेशक भी यस बैंक को ‘नो’ कह रहे हैं

कर्ज तले डूब रहा यस बैंक बीते कुछ महीनों से लगातार सुर्खियों में है। अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक से पैसे निकालने की सीमा तय कर दी है। ग्राहक एक महीने में 50 हजार से ज्यादा की रकम नहीं निकाल पाएंगे। आरबीआई की पांबदियों के बाद शेयर बाजार के निवेशक भी यस बैंक को ‘नो’ कह रहे हैं। बैंक की इस हालात का जिम्मेदार इसके फाउंडर, पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राणा कपूर को माना जा रहा है। राणा ने कैसे इस बैंक को शुरू किया और ऐसा क्या हुआ कि बैंक ऐसी स्थिति में पहुंच गया? 

कौन हैं राणा कपूर?
9 सितंबर, 1957 को दिल्ली में जन्मे राणा कपूर देश के सफलतम बैंकर्स की लिस्ट में शामिल थे। पढ़ाई के दौरान उन्हें ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) की तरफ से मानद फेलोशिप, रटगर्स यूनिवर्सिटी न्यू जर्सी से प्रेसिडेंट मेडल और जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर से मानद फेलोशिप मिल चुकी है। उनकी फैमिली में पत्नी बिंदू कपूर और तीन बेटियां राधा, राखी और रोशनी हैं।

बैंकिंग करियर: MBA डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 1980 में बैंक ऑफ अमेरिका (BoA) में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी काम शुरू किया। 1990 में उन्हें चेयरमैन द्वारा ईगल पिन प्रेजेंट किया गया। उन्होंने बैंक ऑफ अमेरिका के साथ 16 साल तक काम किया। 1996 में उन्होंने ANZ ग्रिंडलेज इनवेस्टमेंट बैंक (ANZIB) के जनरल मैनेजर एंड कंट्री हेड के तौर पर काम शुरू किया। 2004 में राणा ने अपने रिलेटिव अशोक कपूर के साथ मिलकर यस बैंक की शुरुआत की।

मुंबई हमले के बाद शुरू हुआ विवाद: 26/11 के मुंबई हमले में राणा के साथ यस बैंक को शुरू करने वाले अशोक कपूर की मौत हो गई। जिसके बाद अशोक की पत्नी मधु और राणा के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मधु अपनी बेटी के लिए बैंक बोर्ड में जगह चाहती थीं। इस विवाद ने धीरे-धीरे बैंक की जड़ें खोखली कर दीं। जिसके बाद बैंक आज इस स्थिति में पहुंच गया।

लोन बांटना पड़ा महंगा: राणा कपूर ने लोन देने और उसे वसूल करने की प्रक्रिया अपने हिसाब से तय की। उन्होंने अपने निजी संबंधों के आधार पर लोगों को लोन दिए। बैंक अनिल अंबानी ग्रुप, आईएलएंडएफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे कारोबारी घरानों को लोन देने में आगे रहा। इन कारोबारी समूहों के डिफॉल्टर साबित होने से बैंक को करारा झटका लगा। 2017 में बैंक ने 6,355 करोड़ रुपए की रकम को बैड लोन में डाल दिया था। जिसके बाद आरबीआई ने बैंक पर लगाम कसना शुरू कर दिया।

गड़बड़ी के आरोप भी लगे: 2018 में आरबीआई ने राणा कपूर के ऊपर कर्ज और बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप लगाए। साथ ही, उन्हें चेयरमैन के पद से जबरन हटा दिया। बैंक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी चेयरमैन को इस तरह से हटाया गया हो।

शेयर बेचने की नौबत आई: राणा कपूर यस बैंक के शेयर्स कभी नहीं बेचना चाहते थे। उन्होंने ट्वीट किया था, “All good. I love Yes Bank. I will never sell my shares.” लेकिन अक्टूबर 2019 में उनकी और उनके ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 4.72 रह गई। 3 अक्टूबर को सीनियर ग्रुप प्रेसिडेंट रजत मोंगा ने रिजाइन किया।

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